- भू-गर्भ जल विभाग के अधिकारी जेम्स लॉयल ने पर्यावरण सरंक्षण का उठाया बीड़ा

- आकाशवाणी से मिली सराहना, गीतों के जरिए लोगों को कर रहे अवेयर

बरेली : हरे भरे खेतों में पीली पीली सरसो..उमड़-घुमड़ कर मेघा ऐसे बरसो..इन लाइंस को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि संदेश हरियाली बढ़ाने का है..जी हां, यह एक पर्यावरण प्रेमी अधिकारी के गीत की लाइंस है. वह इस तरह के गीत लिखकर शहरवासियों को लगातार अवेयर कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं भू-गर्भ जल विभाग में क्षेत्रीय सहायक अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे जेम्स लॉयल की. उनका मानना है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है. आज के जो हालात हैं वह भयावह हैं. लगातार गिर रहे अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल से भविष्य में पानी की भारी कमी हो जाएगी. अगर प्रयास से कुछ लोग ही इस जल संरक्षण की मुहिम में शामिल हो जाते हैं तो उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्यपूर्ण हो जाएगा.

आकाशवाणी के जरिए भी दिया संदेश

जेम्स लॉयल बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें गीत-संगीत का शौक था. पियानो, गिटार समेत अन्य कई वाद्य यंत्र बजाना उन्होने महज 12 साल की उम्र में सीख लिए. वर्ष 1991 में आकाशवाणी केंद्र रामपुर से जुड़े और पर्यावरण सरंक्षण के लिए कई कविताएं और गीत आकाशवाणी पर प्रसारित हुए. उनके 17 गीत ऑन एयर हुए.

घर-घर जाकर लोगों को कर रहे अवेयर

जेम्स लॉयल वर्ष 2017 के जनवरी माह में रिटायर हुए हैं. अपने परीक्षण में कई बार उन्होने पाया कि अंडर ग्राउंड वाटर लेवल लगातार गिर रहा है. लेकिन सरकारी विभाग इस समस्या से परेशान होने की बजाए कागजों में ही अवेयरनेस प्रोग्राम चलाकर खानापूर्ति कर रहे हैं. उन्होने सोचा कि लोगों को जल सरंक्षण के प्रति जागरूक करना चाहिए फिर क्या था उन्होने अपने निजी खर्च से अवेयरनेस पंपलेट छपवाए और घर-घर जाकर लोगों को पानी बचाने और पौधरोपण करने के लिए जागरुक किया.

ये दिए संदेश

जल की बचत करें, बेवजह पानी का दोहन न करें, जितनी आवश्यकता है उतना ही पानी यूज करें. कपड़ों को धोते समय टंकी को खुला न छोड़ें. व्यर्थ जल बहाओगे तो पृथ्वी कैसे बचाओगे. फसलें उगाओ, भाईयों धरती को हरा-भरा बनाओ. देश को आगे बढ़ाओ जल को बचाओ.

Posted By: Radhika Lala