रात को सोने से पहले गूगल कीप पर अगले दिन का डे प्लान ई-वॉलेट से मोबाइल रिचार्ज यू-ट्यूब पर नई पिक्चर का ट्रेलर देखना दोस्तों के व्हाट्स ऐप मैसेजेस का जवाब और रही-सही कसर पूरी करने के लिए फ़ेसबुक – एक स्मार्टफ़ोन यूज़र का दिन बहुत ‘व्यस्तता’ के साथ बीतता है. लेकिन जैसे-जैसे आपकी स्मार्टफ़ोन से दोस्ती बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ही ये आपका राज़दार होता चला जाता है.


फ़ेसबुक पासवर्ड से लेकर गैलरी में मौजूद पारिवारिक तस्वीरें और वीडियो, बैंकिंग जानकारी, फ़ोनबुक के नंबर समेत सभी संवेदनशील जानकारी आपके फ़ोन पर सुरक्षित रहे उसके लिए भी ऐहतियात बरतना ज़रूरी है.एक अच्छा एंटीवायरस पैक आपको कई तरह के वायरस और डाटा चोरी करने वाले मालवेयर से बचा सकता है. लेकिन अगर फ़ोन चोरी हो जाए या खो जाए, तो फ़ोन के जाने के अफ़सोस से ज़्यादा ख़तरा उसमें स्टोर जानकारी के किसी ग़लत आदमी के हाथों पड़ने से हो सकता है.ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए गूगल ने खुद ही एंड्रॉएड फ़ोन्स के लिए एक सर्विस ‘एंड्रॉएड डिवाइस मैनेजर’ लॉन्च कर दी.इस ऐप के ज़रिए आप अपने खोए हुए एंड्रॉएड फ़ोन का पता लगा सकते हैं और बुरी से बुरी स्थिति में फोन की गोपनीय जानकारियों को डिलीट कर सकते हैं ताकि वो किसी ग़लत हाथ में न चला जाए.
घर में कही भी फ़ोन रखकर भूल जाने वाले भुलक्कड़ों के लिए भी इस ऐप में एक खास फ़ीचर है. आपको बस अपने कंप्यूटर तक जाना है और वहां गूगल पर लॉग-इन करके ‘रिंग’ बटन दबाना है. सब ठीक रहा तो इतने में आपका फ़ोन बज उठेगा.ऐसे फ़ीचर आई-फ़ोन में पहले ही उपलब्ध हैं, लेकिन एंड्रॉएड में अब तक इसकी कमी खलती थी.


कुछ एंटीवायरस ऐप, जैसे ‘मैकअफ़े’ और ‘क्विक हील’ भी फ़ोन फ़ाइंडर और रिमोट डाटा इरेज़र जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन सभी फ़ीचरों से युक्त ऐसे ज़्यादातर ऐप पेड होते हैं.स्मार्टफ़ोन एक तरफ जहां बहुत से काम चुटकियों में कर देता है, जैसे कि ट्रेन और फिल्मों की टिकट बुक करना, पैसा ट्रांसफ़र करना, वहीं ये आपको अनचाहे कॉल और मैसेज से भी बचा सकता है. आइए नज़र डालते हैं ऐसे ही कुछ मोबाइल टूल्स पर.फ़ोन वॉरियरआपको कॉल या मैसेज जिन नंबरों से आ रहे हैं उन्हें ये ऐप अपने 30 करोड़ नंबरों के डेटाबेस से मैच करता है और उनके बारे में जो भी जानकारियां हैं, उसे वो आपके फ़ोन स्क्रीन पर उपलब्ध कराता है.इस तरह से आप किसी भी नए नंबर से कॉल करने वाले का नाम जान सकते हैं और अगर किसी व्यक्ति का कॉल नहीं लेना चाहते हैं, तो बस ब्लॉक बटन दबा दें. बाक़ी काम ऐप कर लेता है.

कई बार लोग किसी बैंक, रेस्त्रां, रिटेल स्टोर का फीडबैक फॉर्म या डिजिटल फॉर्म भरते समय ठीक से नहीं पढ़ते और मोबाइल पर सूचना पाने का ऑप्शन टिक कर देते हैं. ऐसे में ‘डीएनडी’ यानी डू नॉट डिस्टर्ब स्थिति में भी कुछ मार्केटिंग कॉलर्स को छूट मिल जाती है और आप चाहे-अनचाहे मार्केंटिंग कॉल्स को न्यौता दे देते हैं.इस तरह के कॉलर से भी निपटने के लिए फ़ोन वॉरियर में एक स्पैम फ़िल्टर ऑप्शन मौजूद है, जो अपने रिसर्च के आधार पर कोई कॉल आते ही बता देता है कि कॉल स्पैमर का है या साधारण है.ट्रू कॉलरये ऐप काफ़ी समय से बाज़ार में है और बीते कुछ हफ्तों में इसमें कई नए प्रयोग भी किए गए हैं.ट्रू कॉलर अपने तमाम यूज़र के फ़ोनबुक से ली गई जानकारी के आधार पर बता सकता है कि जिस अनजान नंबर से यूज़र को कॉल आ रही है, वो किसका है. इस ऐप पर लोग अपना प्रोफ़ाइल भी बना सकते हैं और तस्वीर भी लगा सकते हैं.ट्रू कॉलर फ़ोन पर इंस्टॉल होने के साथ ही फ़ेसबुक, लिंक्ड-इन और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया टूल्स से भी जुड़ जाता है. ऐसे में अगर फ़ोन करने वाले का नंबर आपके मोबाइल पर सेव नहीं है, लेकिन उस व्यक्ति से आप फ़ेसबुक पर जुड़े हैं तो उनका नाम, विवरण और उनकी बड़ी तस्वीर आपके फ़ोन की स्क्रीन पर छा जाएगी.मिस्टर नंबर
ये ऐप काफ़ी सरल, साधारण लेकिन प्रभावशाली है. इसमें यूज़र को किसी नंबर को ब्लॉक या अनब्लॉक का ऑप्शन मिलता है.नंबर ब्लॉक करने के लिए उसे ऐप में सीधे दर्ज भी किया जा सकता है और फ़ोनबुक से चुना भी जा सकता है.स्मार्टफ़ोन जैसे-जैसे हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे इनकी सुरक्षा भी ज़रूरी होती जा रही है, क्योंकि अगर ये ग़लत हाथों में पड़ जाए तो जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है.

Posted By: Bbc Hindi