क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: सिटी में तंबाकू का व्यापार करने वालों ने कोटपा कानून को अपनी जेब में रख लिया है और सड़कों पर धड़ल्ले से तंबाकू उत्पाद बेच रहे हैं. कोटपा कानून से खिलवाड़ करने का सिलसिला तो सालों भर चलता रहता है और जिला प्रशासन कोरम पूरा करने के लिए कभी कभी छापेमारी भी करता है लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता. सिटी को स्मोक फ्री जोन बनाने का अभियान कई सालों में कई बार बन चुका है और कई बार फेल हो चुका है. पूरे शहर में साफ देखा जा सकता है कि कोई खुलेआम सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करता रहता है तो कहीं स्कूलों के सामने धड़ल्ले से पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट बेचे जा रहे हैं. सारी योजनाएं और निर्देश फाइलों में दफन होकर रह जा रहे हैं.

पूर्व चीफ सेक्रेटरी जारी की थीं आदेश

राज्य की पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने राज्य में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद कानून (कोटपा) के प्रावधानों को सख्ती से लागू कराने का आदेश जारी किया था. उन्होंने इस आशय का पत्र राज्य के डीजीपी डीके पांडेय को भी लिखा और जिला अनुमंडल तथा पुलिस स्टेशन स्तर पर नियमित रूप से धावा दलों द्वारा छापा डाले जाने तथा इस क्रम में कानून का उल्लंघन करनेवालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने को लेकर अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों को निर्देश देने को कहा. लेकिन सीएस के रिटायरमेंट के साथ मामला ठंडे बस्ते में धूल फांक रहा है.

स्कूलों के मेन गेट पर नहीं लगे बोर्ड

स्कूलों के मेन गेट पर कोटपा कानून की जानकारियां, कानून, निषेध और सजा-जुर्माना से संबंधित बोर्ड लगाए जाने थे जो कई स्कूलों में अभी तक नहीं लगाए गए हैं. उल्टा स्कूलों के सामने पान, गुटखा, तंबाकु और सिगरेट की दुकानें खोली जा रही हैं. तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003 कोटपा पूरे राज्य में लागू है. कानून तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ एक-दो बार अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन उसके बाद जैसे ही अभियान बंद होता है वैसे ही कानून का डर भी लोगों के मन से निकल जाता है.

क्या है कानून

इस अधिनियम के अनुसार, सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है. जबकि शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ मंदिर, मस्जिद आदि की 100 मीटर परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध है. इस अधिनियम को लागू कराने के लिए थानेदारों तक को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन विडंबना यह है कि चौक-चौराहा हो या सार्वजनिक स्थल कानून का धुआं सरेआम उड़ाया जा रहा है.

क्या कहते हैं आंकड़े

झारखंड में आधे वयस्क 50.10 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. इस मामले में झारखंड की स्थिति काफी चिंताजनक इसलिए है कि यह राष्ट्रीय औसत 28.6 फीसदी से काफी अधिक है. राज्य में तंबाकू का सेवन करनेवालों में 47.9 फीसदी लोग चबानेवाले तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. झारखंड में किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करनेवालों में 63.6 प्रतिशत पुरुष तथा 35.9 फीसदी महिलाएं हैं.

वर्जन

शहर के लोगों को इस मामले में जागरूक होने की जरूरत है. तंबाकू धीमा जहर है जो सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स को प्रभावित कर सकता है. हमलोगों को एक अभिभावक के तौर पर सोचना होगा और निर्णय लेना होगा कि इस कानून का सख्ती से पालन हो. जहां कहीं भी इस तरह की ढिलाई या कोटपा कानून का उल्लंघन नजर आए तुरंत जिला प्रशासन को सूचित करें.

आर महिमापत रे, डीसी, रांची

Posted By: Prabhat Gopal Jha