केस -1

पलामू निवासी इंजीनियर संजय कुमार, उनकी पत्‍‌नी शोभा रानी और बेटा शुभम 10 अप्रैल को जम्मूतवी से कोलकाता जाने वाली सियालदह एक्सप्रेस (13152) में सवार थे। कोच बी-2 बर्थ 19 पर सवार दस वर्षीय शुभम की मुरादाबाद में अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे अचानक एलर्जी हो गई और शरीर पर लाल दाने निकल आये। मुरादाबाद में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल सकी। बरेली पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे इलाज दिया।

केस - 2

हरिशंकर अपनी फैमिली के साथ 9 मई को वाराणसी से भटिंडा जा रहे थे। समर स्पेशल ट्रेन संख्या 04497 में वह कोच बी-1 बर्थ संख्या 36 पर थे। ट्रेन बरेली पहुंचने से पहले ही उनकी 3 साल की बेटी को एलर्जी हो गई। उसका बदन फीवर से जलने लगा। बरेली पहुंचने तक हरिशंकर डरे हुए थे कि कही बेटी को कुछ हो न जाए। बरेली में मेडिकल स्टाफ ने बच्ची को इलाज दिया।

केस -3

मेरठ से लखनऊ आ रही 40 वर्षीय सरिता भी एसी कोच में सफर के दौरान बीमार पड़ गई। वह 9 मई को ट्रेन संख्या 22457 में कोच सी-2 के बर्थ 60 पर सवार थी। बरेली पहुंचने से पहले ही उन्हें घबराहट होने लगी। बरेली जंक्शन पर पहुंचने पर भी उन्हें इलाज नहीं मिल सका। ऐसे में उन्हें ट्रेन से उतारकरं इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भेजना पड़ा।

BAREILLY:

ट्रेनों में सुविधा व आराम के लिए एसी कोच में सफर करने की चाहत मुसाफिरों को बीमार बना रही है। आए दिन एसी कोच में सफर कर रहे मुसाफिर एलर्जी के शिकार हो रहे हैं। मुसाफिर एलर्जी ही नहीं बल्कि घबराहट व बुखार की समस्या से भी जूझ रहे हैं। सफर के दौरान मुसाफिरों को जो चादर, कम्बल और तकिए मुहैया कराए जा रहे हैं वह क्लीन नहीं हैं। जिसके इस्तेमाल से मुसाफिरों को एलर्जी जैसी समस्या उत्पन्न हो जा रही है। हालांकि रेलवे प्रबंधन इस बात का पूरी तरह से खंडन कर रहा है।

एलर्जी के शिकार बच्चे ज्यादा

पिछले एक हफ्ते में ही एक दर्जन से अधिक एसी कोच वाले मुसाफिरों के एलर्जी से पीडि़त होने के मामले सामने आ चुके हैं। 9 मई को ही तीन मुसाफिर एलर्जी और घबराहट के चलते बीमार पड़ गए। इनमें से दो मुसाफिर एसी कोच में सवार थे। वहीं एलर्जी के सबसे अधिक मामले बच्चों में सामने आ रहे हैं। वजह, बच्चों की स्किन ज्यादा संवेदनशील होती है। जैसे ही बच्चे रेलवे का गंदा चादर, तकिए और कम्बल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें एलर्जी की समस्या शुरू हो रही है।

नहीं होती है बेडरोल की सफाई

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे ने जिन ठेकेदारों को एसी कोच के बेड रोल व लिनेन साफ करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है, वह चादर, कम्बल और तकिए का ठीक ढंग से साफ-सफाई नहीं कर रहे है। बिस्तर एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसे लिनेन कॉम्पलेक्स में अच्छी तरह से धुलना चाहिए। उसके बाद ही उसका इस्तेमाल करने के लिए दूसरे मुसाफिरों को देना चाहिए। लेकिन प्राय: ऐसा नहीं होता है। मुसाफिर के अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने से पहले ही ठेकेदार के कर्मचारी बिस्तर समेटना शुरू कर देते हैं। बिस्तर समेटने के बाद उसे साफ-सुथरा स्थान पर रखने की बजाय टॉयलेट के पास या जमीन पर फेंक देते हैं।

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एलर्जी के लक्षण

नाक की एलर्जी - नाक में खुजली होना, छींके आना, नाक बहना और बार-बार जुखाम होना।

आंखाें की एलर्जी - आखों में लालिमा, पानी आना, जलन होना और खुजली।

सांस की एलर्जी - खांसी, सांस लेने में तकलीफ एवं अस्थमा जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।

त्वचा की एलर्जी - त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना, दाने निकलना, एक्जिमा सहित अन्य समस्या।

अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी- कई अंग्रेजी दवाएं भी एलर्जी का सबब बन जाती हैं जैसे पेनिसिलिन का इंजेक्शन जिसका रिएक्शन बहुत खतरनाक होता है। इसमें मौके पर ही मौत हो सकती है। इसके अलावा दर्द की गोलियां, कुछ एंटीबायोटिक दवाएं भी एलर्जी के लक्षण को उत्पन्न कर सकती हैं।

एलजर्ी से बचाव

- अपने आसपास गंदगी न रहने दें।

- बंद जगहों पर रहने से बचे। क्रॉस वेंटीलेशन बेहद जरुरी।

- जिन खाद्य पदार्थो से एलर्जी है उनका सेवन न करें।

- एकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं।

- धूप में दिखाए गए और अच्छी तरह से साफ किए रजाई, गद्दे, और तकिए का इस्तेमाल करें।

- धूल-मिट्टी वाले वातावरण में न रहे।

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एसी कोच में फ्रेश हवा नहीं आती है। जिस कारण एलर्जी की समस्या उत्पन्न होती है। क्योंकि कोच में कई तरह के लोग सफर करते हैं। ऐसे में फ्रेश हवा कोच में नहीं आने से संक्रमण फैलने का डर रहता है।

-डॉ। वेद प्रकाश, डॉक्टर रेलवे जंक्शन

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Posted By: Inextlive