साहित्‍यकारों और फिल्‍मकारों द्वारा सम्‍मान लौटाने के बाद वैज्ञानिक पीएम भार्गव भी उनके साथ खड़े हो गए हैं। भार्गव ने घोषणा की है वह अपना पद्म भूषण पुरस्‍कार लौटा रहे हैं। क्‍योंकि मोदी सरकार भारत को हिंदू धार्मिक निरंकुशतंत्र में बदलने का प्रयास कर रही है।

आजादी में बाधा
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉल्यिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के संस्थापक निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक पीएम भार्गव खुद को मिले पद्म भूषण सम्मान को लौटाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने ऐसा देश में हो रहे तर्कवादियों की हत्याओं और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर साहित्यकारों और फिल्मकारों की ओर से सरकार के विरोध को समर्थन देने के इरादे से किया है। भार्गव ने कहा कि जो हालात हैं वह मेरी आजादी में बाधा है, जिसे मैं पसंद नहीं करता। विरोध के तौर पर मैं सम्मान लौटा रहा हूं। उन्होंने कहा कि 'सरकार और संघ तय करने का प्रयास कर रहे हैं कि हम क्या करें और क्या खाएं ।हम धर्मिक कट्टरता से अपने लोकतंत्र को खत्म नहीं कर सकते'।
वैज्ञानिकता को चोट पहुंचाई गई
सूत्रों के अनुसार, भार्गव ने कहा कि वह 'सरकार की ओर से तर्कवाद, साहित्य और विज्ञान पर हमले' के विरोध में अपना सम्मान लौटाएंगे। सरकार के खिलाफ वैज्ञानिकों, लेखकों और कलाकारों की मुहिम के समर्थन में बुधवार को 107 वरिष्ठ वैज्ञानिकों की ओर से ऑनलाइन बयान के जरिये समर्थन देने के कुछ घंटों बाद भार्गव ने यह ऐलान किया। 1986 में पद्म भूषण से सम्मानित पीएम भार्गव ने कहा कि विज्ञान के लिए मुझे मिले सौ से ज्यादा सम्मान में 'पद्म भूषण' का विशेष स्थान रहा है, लेकिन अब मेरा इस पुरस्कार से कोई लगाव नहीं रहा है जब सरकार धर्म को सांस्थानिक रुप देने का प्रयास कर रही है, आजादी छीनी जा रही और वैज्ञानिकता को चोट पहुंचाई जा रही है।

परमाणु बम जितना खतरा

भार्गव ने कहा कि सम्मान लौटाने का यह उनका व्यक्तिगत फैसला है। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अन्य वैज्ञानिक अपना सम्मान लौटाकर विरोध दर्ज कराएंगे या नहीं। भार्गव ने कहा कि हालांकि मुझे उम्मीद है कि युवा वैज्ञानिक भी अपनी आवाज उठाएंगे। गौरतलब है कि मंगलवार को देश के 135 वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संबोधित एक ऑनलाइन याचिका के जरिये देश में बढ़ती कट्टरता को परमाणु बम सरीखा खतरनाक करार दिया था।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari