बॉक्सिंग पर फिल्म है। अज्जू अली की कहानी है। लेकिन पूरी फिल्म देखते हुए आप अज्जू भाई को कम सुल्तान भाई को अधिक याद करते नजर आएंगे। ऐसा क्यों है इसके लिए आपको यह रिव्यु पूरा पढ़ना होगा। फरहान अख्तर और राकेश ओम प्रकाश साथ में जब आ रहे हैं तो उम्मीदें बढ़ जाती हैं फिल्म से। लेकिन यहाँ निराशा ही हाथ लगी है।

फिल्म : तूफ़ान
कलाकार : फरहान अख्तर, परेश रावल, मृणाल ठाकुर
निर्देशक : राकेश ओम प्रकाश मेहरा
ओटीटी : ऐमेजॉन प्राइम वीडियो
रेटिंग : दो स्टार

क्या है कहानी
अजीज (फरहान अख्तर) एक मवाली टाइप आदमी है, वसूली करता है, मोहल्ले में उसकी इज्जत नहीं है। लेकिन उसको बॉक्सिंग पसंद है। और उसको भी इज्जत भी कमाना है, तभी जिंदगी में उसके एक डॉक्टर आती है अनन्या( मृणाल ठाकुर) जो उसको सही रास्ता दिखाती है। अब अज्जू को एक सम्मान भरी जिंदगी की लालसा होती है। नाना भाई ( परेश रावल) बॉक्सिंग के सुपर कोच माने जाते हैं। लेकिन नाना एक हिन्दू लड़की के भी पिता हैं। मतलब अनन्या के। अनन्या अज्जू अली से शादी करती है और कहानी बदल जाती है। बॉक्सिंग से कम ये एक सपाट टिपिकल हिंदी फिल्म बन कर रह जाती है। न फिल्म देख कर कोई प्रेरणा मिलती है, न ही बॉक्सिंग की कोई बारीकी ही समझ में आती है। लेकिन लगातार आपको याद आती है सलमान खान की फिल्म सुल्तान की। वहां धोबी पछाड़ था, लेकिन एक लड़की के प्रेम के इर्द-गिर्द कहानी बुनी गई थी। यहाँ भी कुछ ऐसा ही था। लेकिन बेहद उबाऊ तरीके से।

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क्या है अच्छा
फरहान की मेहनत बॉक्सर के रूप में दिखती है, उनका बॉडी लैंग्वेज, अपनी बॉडी पर की गई मेहनत सबकुछ।

क्या है बुरा
कहानी बेहद उबाऊ है। पुरानी टिपिकल लव स्टोरी है। नयापन नहीं है। स्पोर्ट्स ड्रामा देख कर जो प्रेरणा मिलती है, उसकी कोई गुंजाईश नहीं फिल्म में। संवाद भी दमदार नहीं। कह सकते हैं कि इस तूफ़ान ने कहानी, इमोशन, संवाद सबको डूबा दिया है।

अदाकारी
फरहान ने अपने ऊपर काफी मेहनत की है। अभिनय के लिहाज से थोड़ा बोर करते हैं वह। मृणाल में ताजगी है। परेश ने भी जान डाल कर अभिनय नहीं किया है।

वर्डिक्ट
फरहान के फैन और स्पोर्ट्स ड्रामा समझ कर अगर आप यह फिल्म देखते हैं तो फिल्म निराश करेगी आपको।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari