लौह पुरुष कहे जानेवाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 67वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर देश के सभी लोगों ने उन्हें और देश के प्रति दिए गए उनके योगदान को याद किया। बता दें कि आज भारत का हर एक नागरिक सरदार पटेल के महान कार्यों के लिए उनका ऋणी है। इसलिए आज हम आपको बतायेंगे कि आखिर वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि क्यों दी गई।


सरदार पटेल का जीवन सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। उनके पिता झावेरभाई पेशे से किसान थे और मां लाडबाई एक साधारण महिला थीं। वल्लभ भाई की प्रारंभिक शिक्षा करमसद में हुई और उनका विवाह झबेरबा से हुआ। बाद में सरदार पटेल बैरिस्टरी की पढ़ाई करने लंदन चले गए। वहां से वे 1913 में भारत लौटे और फिर अहमदाबाद में उन्होंने वकालत करना शुरू किया। उसके बाद महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। बता दें कि भारत की आज़ादी के बाद वो देश के प्रथम गृह मंत्री व उप प्रधानमंत्री बने। इसलिए बने सरदार
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान 1928 में तत्कालीन सरकार ने किसानो के लगान में तीस प्रतिशत का इजाफा कर दिया था। पटेल ने इस लगान की वृद्धि का जमकर विरोध किया। अंग्रेजी हुकूमत वाली सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कई कठोर कदम उठाए, लेकिन फिर भी किसान अपनी मांगों पर अडिग रहे और बाद में अंग्रेजी हुकूमतों को किसानों की मांग पूरी करनी पड़ी। अंततः दो अधिकारियों की जांच के बाद तत्कालीन सरकार ने 30 फीसद लगान को घटाकर 6 फीसद कर दिया। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद बारडोली क़स्बा की महिलाओं ने वल्लभभाई को 'सरदार' की उपाधि दे दी। सूरत से इतना दूर है यह कस्बा बता दें कि यह कस्बा सूरत शहर से करीब 35 किमी की दूरी पर है। स्वाधीनता के दौरान सरदार पटेल ने यहां करीबन 22 बीघा जमीन ख़रीदा था, जिसमें आज आश्रम-कन्या विद्यालय, छात्रालय-बगीचा और म्यूज़ियम बना दिया गया है।महात्मा गांधी भी कभी रहते थे उनके घर सरदार के सत्याग्रह आंदोलन में साथ देने वाले स्वतंत्रता सेनानी नानू भाई पटेल ने बताया कि सन 1923 में सरदार पहली बार बारडोली आए थे और किसान आंदोलन से जुड़ गए। इसके बाद यही उन्होंने जमीन ख़रीदा और अपने काम को बढ़ाने के लिए इसे हेडक्वार्टर बना लिया। खास बात ये है कि पटेल अपनी लड़ाई के लिए कस्बे के किसानों को यहीं से दिशानिर्देश जारी करते थे और उस मकान में कभी-कभी आज़ादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी आकर ठहरा करते थे।सरदार की याद में म्यूजियम बनाया गया


सरदार की याद में बारडोली में म्यूजियम बनाया गया है। यह म्यूजियम 18 कमरों का है, जहां सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुर्लभ तस्वीरें हैं, जो उनके बाल्यकाल से लेकर उनके अखंड भारत के सपने को साकार करते हुए दर्शाती हैं। इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि सरदार की इन तस्वीरों को देखने की कीमत महज एक रुपए है, लेकिन फिर भी इस म्यूजियम को देखने वालो की संख्या नदारद है।

Posted By: Mukul Kumar