कटरीना कैफ की छोटी बहन इजाबेल की पहली फिल्म है यह। थियेटर में इस साल ही रिलीज हुई। लेकिन महामारी के कारण चर्चे में नहीं रही। अब नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। ओटीटी पर भी आजकल हिंदी फिल्में कम रिलीज हो रही है। ऐसे में दर्शकों के पास विकल्प के रूप में यह फिल्म आई है। लेकिन अफ़सोस रेमो डिसूजा की बाकी डांस फिल्मों की तरह ही एक सामान्य सी कहानी दर्शक इस फिल्म के माध्यम से देखेंगे। इजाबेल भी कुछ खास आकर्षित नहीं करती हैं। और सूरज के अभिनय को देख कर यही कहा जा सकता है कि अबतक अभिनय की दुनिया में इस सूरज का उदय हुआ ही नहीं है। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : टाइम टू डांस
कलाकार : सूरज पंचोली, इजाबेल कैफ, वलुश्चा डिसूजा , राजपाल यादव
निर्देशक : स्टैनली डिकोस्टा
निर्माता : लिजेले डिसूजा और भूषण कुमार
चैनल : नेटफ्लिक्स
रेटिंग : दो स्टार

क्या है कहानी
बॉलीवुड की सारी डांस फिल्मों की तरह, यहाँ भी डांस कॉम्पटीशन है लंदन में। विलियम और प्रोफेशनल डांसर ईशा (इजाबेल ) इसमें पार्टिसिपेट करते हैं। ईशा के पैर में मगर चोट लग जाती है। विलियम इस कारण उसको अलविदा कह कर आगे निकल जाता है। यहाँ ऋषभ (सूरज ) की एंट्री होती है, जो कि एक स्ट्रीट डांसर है। वह एक रेस्टोरेंट में अपने दोस्त सदा (राजपाल यादव )के साथ वेटर का काम करता है, लेकिन डांस उसका पैशन है। अब यहाँ कैसे ईशा और ऋषभ की प्रेम कहानी परवान चढ़ती है। यही कहानी है। अब चूँकि फिल्म डांस पर है तो पूरी उम्मीद थी कि अभिनय में तो नहीं, कम से कम डांस में तो ये दोनों कुछ कमाल कर पाएंगे। लेकिन अफसोस दोनों ही पूरी तरह निराश करते हैं।

क्या है अच्छा
एक दो डांस नंबर अच्छे हैं

क्या है बुरा
इजा और सूरज दोनों का अभिनय बेहद अमैच्योर नजर आया है। दोनों की केमेस्ट्री भी नहीं जमी है। दोनों ने अपने डांस के स्टाइल पर भी खास काम नहीं किया है। कहानी टिपिकल बॉलीवुड मसाला फिल्म है। रेमो के प्रोडक्शन की फिल्म है, उन्हें कुछ तो नयापन लाना चाहिए था। अब रेमो ने भी फार्मूला पकड़ लिया है और उसे ही भुनाने में लगे हुए हैं। स्क्रिप्ट बेहद कमजोर है।

अभिनय
इजाबेल बचकाना अभिनय कर रही हैं। अभी उन्हें बहुत अधिक मेहनत की जरूरत है। सूरज तो हीरो के हैंग ओवर से निकले ही नहीं हैं। इजाबेल में न चाहते हुए भी कटरीना की झलक दिख जाती है। यह उनके लिए एक बड़ी खामी बनेगी। राजपाल यादव को उनकी प्रतिभा मुताबिक कुछ खास करने का मौका मिला ही नहीं है। निर्देशन भी बेहद कमजोर हैं। हर वक़्त रेमो की ही छाप दृश्यों में नजर आती है। स्टैनली की छवि नजर नहीं आ पाई है।

वर्डिक्ट
टाइम पास करने के लिए दर्शक इस फिल्म को देख सकते हैं, लेकिन बहुत अधिक की उम्मीद न करें

Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari