टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार ने रविवार को ब्रांज मेडल जीता था। मगर सोमवार को उनसे यह पदक वापस ले लिया गया। विनोद का फिर से क्लाॅसीफिकेशन किया गया था जिसमें वह अयोग्य निकले। ऐसे में उनसे मेडल वापस ले लिया गया।

टोक्यो (पीटीआई)। भारतीय डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार ने सोमवार को पैरालंपिक में एफ52 वर्ग का कांस्य पदक गंवा दिया। 41 वर्षीय बीएसएफ के जवान, जिनके आर्मी मैन पिता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान घायल हो गए थे। उन्होंने पोलैंड के पिओटर कोसेविक्ज (20.02 मीटर) और वेलिमिर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे तीसरा स्थान हासिल करने के लिए 19.91 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। यह प्रतियोगिता रविवार को हुई थी। मगर एक दिन बाद उनसे मेडल वापस ले लिया गया।

क्या कहा आयोजकों ने
फाइनल रिजल्ट को को कुछ प्रतियोगियों ने चुनौती दी थी। जिसके बाद क्लाॅसीफिकेशन का फिर से निरीक्षण किया गया। आयोजकों ने एक बयान में कहा, "पैनल ने पाया कि एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को &स्पोर्ट क्लास' आवंटित नहीं कर पाया और खिलाड़ी को &क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया' (सीएनसी) के रूप में वर्गीकृत किया है। ''इसके अनुसार, &&एथलीट इसलिये पुरूषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिये अयोग्य है और कंप्टीशन में उनका रिजल्ट अनवैलिड घोषित किया जाता है।'

जानिए क्या हैं खेल के नियम
बता दें कि एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। ऐसा नहीं है कि विनोद को अचानक इस कंपटीशन के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। इससे पहले आयोजकों ने 22 अगस्त को विनोद का क्लासिफिकेशन किया था। मगर अब मेडल जीतने के बाद पुनः परीक्षण में उन्हें अयोग्य माना गया।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari