आर्थिक सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने रिटेल मार्केट प्लेस फॉर्मेट वाली ऑनलाइन रिटेल कंपनियों में सौ फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई को मंजूरी दे दी है। इसका फायदा अमेजन व ईबे जैसी विदेशी और फ्लिपकार्ट व स्नैपडील जैसी घरेलू कंपनियों को होगा।


विदेशी निवेश आकर्षितहालांकि अभी सरकार ने सौ फीसद ऑटोमैटिक एफडीआई की मंजूरी केवल ऑनलाइन खुदरा बिक्री की सुविधा देने वाली कंपनियों को ही दी है। फिलहाल, इंवेंट्री आधारित ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एफडीआई के दरवाजे नहीं खुले हैं। केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने खुदरा बिक्री से जुड़े ई-कॉमर्स के विकल्प में सौ फीसद एफडीआई के दिशानिर्देश मंगलवार को जारी कर दिए। सरकार का इरादा इसके माध्यम से देश में अधिक से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करना है।ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध
मार्केट प्लेस फॉर्मेट वाली ई-कॉमर्स कंपनियों से आशय ऐसी फर्मों से है, जो खरीदार और विक्रेता के बीच सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती हैं। ये फर्मे खुद ग्राहकों को उत्पाद सप्लाई नहीं करती, बल्कि ग्राहकों और विक्रेताओं के बीच पुल का काम करती हैं। सरकार का यह फैसला इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ही तीन दिन के विदेश दौरे पर रवाना हुए हैं। वह बेल्जियम के बाद अमेरिका में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। अमेरिका लगातार ई-कॉमर्स कंपनियों में एफडीआई खोले जाने की वकालत कर रहा था।मार्केट प्लेस में कारोबार


फिलहाल, अमेजन व ईबे जैसी ग्लोबल कंपनियां देश में ऑनलाइन मार्केट प्लेस में कारोबार कर रही हैं। घरेलू कंपनियों में स्नैपडील और फ्लिपकार्ट जैसी फर्में इस कारोबार में हैं। अभी तक एफडीआई को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं होने के बावजूद ये कंपनियां विदेशी निवेश ला चुकी हैं। इसी भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए डीआइपीपी ने ई-कॉमर्स में मार्केट प्लेस और इंवेंट्री आधारित मॉडल में अंतर को स्पष्ट कर दिया है। जो कंपनियां खुद सामान खरीदकर ऑनलाइन बिक्री करेंगी, वे इंवेंट्री आधारित मॉडल में आएंगी। इनमें फिलहाल विदेशी निवेश की इजाजत नहीं दी गई है। दिशानिर्देशों में स्पष्ट कर दिया गया है कि मार्केट प्लेस फॉर्मेट वाली ई-कॉमर्स कंपनी कुल बिक्री का 25 फीसद से अधिक किसी एक वेंडर या उसकी सहयोगी कंपनियों के जरिये नहीं बेच सकती है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया

इसका मतलब यह हुआ कि मार्केट प्लेस आधारित ऑनलाइन रिटेल कंपनी को उत्पादों की बिक्री के लिए अधिक से अधिक वेंडरों को अपने साथ जोड़ना होगा। दिशानिर्देशों में ई-कॉमर्स कंपनियों की परिभाषा को भी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है। ऐसी कंपनी जो डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क से वस्तुओं व सेवाओं की खरीद-बिक्री में शामिल होगी, वह ई-कॉमर्स के दायरे में आएगी। वही स्नैपडील का कहना है कि डिजिटल व इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क में कंप्यूटर, टीवी चैनल, मोबाइल समेत इंटरनेट के अन्य एप्लीकेशन शामिल हैं। ये दिशानिर्देश देश के तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स उद्योग के लिए स्पष्टता प्रदान करेंगे। इसकी वजह से उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा।

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Posted By: Shweta Mishra