- पीपल, नीम जैसे पेड़ों का चुनाव जरूरी

- मौसम बदलने के साथ चले हवा तो मिले शहर को राहत

- शहर का एक्यूआई लगातार बना है खराब

LUCKNOW: राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब बना हुआ है। दो दिनों से इसमें कुछ कमी देखी जा रही थी, लेकिन बुधवार को एक्यूआई फिर बढ़कर 279 हो गया है जबकि मंगलवार को शहर का एक्यूआई 269 और सोमवार को 294 था। ऐसे में लोगों को अपने हेल्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। वहीं एक्सपर्ट का भी मानना है कि पॉल्यूशन से लड़ने के लिए साफ-सफाई के साथ ज्यादा से ज्यादा देशी पेड़ों को लगाना चाहिए।

पेड़ों की पत्तियों से पड़ता है फर्क

एनबीआरआई में सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ। विवेक पांडे ने बताया कि अचानक से तापमान कम हुआ है। टेंपरेचर इंवर्जन होने से ऊपर ब्लैंकेट जैसा बन जाता है। ऐसे में पॉल्यूशन बढ़ता है तो बाहर नहीं हो पाता है। इसके साथ खराब रोड पर धूल ज्यादा उड़ती है और झाड़ू लगाने से भी डस्ट पार्टिकल उड़ता है। ऐसे में पत्तियों का रोल भी डस्ट पार्टिकल को कम करने में होता है। हरसिंगार या पीपल की पत्तियां खुर्दरी होती हैं, जो डस्ट को कैप्चर करते हुये सस्पेंडेट पार्टिकल को कम करने का काम करती हैं। वहीं बारिश होने पर यही पत्तियां साफ हो जाती हैं। शहर में ओजोन और पीएम10 और पीएम2.5 का प्रॉब्लम ज्यादा है।

देसी पेड़ों को ज्यादा लगाएं

आईआईटीआर के निदेशक प्रो। आलोक धवन ने बताया कि पत्ते डस्ट पार्टिकल को सतह देते हैं, जो बारिश या हवा चलने से साफ हो जाते हैं। जिन एरिया में ग्रीनरी नहीं होती है वहां डस्ट पार्टिकल सेटल नहीं हो पाते हैं। वहां एनवायरमेंट में उड़ते रहते हैं इसलिए बड़ी पत्तियों वाले पेड़ ज्यादा लगाने चाहिए क्योंकि इनकी पत्तियों का सरफेस एरिया ज्यादा है। वहीं सीनियर साइंटिस्ट प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि हमे पीपल, पाकड़ व बरगद जैसे देसी पेड़ों की ओर वापस जाना होगा। यह पॉल्यूशन को कम करने का काम करती है। हमे स्मार्ट तरीके से काम करना चाहिए तभी पॉल्यूशन को सही मायनों में कम कर पाएंगे।

बाक्स

शहर एक्यूआई

लखनऊ 273

मेरठ 280

मुरादाबाद 280

दिल्ली 242

मुजफ्फरनगर 343

Posted By: Inextlive