>RANCHI: टाउन हॉल किसी भी सिटी की न सिर्फ पहचान होती है, बल्कि कल्चरल इवेंट्स ऑर्गनाइज करने का मेन सेंटर भी होता है। लेकिन, बात अगर अपनी सिटी यानी झारखंड की राजधानी रांची की करें तो यहां टाउन हॉल है ही नहीं। राज्य गठन के क्भ्वें साल में भी राजधानी में टाउन हॉल का नहीं होना, यहां की सरकारों की गंभीरता की पोल खोलता है। योजनाएं तो कई बार बनीं, लेकिन वो धरातल पर उतरीं ही नहीं। फिलहाल तो रांची के विधायक ही नगर विकास मंत्री भी हैं। इसके बावजूद टाउन हॉल की चिंता किसी को नहीं है।

धरातल पर नहीं उतरीं योजनाएं

कचहरी रोड स्थित एक एकड़ जमीन पर टाउन हॉल बना हुआ था। जो बहुत पुराना और जर्जर हो गया था। ऐसे में रिनोवेशन करने के लिए साल ख्00ख् में योजना बनी, लेकिन यह योजना पूरी नहीं हो पाई। इसके बाद इस पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नया टाउन हॉल, कन्वेंशन सेंटर और ऑडिटोरियम बनाने की योजना बनी। फिर साल ख्0क्क् में टाउन हॉल काम्पलेक्स, एग्जीबिशन हॉल कम कन्वेंशन सेंटर बनाने की योजना बनी, लेकिन आज तक कोई भी योजना साकार नहीं हो पाई है। हालत यह है कि राज्य की राजधानी ही बिना टाउन हॉल के है।

टाउन हॉल को भूलते जा रहे लोग

देख-रेख के अभाव में टाउन हॉल कई सालों से जर्जर हो रहा था। इसके बावजूद यहीं प्रोग्राम होते रहे, लेकिन चार साल पहले जब इसकी स्थिति बेहद खराब हो गई, तो रांची नगर निगम ने इसे कंडम घोषित कर दिया। इसके बाद से यह हाल किसी भी प्रोग्राम के लिए बुक नहीं किया जा रहा है। ऐसे में धीरे-धीरे लोग टाउन हॉल को भूलते जा रहे हैं कि रांची सिटी में एक टाउन हॉल भी है। लेकिन, इतना होने के बावजूद इसकी सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ रहा है।

फिर वादे भूल गए नेताजी

रांची के जिस टाउन हाल में कभी बड़े-बड़े समारोह, नाटक और राजनीतिक पार्टियों के सम्मलेन और सभाएं होती थीं, उस टाउन हॉल को लेकर अधिकारी तो लापरवाह हैं ही, रांची के जनप्रतिनिधि का रवैया भी उदास करने वाला है। हालांकि एक लोकसभा चुनाव और तीन महीने पहले ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा जरूर बना। इसको लेकर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने दावे भी खूब किए, लेकिन चुनाव हारने वालों के साथ ही चुनाव जीतने वाले भी अपने इस वादे को भूल चुके हैं।

ब् साल पहले क्8 करोड़ की बनी थी योजना

सिटी के बीचोबीच स्थित इस टाउन हॉल को नए सिरे से बनाने और कन्वेंशन सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए साल ख्0क्क् में क्8 करोड़ की लागत वाली योजना बनी। अगर यह साकार हो जाती तो न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश में अपनी तरह का यह एक अनूठा टाउन हॉल होता। लेकिन हालत यह है की अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आज तक यह नहीं बन पाया। रांची नगर निगम टाउन हॉल को लेकर हर वित्तीय वर्ष में योजना बनाता रहा है। साल ख्0क्ब्-क्भ् के वित्तीय वर्ष में भी रांची नगर निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि इस वर्ष सिटी को टाउन हॉल कम कन्वेंशन सेंटर मिल जाएगा। लेकिन, यह वित्तीय वर्ष बीतने में तीन दिन बाकी है, और अब तक इसको लेकर कोई काम शुरू ही नहीं हो पाया है।

आरएमसी ने दिखाए हसीन सपने

रांची नगर निगम में अक्टूबर ख्0क्फ् में देश की जानी-मानी कंपनियों ने टाउन हॉल को लेकर अपने-अपने प्रपोज्ड मॉडल का प्रेजेंटेशन दिया था। इसके मुताबिक ऐसी बननी थी, जिसमें एंट्री करते ही लोगों को झारखंड के कल्चर, ट्राइबल विलेज, जंगल, पठार और पहाड़ का दृश्य राज्य की पहचान कराता। टाउन हॉल कम सिटी कन्वेंशन सेंटर के गेट पर ही भगवान बिरसा मुण्डा की मूर्तियां लगनी थी। इसके साथ ही बिल्डिंग के मेन एंट्रेस के दोनों तरफ सीढि़यां बनाई जानी थीं। इसके साथ ही व‌र्ल्ड क्लास सुविधाओं से युक्त इस टाउन हाल को बनाना था। इसमें एक आडिटोरियम भी बनना था, जिसमें 700 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती। इसमें ग्रीन रूम और चेंजिंग रूम से लेकर टॉयलेट और बाथरूम भी बनाया जाना था, लेकिन यह सब सपने थे जो दिखाए गए थे, लेकिन इसे जमीं पर नहीं उतारा गया। रांची नगर निगम ने जो टाउन हॉल का प्लान बनाया था उसमें एग्जीबिशन हॉल भी अलग से बनना था। जहां पर प्रदर्शनी लगाने की व्यवस्था होनी थी। यहां पर नए कलाकारों को ट्रेंड भी किया जाता, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

ऑफिसियल स्टैंड

टाउन हॉल को लेकर कोई नई योजना नहीं

रांची नगर निगम का टाउन हॉल नए सिरे से बने, सिटी को अपना नगर भवन प्राप्त हो इसके लिए रांची नगर निगम प्रयास कर रहा है। कुछ साल पहले अलग-अलग एजेंसियों से इसका प्रपोज्ड मॉडल मंगवाया गया था, लेकिन इसके बाद इस पर कुछ फैसला नहीं हो पाया। फिलहाल इसको लेकर कोई नई योजना नहीं है।

-ओम प्रकाश साह, डिप्टी सीईओ रांची नगर निगम

Posted By: Inextlive