भारतीय सेना दुनिया की टॉप पांच सेनाओं में आती है। भारत ताकतवर हथियारों के सबसे बड़े आयातक देशों में शामिल है। भारतीय सेना के पास दुनिया के ऐसे कई ताकतवर हथियार हैं जिससे वह दुश्मन देशों के पसीने छुड़ा सकता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2015 के दौरान भारत ने सबसे ज्यादा बड़े हथियार खरीदे हैं इस मामले में भारत चीन और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे है।

सुखोई फाइटर जेट
सुखोई फाइटर जेट की कीमत 358 करोड़ रुपए प्रति यूनिट है। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना में शामिल खतरनाक फाइटर प्लेन है। मल्टीरोल वाला यह फाइटर प्लेन रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई और भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इसकी उड़ान की रेंज 4000 किलोमीटर से ज्यादा है। यह एक बार में 8000 किलोग्राम तक हथियार कैरी कर सकता है। यह पाकिस्तान के अमेरिकी फाइटर प्लेन F-16 से बेहतर है। सुखोई-30MKI कुछ ऐसी तकनीकों से लैस है जोकि दुनिया में किसी और फाइटर प्लेन में नहीं है। जैसे इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है। जो इसे किसी भी मौसम में रात-दिन काम करने के काबिल बनाता है। ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम लगा है।

एनएजी मिसाइल कैरियर
एनएजी मिसाइल कैरियर की लागत 300 करोड़ रुपए है। एनएजी डीआरडीओ की ओर से बनाई गई फायर एंड फॉरगेट एंटी टैंक मिसाइल है। यह फ्लाइट स्पीड 230 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से से 4-5 किलोमीटर तक वार कर सकती है। एनएएमआईसीए एनएजी मिसाइल रखने वाला कैरियर है। जो कि 12 मिसाइल एक साथ रख सकता है। जिसमें 8 हमले के लिए तैयार रहती है।

फाल्कोन ऑक्स
फाल्कोन ऑक्स की कीमत 2200 करोड़ रुपये है। यह एयरक्राफ्ट, शिप और वाहनों को लंबी दूरी से ट्रैक करने का काम करता है। पूरी दुनिया में भारतीय वायु सेना के पास सबसे आधुनिक एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम है। यह 360 डिग्री रडार में काम करता है और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल्ड है। यह 400 किलोमीटर दूर तक वाहनों को ट्रैक कर सकता है।

टी-90एस भीष्म
दुश्मन से सीधी लड़ाई के लिए यह टैंक भारत के ब्रह्मास्त्र की तरह हैं। इससे 5 किलोमीटर के दायरे तक प्रहार किया जा सकता है। इस टैंक की खासियत है कि इस पर किसी भी तरह के केमिकल या बायोलॉजिकल हमले और रेडियोएक्टिव हमले का असर नहीं होता। भीष्म को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हमला होने पर बम इस टैंक से टकराकर कमजोर पड़ जाए और टैंक के अंदर बैठे जवानों को नुकसान न होने पाए। 48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है। जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है।

पिनाका
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर में अनेक विशेषताएं हैं। पिनाका एक ऐसी हथियार प्रणाली है जिसका लक्ष्य मौजूदा तोपों के लिए 30 किलोमीटर के दायरे के बाहर पूरक व्यवस्था करना है। कम तीव्रता वाली युद्ध जैसी स्थिति के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और तेजी से दागने की क्षमता सेना को बढ़त दिलाती है।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra