- लालजी टंडन, अम्मार रिजवी व जस्टिस तिलहरी को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

- यूनिवर्सिटी के 7 पूर्व छात्रों को मिला एल्युमिनाई अवॉर्ड

LUCKNOW : एलयू के 98 वें स्थापना दिवस पर रविवार को पूर्व छात्र बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, पूर्व मंत्री डॉक्टर अम्मार रिजवी व जस्टिस एचएन तिलहरी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस मौके पर राज्यपाल व यूनिवर्सिटी कुलाधिपति रामनाईक ने 7 पूर्व छात्रों को एल्युमिनाई अवार्ड देकर सम्मानित किया। समारोह यूनिवर्सिटी के कला संकाय प्रांगण में हुआ।

जब आया था तब भी टंडन जी सीनियर थे, आज भी सीनियर है

सम्मानित होने के बाद पूर्व मंत्री डॉक्टर अम्मार रिजवी ने कहा कि 62 साल पहले इस यूनिवर्सिटी में आया था, उस समय जो घबराहट हो रही थी वही आज भी है। उन्होंने कहा कि मंच पर बैठे बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन व तिलहरी उनसे सीनियर रहे हैं। कार्यक्रम में सबसे सीनियर शरीफ रुदौलवी भी आए हैं जो हम सभी से सीनियर हैं। आज भी कुछ नहीं बदला आज भी यह सभी लोग मेरे सीनियर हैं। वहीं जस्टिस एचएन तिलहरी ने कहा कि जीवन के कुछ अनुभव होते हैं जो यहां पर आने के बाद महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि जब यहां पढ़ते थे तो शिक्षक शब्दों की विवेचना कराते थे, इसलिए नई पीढ़ी को संस्कार देने के साथ ही चिंतन व एनालिसिस करने दें क्योंकि नई पीढ़ी को चिंतन की काफी आवश्यकता है।

आप पिता है थोड़े दिन बाद छोड़ दीजिए ताकि दीवाली मना सके

बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि मुझे जब यहां पर पहली डिग्री मिली उस समय जो मेरी मनोदशा थी, वही आज भी है। आचार्य नरेंद्र देव से लेकर एसपी सिंह ने यहां पर कई शख्सियत गढ़ीं। उन्होंने कहा कि मैं बहुत समय यूनिवर्सिटी में रहा, लेकिन डिग्री बहुत सारी नहीं पाई क्योंकि मेरा ज्यादा समय राजनीति में गया। वहीं राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मुझे इस स्थापना दिवस समारोह में आने का मौका प्राप्त हुआ। यूनिवर्सिटी 100 वर्ष की तरफ जा रहा है तब महसूस हो रहा है कि यूनिवर्सिटी ने कैसे-कैसे शख्शियत वाले छात्र दिए हैं। यह एल्युमिनाई एसोसिएशन जो बना है, वह ऐसे ही चलता रहे ऐसी मेरी कामना है।

संस्थाओं की उम्र व्यक्ति की उम्र से ज्यादा

वीसी प्रो। एसपी सिंह ने कहा कि संस्थाओं की उम्र व्यक्ति की उम्र से ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का 98वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी 99 वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अगले साल 2020 में यूनिवर्सिटी 100 वर्ष में प्रवेश करेगा। यहां के छात्रों ने जिन ऊचाइयों को छुआ है, वह यूनिवर्सिटी के इतिहास को बयां करता है। इस मौके पर उन्होंने यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा से लेकर बिहार के राज्यपाल डॉक्टर लालजी टंडन तक के नाम गिनाए।

कैलाश हॉस्टल के पास बनेगा एल्युमिनाई भवन

एल्युमिनाई फाउंडेशन के जनरल सेक्रेटरी मुकेश शुक्ला ने कहा कि इस सरकार में यूनिवर्सिटी के 9 पूर्व छात्र मंत्री के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक एल्युमिनाई के रूप में यूनिवर्सिटी को आप सभी की जरूरत है। आप जिस प्रकार से मदद करना चाहें यूनिवर्सिटी की मदद कर सकते हैं। इस मौके पर उन्होंने आगामी योजनाओं के बारे में कहा कि यूनिवर्सिटी ने हमें दो काम दिए हैं, जिनमें यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। एसपी सिंह ने कैलाश हॉस्टल के पास 4 हजार स्क्वायर फीट जमीन दी है, जिस पर एल्युमिनाई भवन बनाया जाएगा। इस भवन में 50 रूम, कैंटीन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिससे यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र लखनऊ आकर इसमे रुकें और उन्हें इसमें जो महसूस होगा, वो फाइव स्टार होटल में न मिले।

