शुरू हो चुकी है जंग अमेरिका और उत्‍तर कोरिया के बीच. मशीन गन या मिसाइल्‍स के साथ नहीं बल्कि ये है साइबर जंग और इस जंग की वजह बनी है हॉलीवुड फ‍िल्‍म 'द इंटरव्‍यू'. बड़ी बात तो यह है कि उत्‍तर कोरिया और अमेरिका को हिलाने के बाद इस साइबर जंग का शंखनाद भारतीय साइबर स्‍पेस पर भी हो चुका है. तो अब जरूरत है भारतीयों को भी इस जंग के बारे में सबकुछ विस्‍तार से जान लेने और उससे बचाव करने की. इस बारे में आपको बताते चलें कि फ‍िल्‍म 'द इंटरव्‍यू' के छद्म नाम से एक वायरस भारतीय साइबर स्‍पेस में बुरी तरह से सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है. यहां यह भी बताना बहुत जरूरी है कि इससे सबसे ज्‍यादा नुकसान एंड्रॉयड आधारित स्‍मार्टफोन को पहुंच सकता है.

जासूसों ने ट्रोजन श्रेणी के वायरस के बारे में बताया
फिलहाल साइबर सुरक्षा के जासूस जुट गये हैं इसके बारे में हर जरूरी जानकारी को जुटाने में. ऐसे में इन जासूसों ने घरेलू इंटरनेट सर्किट में ट्रोजन श्रेणी के इस वायरस की पहचान कर ली है. इसके बाद जानकारी मिली है कि यह वायरस यूजर को हॉलीवुड की विवादित फिल्म 'द इंटरव्यू' को डाउनलोड करते ही छद्म विकल्प देता है. फिर स्मार्टफोन से सारी गोपनीय जानकारियों को चुरा लेता है. कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सीईआरटी-इन) ने अपनी ताजा एडवाइजरी में बताया है कि इंस्टॉल होने के बाद यह फिल्म का पोस्टर दिखाता है.
और फिर मिलता है फ्री में फिल्म दिखाने का झांसा भी    
बताते चलें कि वायरस के इंस्टॉल होते समय यह यूजर से कई तरह की अनुमति भी मांगता है. इतना ही नहीं यह यूजर को पूरी फिल्म 'द इंटरव्यू' नि:शुल्क दिखाने का दावा भी करता है, लेकिन तब तक वायरस आपके फोन को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले चुका होता है. सीईआरटी-इन भारतीय इंटरनेट डोमेन में हैकिंग, फिशिंग और सुरक्षा से जुड़े अन्य मसलों के खिलाफ नोडल एजेंसी भी है. गौरतलब है कि साइबर प्रोटोकॉल में ट्रोजन वायरस को सबसे खतरनाक वायरस में गिना जाता है. ऐसा इसलिये क्योंकि यह बहुत ही चतुराई के साथ यूजर के डाटा को चुरा लेता है.
जानें इन Top 5 वायरस के बारे में
पहला है MYDOOM (2004)
अब तक 38 अरब डॉलर और 20 लाख पीसी को नुकसान पहुंचा चुका है ये वायरस. आपको बता दें आखिरकार ये है क्या. इसे एक प्रकार का कीड़ा ही मानें जो मेल के जरिये इधर-उधर फैलता है. आपकी मेल पर ये आपको बाउंस मैसेज के रूप में दिखाई देगा. जब इससे अनभिज्ञ व्यक्ति अपनी मेल खोलता है, तभी एक गलत मंशा वाला कोड खुद ब खुद डाउनलोड हो जाता है और तुरंत ही उस वयक्ति की आउटलुक एड्रेसबुक को चोरी कर लेता है. अब यहां से ये वायरस इस व्यक्ति की मेल से जुड़े उसके दोस्तों, रिश्तेदारों, परिजनों और कलीग्स हर किसी के मेल पर अपने आप ही पहुंच जाता है और सबको इसी क्रम से नुकसान पहुंचाता है.
दूसरा है SOBIG.F (2003)
ये वायरस अब तक 37 अरब 10 करोड़ डॉलर और 20 लाख पीसी को नुकसान पहुंचा चुका है. यह वायरस भी एक तरह से ट्रोजन ही है. ये मैलवेयर के अलावा अन्य कुछ रूपों में भी आपको दिशाभ्रमित करता है. जैसे ही यूजर अपनी मेल को खोलता है, तुरंत ही इस वायरस रूपी कीड़ा उसको अपना निशाना बना लेता है और मेल के सभी एड्रेसेस को अपना शिकार बना लेता है. इसके बाद ये मैसेज, यूजर के इनबॉक्स और इमेल्स के जरिये और लोगों तब पहुंच जाता है. अभी तक
तीसरा है I LOVE YOU (2000)
अब तक ये वायरस 15 अरब डॉलर और 5 लाख पीसी को नुकसान पहुंचा चुका है. ये एक तरह के बेहद मासूम से दिखने वाले ई-मेल के रूप में होता है, जिसपर लिखा होता है 'I LOVE YOU'. इस मेल को खोलते ही एक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम अचानक फैल जाता है, जो यूजर की इमेज फाइल्स को ओवरराइट कर देता है. इसको खासतौर पर इंटरनेट एक्सेस के पासवर्ड को चोरी करने के लिये बनाया गया है. ये वायरस खुद ही मेल की यूजर विंडो एड्रैस बुक में दर्ज पहले 50 कॉन्टैक्ट्स को मेल भेज देता है.   
चौथा है CODE RED (2001)
ये वायरस अब तक 2 अरब 60 करोड़ डॉलर और 10 लाख पीसी को अपनी चपेट में ले चुका है. ये एक तरह का कीड़ा है, जो विंडोज 2000 और विंडोज NT में भेद्यता के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम का शोषण करता है. ये कुछ वेबसाइट्स को बिगाड़ने की अनुमति देता है. उदाहरण के तौर पर हाल ही में व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर इस वायरस ने अटैक किया था. ये वायरस बेतरतीब ढंग से एक ही समय पर एकसाथ 100 IP एड्रैस को सलेक्ट करता है, माइक्रोसॉफ्ट सिस्टम के जरिये पूरे कम्प्यूटर को स्कैन करता है और उससे जुड़े और कम्प्यूटर्स तक फैल जाता है.
पांचवा है SLAMMER (2003)
ये वायरस अब तक 1 अरब 20 करोड़ डॉलर और 2 लाख पीसी को चोट पहुंचा चुका है. इंटरनेट के इस कीड़े को Sapphire नाम से भी जानते हैं, जो सीधे-सीधे इंटरनेट की सर्विस पर आक्रमण्ा करता है. इससे आहिस्ता-आहिस्ता इंटरनेट ट्रैफिक धीमा पड़ने लगता है. ये नेटवर्क पैकेट की बाढ़ को छोड़कर और डेटा की इकाइयों को इंटरनेट पर प्रसारित करके अपना काम दिखाता है. जैसे ही इंटरनेट के जरिये ये अन्य नेटवर्क पर फैलना शुरू करता है, इसका आकार हर 8.5 सेकेंड में बढ़ने लगता है. ये बेतरतीब ढंग से IP एड्रेस को सेलेक्ट करता है और अतिसंवेदनशील मेजबानों को उनमें से छांट लेता है. आपको बताते चलें कि इस वायरस की चपेट में आने वालों में अमेरिका के बैंक और एटीएम, महाद्वीपीय एयरलाइंस और ओहियो में न्यूक्लीयर प्लांट शामिल है.

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Posted By: Ruchi D Sharma