-हाईस्कूल में प्रदेश में टॉप करने वाली अंजली वर्मा की मां चक्रवर्ती की त्याग की कहानी

ALLAHABAD: बिटिया को सफल बनाने के लिए मां ने कलेजे पर पत्थर रख उसे घर से दूर भेज दिया। इस त्याग का सुफल कुछ यूं निकला कि बेटी ने जिला तो छोडि़ए, पूरे प्रदेश में नाम रोशन कर दिया। यह कहानी है यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में प्रदेश में परचम लहराने वाली अंजली वर्मा की माता चक्रवर्ती वर्मा की।

बड़ी बेटी को छोड़ा दिया था ननिहाल

चक्रवर्ती शर्मा पेशे से प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका हैं। उन्होंने बताया कि पांच से लेकर कक्षा आठ तक वह हमेशा जिद करती थी कि मुझे खाने में पूरी-सब्जी दिया करो। स्कूल घर से तेरह किमी दूर था तो शहर में किराए पर कमरा लिया था, जो स्कूल से तीन किमी की दूरी पर था। रोजाना उसकी जिद के हिसाब से पूरी-सब्जी देती थी।

रोज फोन कर पूछती, क्या खाया

2016 में चचेरे भाई के साथ अंजली ने शिवकुटी में किराए के कमरे में रहना शुरू किया। हर रोज उनकी मां पूछती थी कि क्या खाया? उन्होंने बताया कि दो बार अंजली की तबियत खराब हुई तो यहां पर आई। लेकिन उसने हर बार यही कहा कि करियर बनाना है मां, आप चिंता न करो, तबीयत ठीक हो जाएगी। हाईस्कूल टॉप करने के बाद चक्रवर्ती शर्मा की उम्मीदों को बल मिल गया है। वह कहती हैं कि अब लगता है कि बिटिया को इंजीनियरिंग करके वैज्ञानिक बनने का जो सपना देखा है वह पूरा हो सकता है।

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दूसरी स्टोरी

तीन साल तक बेटे की पैर की मालिश करना नहीं भूली मां

-हाईस्कूल के टॉपर प्रांजल की माता गीता के संघर्षो की दास्तान

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न्रुरुन्॥न्क्चन्ष्ठ: तीन साल तक मां गीता सिंह अपने बेटे के लिए रात में तीन बजे जग जाती थी। देर शाम जब प्रांजल स्कूल से घर लौटता था तो उसके पैरों की मालिश करतीं। जब तक उसे अपने हाथों से खाना ना खिला देती थीं तब तक दूसरा काम नहीं करती थीं। मां गीता की तपस्या का परिणाम उम्मीदों से बढ़कर निकला। इस बार यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में प्रांजल ने पूरे प्रदेश में पांचवां स्थान हासिल किया।

भोर में तीन बजे उठ जाती थी मां

कोरांव निवासी डॉ। एके सिंह के पुत्र प्रांजल का दाखिला कक्षा छठवीं में मां गीता सिंह के कहने पर करछना स्थित सेंट जोंस एकेडेमी में कराया गया। गीता सिंह ने बताया कि घर से स्कूल की दूरी पैंतालीस किमी थी। स्कूल सुबह सात बजे का होता था,इसलिए रात में तीन बजे उठकर उसकी टिफिन बनाती थी। स्कूल की ड्रेस उसके बिस्तर के बगल में रखकर कहती थी कि बेटा जीवन में कुछ अलग करना है तुमको उठ जाओ। यह बात सिर्फ तीन चार दिन कहनी पड़ी उसके बाद वह खुद उठ जाता था। उन्होंने बताया कि घर से एक किमी पैदल लेकर आती थी फिर स्कूल की बस से वह स्कूल जाता था। प्रांजल शाम को छह बजे घर पहुंचता था तब आधे घंटे तक उसका पैर दबाती थी, उसकी मालिश करती थी। उसके बाद आराम मिलता था तब खाना बनाकर सबसे पहले उसे खिलाती थीं।

इंजीनियर बनाने की ख्वाहिश

कक्षा नौवीं में प्रांजल का दाखिला कोरांव स्थित सरदार पटेल इंटर कॉलेज में कराया गया। यहीं से इस बार की हाईस्कूल परीक्षा में प्रांजल ने प्रदेश में पांचवां स्थान हासिल किया। गीता सिंह की ख्वाहिश है कि बेटा इंजीनियर बने और सफल होकर देश का नाम रोशन करे।

Posted By: Inextlive