इंजीनियरिंग में सही कॉलेज का चुनाव करना बहुत जरूरी है क्योंकि कॉलेज फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही स्टूडेंट्स की ग्रूमिंग और स्किल सेट निर्भर करते हैं। सही कॉलेज न चुनने पर स्‍टूडेंट्स को बाद में पछताना ही पड़ता है।


कानपुर। आज के समय में इंजीनियरिंग संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अब लगभग हर शहर में प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशन्स मौजूद हैं, लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी, प्लेसमेंट जैसी कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि बाद में आपको पछताना ना पड़े।

कॉलेज लोकेशन पर दें ध्यानकॉलेज की लोकेशन साइकोलॉजिकली स्टूडेंट्स पर बड़ा असर डालती है। चूंकि इंजीनियरिंग जैसे कोर्स चार साल के लंबे समय के लिए होते हैं, लिहाजा जरूरी है कि कॉलेज को फाइनल करने से पहले आप उसकी डिस्टेंस को लेकर अपना माइंड मेकअप कर लें ताकि बीच में कोर्स छोडऩे की नौबत न आए।

प्लेसमेंट रिकॉर्ड करें चेक


प्लेसमेंट एक और इंपॉर्टेंट फैक्टर है क्योंकि इंडस्ट्री में पहला कदम आप तभी रख पाएंगे जब आपके कॉलेज में अच्छी कंपनीज हायरिंग के लिए आएंगी। प्लेसमेंट रिकॉर्ड जानने के लिए आप उस कॉलेज की हिस्ट्री चेक करें और वहां के पास्ट प्लेसमेंट्स के बारे में जानें। एडमिशन लेने से पहले ध्यान दें कि प्लेसमेंट का परसेंटेज कितना रहा और साल दर साल उसमें कितना इंप्रूवमेंट हुआ। इस बारे में बेहतर जानकारी के लिए आप कॉलेज के सीनियर्स और पूर्व छात्रों से संपर्क कर सकते हैं।

फैकल्टी की एफीशिएंसी भी है इंपॉर्टेंटफैकल्टी का मतलब है कि कॉलेज में प्रोफेसर्स कौन हैं, वे कितने एजुकेटेड हैं, और उनके एचीवमेंट्स क्या हैं। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन आपकी क्लासेज को लेकर जितना कन्सर्न होगा और आपके टीचर्स जितने एफीशिएंट होंगे, आपको नए टॉपिक्स पढने में उतना ही इंटरेस्ट आएगा। इसके अलावा गेस्ट फैकल्टी की डीटेल्स भी जानें क्योंकि इन बातों का असर आपके कोर्स पर पड़ता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर भी है जरूरीकॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब सिर्फ बड़ी बिल्डिंग नहीं होता। इसका मतलब है कि आपके कॉलेज में एफीशिएंट लैब्स मौजूद हैं या नहीं। हॉस्टल में स्टूडेंट्स को कैसी फैसिलिटीज मिल रही हैं, प्रैक्टिकल्स के स्टैंडर्ड इक्विपमेंट्स हैं या नहीं। एडमिशन लेने से पहले इस तरह की बातों को जरूर चेक करें।

एफिलिएशन को न करें इग्नोरएडमीशन के लिए कॉलेज को फाइनल करने से पहले यह जरूर चेक करें कि आपका इंस्टीट्यूट कहां से एफिलिएटेड है। कई बार स्टूडेंट्स को कोर्स कंप्लीट होने के बाद इस तरह के इश्यूज से डील करना पड़ता है, जिसका बुरा असर उनके करियर पर पड़ता है।

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Posted By: Chandramohan Mishra