पिछले एक हफ्ते में दो ट्रेन एक्‍सीडेंट से रेलवे प्रशासन चिंता में आ गया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हादसों की नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफे की पेशकश भी कर दी है। वैसे भारत में ट्रेन हादसे लगातार होते रहते हैं जिसमें सैकड़ों जानें जाती हैं। लेकिन इन ट्रेनों में अगर एलएचबी कोच लगे होंगे तो कैजुअलिटी कम हो होगी। पढ़ें इस तकनीक के बारे में...

पुराने कोच की तुलना में नए कोच ज्यादा सुरक्षित
पहले उत्कल एक्सप्रेस और फिर कैफियत एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के बाद भारतीय रेलवे में सुरक्षा को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ हम बुलेट ट्रेन चलाने की बात करते हैं वहीं एक्सप्रेस ट्रेनों की सुरक्षा में चूक भारतीय रेलवे की कमजोरी को सामने ले आता है। भारत में चलने वाली कई ट्रेनों में पुरानी तकनीक वाले कन्वेशनल कोच लगे हैं जिसकी वजह से हादसे के दौरान ज्यादा मौतें होती हैं। वैसे इंडियन रेलवे ने इससे छुटकारा पाने के लिए लिंक हॉफमेन बुश कोच का निर्माण किया है।
क्या है लिंक हाफमेन बुश?
रिसर्च डिजाइन्स ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) ने तकरीबन 10 साल पहले ऐसे कोच बनाये थे, जो आपस में टकरा न सकें। इन्हें लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच नाम दिया गया। इन टक्कररोधी कोच का आलमनगर में सफल परीक्षण किया था। उसके बाद कोचों के डिजाइन में सुधार भी किया था। एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से ट्रेन के कोचों के पलटने और एक दूसरे पर चढ़ने की गुंजाइश नहीं रहती है।

फिलहाल इन ट्रेनों में लगे हैं नए कोच
भारतीय रेलवे ने 2017 अंत तक सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल ये कोच सिर्फ प्रीमियम ट्रेनों में लगे हैं। जैसे कि, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, डबल डेकर एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस और हमसफर एक्सप्रेस।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari