आगरा। यूनिवर्सिटी प्रशासन भले ही लाख कोशिश कर ले लेकिन, दलालों के खेल को रोक पाना इतना आसान काम भी नहीं है। नई व्यवस्था बनाए जाने के बाद यूनिवर्सिटी का कॉकस एजेंसी के नाम पर खेल करने में जुट गया है। फर्क आया है तो बस इतना कि गंदे धंधे के खिलाडि़यों ने काम कराने के दाम पहले से बढ़ा दिए हैं।

बड़ा कॉकस है सक्रिय

डॉ। बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में मा‌र्क्स के खेल में माहिर कॉकस तगड़ा है। पूर्व में कई बार यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इस कॉकस को तोड़ने के प्रयास भी किए गए। जांच करने के दौरान कई बार मा‌र्क्स वाले चार्ट में हेर-फेर पकड़ में भी आ चुकी है। इसी के बाद यूनिवर्सिटी चार्ट को लेमिनेशन कर रखे जाने के आदेश हुए। तब मूल्यांकन केंद्रों पर मिलीभगत से खेल होने लगा। इसी सबके चलते यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से नई व्यवस्था अमल में लाई गई। मूल्यांकन के सहायक को-ऑर्डिनेटर डॉ। एन्डरू प्रकाश का कहना है कि यूनिवर्सिटी की ओर से कोडिंग की जो व्यवस्था की गई, वह बहुत अच्छी है। इस व्यवस्था के हिसाब से कोई भी व्यक्ति मा‌र्क्स बढ़वाने में सफल नहीं हो सकता है। इसलिए स्टूडेंट्स को भी अवेयर किया जाता है कि दलालों के चंगुल में न फंसे।

कोडिंग के बाद बढ़ा रेट

यूनिवर्सिटी में सक्रिय दलाल इस व्यवस्था से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। दलालों को यह भी पता है कि इस बार खेल करना पहले जैसा आसान काम नहीं रहा है। यही वजह है कि मा‌र्क्स बढ़वाने के नाम पर अब दलाल काम करने की एवज में स्टूडेंट्स से पहले की तुलना में तीन-चार गुना तक रकम ले रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दलाल जहां पहले एक सब्जेक्ट में मा‌र्क्स बढ़वाने के पांच से लेकर सात-आठ हजार तक का ठेका ले लिया करते थे, नई व्यवस्था लागू होने के बाद से बीस-तीस हजार रुपये तक मांग रहे हैं। सूत्रों बताते हैं कि यह तो कॉमन रेट है। बाकी जैसा माथा-वैसा टीका, फॉर्मूले के आधार पर कॉकस रकम लेकर काम का ठेका लेने से बाज नहीं आ रहे हैं।

Posted By: Inextlive