- अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल हो चुका है समाप्त - खाली पड़ी है कुर्सी नहीं मिल रही आर

- अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल हो चुका है समाप्त

- खाली पड़ी है कुर्सी, नहीं मिल रही आरटीआई के तहत सूचना

इन आयोगों में सारे पद खाली

1. झारखंड महिला आयोग

2. झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग

3. झारखंड सूचना आयोग

पिछले सप्ताह झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरन और 2 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब झारखंड राज्य महिला आयोग पूरी तरह से अध्यक्ष और सदस्य विहीन हो गया है। यह इकलौता आयोग नहीं है, जहां अध्यक्ष और सदस्य नहीं हैं। झारखंड राज्य सूचना आयोग और झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में भी अध्यक्ष और सदस्य नहीं हैं। इन आयोगों में अध्यक्ष और सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पद खाली रहने के कारण यहां न्याय की आस लगाने वाले लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वह किस कार्यालय में न्याय के लिए आवेदन दें, क्योंकि न्याय देने वाले अधिकारियों की ही कुर्सी खाली हो गई है। मई महीने में ही सूचना आयोग के सभी पद रिक्त हो गए हैं। झारखंड बाल अधिकार संरक्षण भी करीब-करीब सदस्य विहिन हो गया है और वहां भी काम नहीं के बराबर हो रहा है।

14 महीने से लटका है ताला

राज्य के 56 लाख बच्चों को न्याय दिलाने वाला झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। करीब नौ महीने से झारखंड बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष सहित सभी छह पद खाली पड़े हुए हैं। बीते वर्ष अप्रैल महीने में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अब तक सरकार की ओर से इन पदों पर नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में बच्चों के अधिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल उठने लगे हैं। बाल संरक्षण आयोग का कार्यकाल खत्म हो जाने से बीते वर्ष 22 अप्रैल 2019 के बाद से आयोग की सारी गतिविधियां ठप पड़ गयी हैं। राज्य के लगभग 56 लाख बच्चों की इस प्रतिनिधि संस्था के निष्क्रिय पड़ जाने से स्कूलों की मॉनिटरिंग, बच्चों से जुड़े आपराधिक और गैर आपराधिक मामलों की सुनवाई ठप हो चुकी है।

महिला आयोग की अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त

झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण का कार्यकाल समाप्त हो गया। उनके साथ-साथ दो सदस्य पूनम प्रकाश और शर्मिला सोरेन का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। कल्याणी शरण की अध्यक्षता में पिछले 3 वषरें में कुल 4795 मामले दर्ज किए गए, जिसमें लगभग सभी मामले का पूरी तरह से निष्पादन किये जा चुके हैं। बता दें कि कल्याणी शरण 7 जून 2017 को अध्यक्ष पद के लिए चुनी गईं थीं। इससे पहले वह राज्य महिला आयोग में सदस्य के पद पर भी रह चुकी हैं। पिछली सरकार ने कल्याणी शरण को राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद के लिये चुना था। 7 जून 2020 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया।

नहीं ि1मल रही है सूचना

सूचना का अधिकार यानी आरटीआई को प्रभावी बनाने के लिए गठित राज्य सूचना आयोग इन दिनों सरकारी उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा है। हालत यह है कि पिछले कई महीनों से आयोग प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी के भरोसे चल रहा था। उनका भी कार्यकाल समाप्त हो गया। ऐसे में अब न केवल आयोग में सुनवाई ठप हो गयी है, बल्कि कर्मियों के वेतन पर भी संकट गहराने वाला है। आयोग के पास एक भी सूचना आयुक्त नहीं है। राज्य सूचना आयोग के पास न तो मुख्य सूचना आयुक्त है और न ही एक भी सदस्य। पिछले कई महीनों से आयोग का कामकाज अकेले प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी संभाल रहे थे। 28 अप्रैल 2015 से शुरू हुए कार्यकाल में हिमांशु शेखर चौधरी ने 29832 वादों की सुनवाई की, जिसमें 4414 को निष्पादित करते हुए 198 केसों में जनसूचना पदाधिकारियों को दंडित भी किया। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो आयोग में सुनवाई के लिए 7640 अपीलवाद लंबित हैं, जबकि 70 शिकायतवाद लंबित हैं। हर महीने 450-500 अपील आयोग तक पहुंचता है।

नेता प्रि1तपक्ष के पेंच में फंसा चयन

ऐसा नहीं है कि सरकार तक ये बातें नहीं पहुंची हैं। राज्य सरकार कोरोना बंदी से पहले सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालकर प्रक्रिया शुरू भी की थी। 300 के करीब आवेदन सरकार के पास मिला है। नियम के अनुसार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति मुख्यमंत्री के नेतृत्व में नेता प्रतिपक्ष सहित अन्य सदस्यों की कमिटी इसका चयन करती है। मगर राज्य में नेता प्रतिपक्ष का चयन अब तक नहीं होने के कारण नियुक्ति प्रक्त्रिया पर ग्रहण लगा हुआ है।

Posted By: Inextlive