- कोरोना संक्रमण के कारण घरों में निभाई गई धार्मिक रस्में

कोरोना से जंग जीतने के लिए हर जतन किये जा रहे हैं और कोशिश की जा रही है कि सोशल डिस्टेंस बनी रहे। ऐसे में इस दौरान पड़ने वाले पर्व भी बेहद सादगी से मनाए जा रहे है। ऐसा ही नजारा गुरुवार को मुस्लिम एरिया में दिखा। जहां लोगों ने शबे बारात के मौके पर बेहद अकीदत और सादगी के इबादत की। लोगों ने भी शहर काजी और सभी मौलानाओं की अपील को तामील करते हुए घरों में ही रहकर अकीदत के साथ पुरखों को याद किया और फातिहा पढ़ कर धार्मिक रस्में अता की। यहीं कारण रहा की पहली बार कब्रिस्तानों पर भी शबे बारात के मौके पर सन्नाटा पसरा रहा।

आज तक नहीं देखा ऐसा नजारा

शबे बारात के मौके पर इस बार ऐसा नजारा देखने को मिला। जो अभी तक के पूरे जीवन में देखने को नहीं मिला था। यह कहना है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के भूगोल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ए आर सिद्दीकी का। उन्होंने बताया कि बचपन से ही वह शबे बारात पर अपने पुरखों की कब्र पर परिवार के साथ जाते थे। वहां चराग जलाकर फातिहा पढ़ते थे। लोगों में हलुआ वितरित किया जाता था, लेकिन कोरेाना संक्रमण के कारण पहली बार ऐसी स्थिति बनी। लॉकडाउन के कारण उन्होंने भी अपने घर के अंदर ही रहकर पुरखों को याद किया और फातिहा पढ़ी।

- ऐसे मौके पर मुस्लिम समाज ने बेहद संजीदगी का परिचय दिया और घरों पर ही चरागा करके अकीदत के साथ इबादत की और पुरखों को याद किया।

मौलाना नादिर हुसैन

खतीब हटिया मस्जिद

- पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिला। ऐसे मौके पर सभी धर्म गुरुओं और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सही कदम उठाते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का पालन किया।

प्रो। एआर सिद्दीकी

भूगोल डिपार्टमेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive