हाई कोर्ट के हाई सिक्योरिटी जोन से गायब करके जला दी गई फाइलें

CBI की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने किया खुलासा, हाइकोर्ट कालोनी में रहने वाले कर्मचारी समेत तीन गिरफ्तार

हाइ कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई लखनऊ में दर्ज हुआ था केस

ALLAHABAD/LUCKNOW (7 June): इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाई सिक्योरिटी जोन से क्रिमिनल अपील के मुकदमे से संबंधित दस्तावेज गायब करने की कीमत वसूल की गई थी। कीमत मिलने के बाद न सिर्फ फाइल को गायब किया गया बल्कि उसे जला भी दिया गया। इसके पीछे लक्ष्य था मुकदमे को पेंडिंग रखना। बुधवार को यह खुलासा सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने हाई कोर्ट के एक चपरासी और दो पैरोकारों को गिरफ्तार करने के बाद किया। सख्ती से पूछताछ में तीनो ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। सीबीआई गुरुवार को तीनों को कोर्ट में पेश करेगी। बता दें कि इससे संबंधित एफआईआर हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने बीते नाै मार्च को दर्ज की थी।

हाईकोर्ट का चपरासी शामिल

सीबीआई ने हाईकोर्ट के चपरासी दिलीप कुमार चंदेल के अलावा दो पैरोकारों सुभाष चंद्र और चंद्रवीर सिंह को गिरफ्तार किया है। दोनों पैरोकार अलीगढ़ के निवासी हैं। दिलीप कुमार हाईकोर्ट कॉलोनी इलाहाबाद में रहता है। हाईकोर्ट से क्रिमिनल अपील से संबंधित दस्तावेज गायब होने के बाद वहां के डिप्टी रजिस्ट्रार पीके खत्री ने इस मामले की एफआईआर दर्ज करायी थी। इसमें उन्होंने हाईकोर्ट के दो चपरासी दिलीप कुमार चंदेल और नरेंद्र कुमार समेत छह लोगों पर संदेह जाहिर किया था। इनमें अलीगढ़ के क्वारसी निवासी पैरोकार सुभाष चंद्र, चंद्रवीर सिंह, बासुदेव और राजवीर भी शामिल थे। बासुदेव, राजवीर बनाम राज्य सरकार से संबंधित क्रिमिनल अपील के दस्तावेज गायब होने के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की प्रारंभिक जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसका केस दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिए थे। आशंका जताई गयी कि 27 जुलाई 2016 को क्रिमिनल अपील सेक्शन की अलमारी से दस्तावेज गायब किए गये हैं।

सीबीआई ने जुटाए सुबूत

सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे ने डिप्टी एसपी प्रशांत श्रीवास्तव को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा

जांच में सामने आया कि जिस दिन दस्तावेज गायब किए गये, रिकॉर्ड रूम के बाहर लगा सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था

इसकी वजह कंप्यूटर हैंग होना बताया गया लेकिन, सीबीआई को इसमें किसी साजिश होने का संदेह हुआ

सीबीआई ने दिलीप कुमार चंदेल की कॉल डिटेल खंगाली तो पता चला कि वह सुभाष चंद्र और चंद्रवीर सिंह से लगातार संपर्क में था

दोनों पैरोकारों ने हाईकोर्ट के एक वकील को दिलीप से मिलने का जरिया बनाया जो उसका दूर का रिश्तेदार भी था

इसके बाद उनके बीच पैसों के लेन-देन की बात हुई और एक सितंबर 2016 को दिलीप ने उन्हें दस्तावेज उपलब्ध करा दिए

इसके बाद दिलीप ने रात में हाईकोर्ट के नजदीक ड्रीम लैंड होटल के बाहर दोनों पैरोकारों से मुलाकात की और उनसे गांव जाकर सारे दस्तावेज जला देने को कहा

अगले दिन दोनों गांव चले गये और रात आठ बजे दस्तावेजों को आग के हवाले करने के बाद दिलीप को फोन पर बता दिया

सीबीआई की जांच में दोनों के बीच हुई बातचीत की कॉल डिटेल से इसकी पुष्टि हुई।

आखिरी सुनवाई से पहले गायब

जांच में यह भी सामने आया कि हत्या से जुड़े इस मुकदमे में एक सितंबर 2016 को आखिरी सुनवाई होनी थी। इससे पहले इस केस से जुड़ी पंद्रह फाइलें अचानक गायब हो गयी। दरअसल दोनों पैरोकार इस सुनवाई को टालना चाहते थे। साथ ही वह बेंच के बदलने का भी इंतजार कर रहे थे क्योंकि वर्तमान बेंच द्वारा उन्हें सजा सुनाए जाने का डर सता रहा था। इसके लिए उन्होंने दिलीप कुमार चंदेल से संपर्क किया। दिलीप ने इस काम के लिए उनसे पचास हजार रुपये मांगे जो उन्होंने उसके बैंक खाते में जमा करा दिए। अलीगढ़ स्थित ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से इलाहाबाद के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में तीन टुकड़ों में बीस हजार रुपये की रकम जमा की गयी। सीबीआई ने तीनों के बीच फोन पर 250 बार हुई बातचीत के जांच की तो साजिश की पर्ते खुलती चली गयीं।

Posted By: Inextlive