Sweat shirt और casual footwear की वजह से Facebook CEO Mark Zukerberg professionals के criticism का शिकार हो रहे हैं. जरा सोचिए Mark के achievements उन्हें बचा नहीं पा रहे तो normal professionals की क्या बिसात है. कहीं आप भी तो अपने outfits को हल्के में नहीं लेते? अगर हां तो उसके नतीजों के बारे में भी जान लें...


ब्लू जींस, फंकी टी-शर्ट और फ्लोटर्स या स्पोट्र्स शूज पहने जब आप ऑफिस में कदम रखें तो हो सकता है कि आपको ‘लुकिंग कूल’ का कॉम्प्लिमेंट सुनने को मिल जाए, लेकिन इससे आपको बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि बहुत से निगेटिव कमेंट्स भी आपके लिए होते हैं जो आप तक पहुंच नहीं पाते. एक ऑर्गनाइजेशन में एचआर मैनेजर जागृति जैन कहती है΄, ‘कैजुअल ड्रेस पहनकर आप भले ही कम्फर्टेबल फील करें लेकिन इसके साथ ही आप ऑफिस के प्रोफेशनल एन्वायरमेंर्ट को डिस्टर्ब कर रहे होते हैं.’जब कोई dress code ना हो
हो सकता है आपको लगे कि जब आपके ऑफिस में कोई ड्रेस कोड नहीं हैं और कैजुअल ड्रेसेज को लेकर कोई रोक-टोक भी नही΄ है तो कैजुअल डे्रसेज पहनने से परहेज क्यों करें. जागृति कहती हैं, ‘कॉरपोरेट ऑफिसेज में फॉर्मल ड्रेसेज को एक रूल के तौर ही एक्सेप्ट किया जाता है. ऐसे में आप अपनी मर्जी से किसी कैजुअल ड्रेस में ऑफिस आते हैं तो आप रूल्स तोड़ते हैं और आपकी इमेज एक एरोगेंट एम्प्लाई की बनती है.’कितना जरूरी है सही outfit?


बॉडी लैंग्वेज एक्सपट्र्स के मुताबिक जब आप किसी से बात करते हैं तो शब्दों के जरिए सिर्फ 30 परसेंट बातें ही कन्वे होती हैं बाकि की 70 परसेंट चीजें आपके अपीयरेंस, बॉडी लैंग्वेज और जेस्चर से कन्वे होती हैं. कहने का मतलब कि आपका ड्रेस भी एक मैसेज कन्वे करता है. जागृति कहती हैं, ‘जब आपको बोलने-सुनने का बहुत मौका नहीं मिलता है तो आपका अपीयरेंस ही आपके बारे में बताता है. अगर आप कैजुअल ड्रेस में हैं तो तय है कि आपका फस्र्ट इम्प्रेशन एक अलर्ट एम्प्लाई के तौर पर नहीं बनता है.’ Research क्या कहती है?कैजुअल ड्रेसेज के इफेक्ट को देखने के लिए कुछ कम्पनियों की ओर से अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में कराए गए रिसर्च से साफ पता चला कि आपका आउटफिट काफी हद तक आपका इम्प्रेशन बनाता और बिगाड़ता है. अगर आप किसी ऐसे जॉब में हैं जहां लोगों से आपका इंटरैक्शन कम होता है तो हो सकता है आउटफिट का असर कम पड़े. आपका काम क्लाइंट डीलिंग का है तो बेहतर होगा कि आप कैजुअल ड्रेसेस को बाय बोल दें. रिसर्च में ये दो बातें खास तौर पर सामने आईं:1ज्यादातर लोगों ने माना कि सूटेबल ड्रेसअप ना होने पर जूनियर्स को इम्प्रेस करना उनके लिए मुश्किल होता है.

2 कैजुअल -ड्रेसिंग का सबसे ज्यादा निगेटिव असर सेल्स डिपॉर्टमेंट पर दिखा. रिसर्च के मुताबिक जहां एवरेज सेल्सपर्सन को भी फॉर्मल आउटफिट में क्लांइट का बेहतर रिस्पांस मिला, वहीं सही आउटफिट ना होने पर उनकी एबिलिटी कम हो गई.How it ruins your image? ऑफिस में कैजुअल ड्रेसेज पहनना ये बताता है कि आप अपने काम को लेकर सीरियस नहीं हैं. कैजुअल ड्रेसेज की वजह से आपकी प्रोफेशनल इमेज को लेकर सवाल खड़ा होता है. इंटरव्यू के लिए जितने लोग हमारे यहां आते हैं उनमें कैजुअल डे्रसेज की टेंडेंसी फ्रेश ग्रेजुएट्स में ज्यादा देखने को मिलती है और बेशक सेलेक्शन क्राइटेरिया में ये सब मायने रखता है. हमारा एक्सपीरियंस कहता है कि ऐसे लोग काफी कम होते हैं जो ड्रेस, लुक और बॉडी लैंग्वेज को लेकर लापरवाह होते हुए भी अपने काम को लेकर अलर्ट हो΄. हां  कैजुलअ ड्रेस के मामले में डिजायनर्स, इलस्ट्रेटर जैसे क्रिएटिव फील्ड से जुड़े लोगों को थोड़ी रियायत जरूर मिल जाती है.Devanshi, Sr.Executive, HR, Naukri.Com, New DelhiWhy is it a serious matter?अगर आप ऑफिस में कैजुअल ड्रेस पहन कर जाते हैं तो आपकी पर्सनैलिटी निखर कर नहीं आती. फॉर्मल ड्रेस में जाना जॉब को लेकर आपकी गंभीरता को दिखाता है.फॉर्मल ड्रेसेज को फॉर्मल ओकेजंस के लिए ही बनाया गया है. इसका खयाल रखें.
90 परसेंट से ज्यादा लोग इंटरव्यू के लिए फॉर्मल में ही ड्रेस्ड अप होकर जाते हैं. सेलेक्शन में भी  ड्रेसिंग सेंस का अहम रोल होता है.-डॉ. ए एन पांडे, साइकोलॉजिस्ट

Posted By: Surabhi Yadav