केस नंबर- 1

प्राइवेट कंपनी में कार्यरत शरद ने घर में शौचालय निर्माण के लिए चार माह पहले 8 हजार रुपये ब्याज पर लिए थे। जिससे शौचालय के लिए गड्ढा भी खुदवा लिया। इसके फोटो भी नगर निगम में जमा भी करा दी। बावजूद इसके, उन्हें एक भी पैसा नहीं मिला है। जिस कारण शरद परेशान है।

केस नंबर- 2

कंचन रानी घर-घर जाकर खाना बनाने का काम करती है। घर में शौचालय निर्माण के लिए कंचन ने भी पैसे ब्याज पर लिए। उसका कुछ का भी शुरू करा दिया। इसके फोटो भी नगर निगम में जमा करा दिए। लेकिन अभी तक उसे पैसे नहीं मिल सके हैं।

केस नंबर- 3

अनिल कुमार कारीगर है। उसने भी अपने घर में शौचालय बनवाने के लिए कर्ज लिया। निगम में करीब तीन माह पहले फोटो जमा कर दिया था। टॉयलेट का निर्माण भी करा दिया है। अब निगम से पैसा लेने के लिए अनिल चक्कर काट रहा है। लेकिन अभी तक उसको पहली किश्त तक नहीं मिली है।

केस नंबर- 4

मंगली देवी अपने बेटे के साथ रहती है। उनका बेटा जूस का ठेला लगाता है। मंगली देवी ने अपने घर में शौचालय बनवाने के लिए ब्याज पर पैसा लिया था। उसके घर में शौचालय का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। बावजूद इसके मंगली देवी के खाते में जहां दूसरी किश्त पहुंच जानी चाहिए थी। वहां पर पहली किश्त भी नहीं पहुंची है।

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- 36 हजार शौचालय शहर में बनवाने हैं नगर निगम को

- 2019 तक पूरा करना है प्रोजेक्ट निगम को

- 14,498 आवेदन आए हैं नगर निगम के पास

- 7154 आवेदनों का हो चुका है वेरीफिकेशन

- 7126 आवेदनों को अप्रूव भी कर दिया गया

- 490 आवेदकों को केवल अभी तक

पूरा पैसा दिया गया

- 380 आवेदकों को सिर्फ 50 फीसदी पैसा दिया गया

- ब्याज पर पैसा लेकर शौचालय बनवा रहे लोग

- स्वच्छ भारत मिशन को लगा रहा पलीता

मितेंद्र गुप्ता

आई एक्सक्लूसिव

मेरठ। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार घरों में शौचालय का निर्माण करा रही है। इसके लिए लाभार्थी को धनराशि भी मुहैया कराई जाती है। लेकिन हकीकत इससे इतर है। वास्तव में लोग ब्याज पर पैसे लेकर टॉयलेट का निर्माण तो कर रहे हैं। लेकिन नगर निगम उन्हें योजना से लाभाविंत नहीं कर रहा है। खाते में पैसे न मिलने से लोग परेशान घूम रहे हैं। हर रोज में नगर निगम के अधिकारियों और बाबुओं से मनुहार करते हैं। लेकिन विभागीय अधिकारी उन्हें टका सा जवाब दे देते हैं। खास बात यह है बीते दिनों कैंट क्षेत्र को ओडीएफ फ्री घोषित होने से रक्षा मंत्री पुरस्कृत भी कर चुकी है। लेकिन नगर निगम की लापरवाही का खामियाजा लाभार्थी भुगत रहे हैं। और कर्ज के बोझ से दबे जा रहे हैं।

बेपरवाह हैं अधिकारी

गौरतलब है कि घरों में टॉयलेट निर्माण और खुले में शौच रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से भी घोषणा कर चुके हैं। लेकिन शहर में निगम के अधिकारी महत्वाकांक्षी योजना को ही पलीता लगा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक नगर निगम को 2019 तक 36 हजार शौचालय शहर में बनवाने हैं, जिसके तहत 14,498 आवेदन आए हैं। इसमें से 7,154 का वेरीफिकेशन हो चुका है। वहीं, 7,126 आवेदनों को अप्रूव कर दिया गया है। लेकिन अभी तक सिर्फ 490 आवेदकों को ही पूरा पैसा दिया गया है। जबकि 380 आवेदकों को 50 फीसदी राशि उपलब्ध करा दी गई है। शेष लाभार्थियों को पैसा देना अभी बाकी है।

यह है नियम

- 50 फीसदी राशि यानि 4 हजार रूपये की पहली किश्त शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदने पर दी जाती है।

- 50 फीसदी राशि यानि 4 हजार रूपये की दूसरी किश्त शौचालय का निर्माण पूरा होने पर लाभार्थी को दी जाती है।

वर्जन

शासन से जितना पैसा आया था। वह लाभार्थियों के खातों में नियमानुसार भेज दिया गया है। शासन से पैसा आ गया है। शेष जो लोग बचे हैं और जिनके फोटो अपलोड हो गए हैं। उनके खातों में पैसा भिजवा दिया जाएगा।

डॉ। कुंवर सेन नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम

Posted By: Inextlive