इन्होंने साझा किये अनुभव

मैंने 1973 में एलयू में बीएससी में दाखिला लिया था, लेकिन अगले साल ही एमबीबीएस में चयन हो गया। ऐसे में बीएससी छोड़ दी। इसके बाद 1986 में एमडी पास किया। तब दीक्षांत हर साल नहीं होते थे, लेकिन उस साल प्रधानमंत्री लखनऊ आ रहे थे तो दीक्षांत कराया गया। ऐसे में डिग्री नहीं छप पाई तो हमे दीक्षांत में प्रोविजनल डिग्री दी गई और कहा गया डिग्री पोस्ट से घर आएगी। आज 34 साल हो गए, लेकिन वह डिग्री अब तक घर नहीं पहुंची।

- डॉ सुनील प्रधान

मैंने 1982 बैच से यहां से एमएससी की थी। हमारे समय में इंट्रोडक्शन जैसी कोई चीज नहीं होती थी। इसके बाद अपने विभाग में हमने ही इंट्रोडक्शन पार्टी शुरू की थी। हालांकि किसी भी तरह की अभद्रता उसमें नहीं होती थी। हमारर बैच इसलिए भी यादगार रहा क्योंकि तब एलयू में सत्र देरी से चल रहा था। हमारी क्लासेस फरवरी में शुरू हुई थी और चार महीने में ही पूरे साल की पढ़ाई कराई गई।

- डॉ मुदित कुमार सिंह

वर्ष 1979 में एलयू से एमबीबीएस किया था। हमारे समय में सीनियर्स और जूनियर्स के संबंध बड़े और छोटे भाई बहन की तरह होते थे। हम जितना सम्मान टीचर्स को देते थे उतना ही अपने सीनियर्स को भी देते थे। उस समय मेडिकल कॉलेज एलयू का ही हिस्सा हुआ करता था। ऐसे में एलयू कैंपस और मेडिकल कॉलेज दोनों ही जगह आना जाना रहता था।

- डॉ। दीपक अग्रवाल

वर्ष 1980 में एलयू से एमएससी जियोलॉजी की थी, उन्होंने बताया कि मुझे जियोलजिस्ट बनना था। उस समय मैं एलयू के तिलक छात्रावास में रहता था तब वहां लड़के रहते थे। मेरी एमएससी पूरी ही हुई थी कि तभी हॉस्टल के बगल वाले कमरे में रहने वाले लड़के का पीसीएस निकल गया। तब सोचा जब इसका निकल सकता है तो मेरा क्यों नहीं। पीसीएस की तैयारी में जुट गए। जब पीसीएस निकला तो सोचा आईएएस भी निकाल सकता और इस तरह मैं आईएएस ऑफिसर बना। वर्तमान में तेलंगाना में पोस्टेड हूं।

- राजेश्वर तिवारी

वर्ष 1990 बैच से मैंने एलयू से बीएससी की थी। उसी दौरान छात्र राजनीति में आया और महामंत्री का चुनाव लड़ा। एक दिन वोट मांगने एक क्लास में गया तो सभी ने रिस्पांस दिया। एक लड़की बड़ी नफरत से देख रही थी। मैं समझ गया इसमें यही एक एक समझदार है, फिर मिलना जुलना शुरू हो गया और उस क्लास के कई चक्कर लगने लगने, फिर वो नफरत न जाने कब प्यार में बदल गई। उस लड़की का नाम सुनीता सिंह है जो आज मेरी पत्‍‌नी है।

- राजेश सिंह

वर्ष 1994 में एलयू से के अंग्रेजी विभाग से एमए पूरा किया था। उस समय मैं चारू भदौरिया हुआ करती थी। पढ़ाई के दौरान पंकज से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि उस समय कैंपस का माहौल बहुत अच्छा था, हम एक साथ बैठते थे। केमेस्ट्री विभाग हमारा अड्डा हुआ करता था, लेकिन मजे की बात ये थी कि हम दोनों में से कोई भी केमेस्ट्री का विद्यार्थी नहीं था। धीरे धीरे करीबियां बढ़ीं। इसके बाद हमने शादी कर ली। शादी के बाद हमने नाम एक्सचेंज किया। उनका पंकज मेरे नाम में जुड़ गया और मेरा चारू उनके नाम में। कुछ दिन सीएमएस में पढ़ाया उसके बाद मास्टर शेफ बनी।

- पंकज भदौरिया

वर्ष 1972 में एलयू से एमए इंग्लिश किया था, उन्होंने बताया कि खेल में मैं अच्छी थी तो यूनिवर्सिटी की स्पो‌र्ट्स टीम में भी चयनित हो गई। गेट नंबर तीन पर एक चाट का ठेला लगता था। उन दिनों लड़कियों का सड़क पर खड़े होकर चाट खाना खराब माना जाता था। एक दिन हमने चुपके से चाट खाई, लेकिन इसकी शिकायत कोच तक पहुंच गई। कोच ने काफी डांटा। चाट इतनी पसंद थी कि डांट के बाद भी हम फिर गए, लेकिन जितने बार गई पता नहीं कौन कोच तक शिकायत पहुंचा देता था। यह आज तक नहीं पता चला शिकायत कौन करता था।

- बुला गांगुली

Posted By: Inextlive