- सड़कों पर बच्चे दौड़ा रहे हाई स्पीड कार व बाइक

- स्कूल खुलते ही ऐसे बच्चों का बढ़ जाता है ग्राफ

- बच्चों को जागरूक करने के लिए चलेगा अभियान

DEHRADUN: कई स्कूल खुल चुके हैं और कई खुलने वाले हैं। जाहिर है कि पेरेंट्स खुश होंगे, क्योंकि घर पर बच्चों की धमाचौकड़ी से उन्हें राहत मिलेगी। पेरेंट्स चंद घंटे के लिए घर पर सकून से रह सकेंगे, लेकिन सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस का चैन छिनने वाला है। इसका कारण भी बच्चे ही हैं। खासकर वे बच्चे जो स्कूल या फिर ट्यूशन आने-जाने के लिए हाई पावर बाइक अथवा कार का यूज करते हैं। ये बच्चे न केवल अपनी जान जोखिम में डालते में हैं बल्कि, दूसरे के लिए खतरनाक साबित होते हैं। इसी को देखते हुए पुलिस स्कूल्स में जागरूकता कैंपेन चलाने जा रही है।

स्कूलिंग के लिए फेमस दून

स्कूलिंग के लिए दून का खासा नाम है। देश की तमाम हस्तियों ने यहां से पढ़ाई की है। अभी भी सिटी के तमाम स्कूल्स में देश के माननीय लोगों के बच्चे पढ़ रहे हैं। बच्चों की सुविधा का हर ख्याल उनके द्वारा रखा गया है। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने बच्चों को हाई पावर बाइक अथवा कार दी हुई है। इन्हीं का इस्तेमाल बच्चे स्कूल अथवा ट्यूशन आने जाने के लिए करते हैं। जबकि, यह ट्रैफिक रूल्स के खिलाफ है। ट्रैफिक रूल्स में साफ है कि जिसकी उम्र क्7 साल से कम है वह केवल बिना गेयर वाले वाहन ही चला सकते हैं, जिसमें कुछ स्कूटी व साइकिल ही आती है, बावजूद सिटी में तमाम बच्चे गेयर वाले वाहन दौड़ा रहे हैं।

कहीं बच्चे का करियर खराब न हो

ट्रैफिक पुलिस की माने तो छुट्टियों के दौरान बच्चे घर चले जाते हैं। यही कारण है कि सड़कों पर उनके वाहन चलाने का ग्राफ घट जाता है, लेकिन अब छुट्टियां समाप्त होने वाली हैं। जाहिर है कि बच्चों का सड़कों पर कार व बाइक दौड़ाने का ग्राफ बढ़ जाएगा। पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई बच्चे पकड़े भी जा चुके हैं। ऐसे तमाम बच्चे कार चलाते पकड़े गए हैं, जिनकी उम्र क्ब् साल से भी कम हैं। हालांकि ऐसे मामले में पुलिस वाहन स्वामी के खिलाफ कोर्ट का चालान काटती है, लेकिन बच्चों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचती है। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि बच्चों का फ्यूचर है। क्योंकि पुलिसिया कार्रवाई से बच्चे के करियर पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

किया जाएगा अवेयर

राजधानी में पिछले कुछ दिनों में कई नाबालिग बच्चे कार चलाते हुए पकड़े गए हैं। खास बात यह है कि इनके पेरेंट्स भी इसे सही मानते हैं। उनका तर्क होता है कि स्कूल अथवा ट्यूशन जाने के लिए बच्चों को यह सुविधा दी गई है, लेकिन वे भूल जाते हैं कि यह गलत है। बच्चों को दी गई उनकी यह सुविधा ठीक नहीं है। कभी भी यह सुविधा उन्हें जीवन भर का गम देकर जा सकती है। कुछ पेरेंट्स इस बात को समझ जाते हैं, लेकिन कुछ गलती मानने को तैयार ही नहीं होते। ऐसे ही लोगों को अवेयर करने के लिए ट्रैफिक पुलिस जागरूकता अभियान चलाने जा रही है। एसपी ट्रैफिक प्रदीप राय ने बताया कि अभियान में स्कूल का भी सहयोग लिया जाएगा।

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आंकडे़ हैं दे रहें गवाही

आंकड़ों पर नजर डालें तो हर हर साल दून में बच्चे सड़क हादसे के कारण बनते हैं। क्08 से मिले आंकड़ों के अनुसार 0-क्ब् ऐज वर्ग में ख्009 में फ्क्ब् सड़क हादसे हुए। इसी तरह वर्ष ख्0क्0 में ख्7ख्, ख्0क्क् में ख्7क्, ख्0क्ख् में ख्8क् व ख्0क्फ् में ख्भ्ख् सड़क हादसे बच्चों के कारण हुए हैं। जबकि इस साल अब तक 7भ् एक्सीडेंट बच्चों की वजह से हो चुके हैं।

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सुपरमैन बन जाते हैं बच्चे

सिटी में कार व बाइक दौड़ा रहे बच्चों खुद को किसी सुपरमैन से कम नहीं समझते, इस बात की तस्दीक खुद ट्रैफिक पुलिस करती है। जिसके अनुसार नाबालिग द्वारा कार या फिर बाइक दौड़ाने पर यदि वाहन का पीछा किया जाता है तो बच्चे पुलिस को चकमा देने की कोशिश करते हैं। वे कई बार रॉन्ग साइड से गलियों में तेज रफ्तार से बाइक दौड़ाते हुए बच निकलने की कोशिश करते हैं। कई मर्तबा पुलिस मात्र इस वजह से उनका पीछा नहीं करती है कि कहीं वे किसी हादसे का शिकार न हो जाए। बच्चे खुद तो अपना नुकसान करते ही हैं दूसरे के लिए भी खतरनाक होते हैं।

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बच्चे कार अथवा बाइक न चलाए इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएगा। स्कूल्स को भी इसमें सहयोग लिया जाएगा। स्कूल्स में बैठक की जाएगी और पेरेंट्स को ट्रैफिक रूल्स के बारे में बताया जाएगा, ताकि वे बच्चों को कार व बाइक न थमा दें।

-प्रदीप राय, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive