लैंडलाइन फोन धारकों के लिए खुशखबरी है. उनके फोन की कॉल दरें कम हो सकती हैं. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई की ओर से इंटरकनेक्ट चार्ज वसूलने की व्यवस्था खत्म करने की वजह से ऐसा होने जा रहा है. लैंडलाइन सेवा देने वाली कंपनियों के ग्राहकों की कॉल भेजने के एवज में अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर उनसे यह इंटरकनेक्ट शुल्क वसूलते थे. नियामक के इस कदम से लैंडलाइन कनेक्शनों को बढ़ावा मिलेगा.

20 पैसे प्रति मिनट लगता था शुल्क
नियामक के नए कदम से अब लैंडलाइन से लैंडलाइन या लैंडलाइन से मोबाइल पर कॉल करने के लिए अब इंटरकनेक्शन शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा. इस शुल्क की दर 20 पैसे प्रति मिनट होती है. ट्राई ने मोबाइल फोन के जरिये कॉल्स पर नेटवर्क इंटरकनेक्शन यूसेज चार्ज (आइयूसी) को भी करीब 30 फीसद घटाकर 20 पैसे से 14 पैसे कर दिया है.
क्या है इंटरकनेक्ट शुल्क
एक दूरसंचार कंपनी का ग्राहक जब अन्य नेटवर्क पर कॉल करता है तो उसे इंटरकनेक्शन शुल्क देना पड़ता है. इसे ग्राहक की तरफ से चुकाए जाने वाले अंतिम मूल्य में जोड़ दिया जाता है. वहीं आपको बता दें कि मोबाइल पर इनकमिंग मुफ्त किए जाने के बाद से देश में लैंडलाइन कनेक्शन में कमी आ रही है. 2014 के अंत तक मोबाइल कस्टमर्स की संख्या 94.39 करोड़ के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. इसके उलट लैंडलाइन कनेक्शन घटकर केवल 2.7 करोड़ रह गए.
बीएसएनएल का दबदबा
लैंडलाइन कनेक्शन के मामले में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल का दबदबा है. कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 62.71 फीसद है. बीएसएनएल की सहयोगी एमटीएनएल की बाजार हिस्सेदारी 13.04 फीसद है. यह कंपनी दिल्ली और मुंबई सर्किलों में अपनी सेवा देती है. इसके अलावा निजी क्षेत्र की भारती एयरटेल की हिस्सेदारी 12.55, टाटा टेलीसर्विसेज की 5.98 और रिलायंस कम्युनिकेशंस की 4.39 फीसद है.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari