आज स्‍वामी विवेकानंद की जयंती है। उनके जन्‍मदिन को राष्‍ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि स्‍वंय विवेकानंद मानते थे कि युवा उर्जा किसी भी समाज की दशा और दिशा बदल सकती है। इसके साथ ही उन्‍होंने अपनी युवावस्‍था में वो आध्‍यात्‍मिक उपलब्‍धियां हासिल कर ली थीं जो किसी इंसान को साठ सत्‍तर साल की उम्र तक भी हासिल करना मुश्‍किल होता है। ऐसे आइये जानते हैं उनकी ऐसी दस शिक्षाओं के बारे में जिनसे हर युवक को जीवन की सही दिशा और जीवन में कामयाबी मिल सकती है।

उत्‍तिष्ठ जाग्रत: यानि हिम्‍मत से उठो और अपनी इच्‍छा शक्‍ति को जागओ और आगे बढ़ने का प्रयास करो। हिम्‍मत हारने को स्‍वामी विवेकानंद सही नहीं मानते थे।

तूफान की तरह बढ़ो: स्‍वामी विवेकानंद का कहना था कि हमें अपने मार्ग पर पूरी शक्‍ति से एक तूफान की तरह आगे बढ़ना चाहिए। आधे अधुरे मन से हम अपने लक्ष्य को भी प्राप्‍त नहीं कर सकते और नाही कोई परिवर्तन ला सकते हैं।

अपने अनुभवों से सीखो: विवेकानंद जी का मानना था कि हमें अपने अनुभव से ही सीखना चाहिए। सही गलत का वास्‍तविक ज्ञान हमें अनुभवों से ही होता है वही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
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मेहनत, कोशिश और दृढ़ता: बिना मेहनत, प्रयास और लक्ष्य प्राप्‍ति के दृढ़ निश्‍चय के मंजिल नहीं मिलती इसलिए ये तीनों गुण वे प्रत्‍येक इंसान में देखना चाहते थे।

ज्ञान की खोज: स्‍वामी विवेकानंद की शिक्षा है कि ज्ञान तो सर्वत्र मौजूद है पर उसकी खोज हमें अपने आप अपने भीतर से ही करना होती है।

सोच पर नियंत्रण: इसे विवेकानंद जी मस्‍तिष्क पर अधिकार या नियंत्रण कहते थे। उनका मानना था कि हमें अपने विचारों को नियंत्रित करना आना चाहिए। स्‍वामी विवेकानंद विकास के लिए आचरण और विचारों में नैतिकता और शुद्धता को अनिवार्य मानते थे। गंदी सोच और आचरण कभी इंसान को बड़ा नहीं बनाती।
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स्‍वतंत्र विकास: स्‍वामी विवेकानंद कहते थे कि ज्ञान को बंधन में नहीं होना चाहिए फिर वो बंधन धर्म को हो या जाति का। ज्ञान आपको स्‍वतंत्र बनाता है तो लोगों को एक दूसरे का सम्‍मान करना और आपस में प्रेम करना सिखाओं इसके लिए धर्म, संप्रदाय और जाति के बंधनों से मुक्‍त हो जाना चाहिए।

कभी ना भूलने वाले तीन नियम: स्‍वामी विवेकानंद का कहना था कि तीन नियमों का सदैव पालन करना चाहिए। 1 उन लोगों से कभी घृणा मत करो जो तुम्‍हें प्रेम करते हैं, 2 अपने मददगारों को कभी मत भूलो और 3 जो तुम पर विश्‍वास करें उन्‍हें कभी धोखा मत दो।

न्‍यायप्रियता: उनका कहना था कि इंसान को हमेशा न्‍याय के मार्ग पर चलना चाहिए। इसके लिए उसे निंदा, प्रशंसा और सम्‍मान पाने की कोशिश से ऊपर उठ जाना चाहिए।
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आत्‍म सम्‍मान: उनकी सबसे बड़ी शिक्षा थी कि अपने को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक हम यह स्‍वीकार नहीं करते कि हमारे अंदर भी ईश्‍वर का वास है और हम सबसे बेहतर हैं तब तक हम मुक्त नहीं हो सकते।

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Posted By: Molly Seth