--विधायी प्रक्रिया और संसदीय परंपराओं से रूबरू हुए नवनिर्वाचित विधायक

- विधायकों के प्रशिक्षण के पहले दिन संसदीय विशेषाधिकारों और जन मुद्दे उठाने के अवसर पर हुई चर्चा

- पक्ष और विपक्ष दोनों खेमे के विधायकों ने उठाया संसदीय जानकारों के वक्तव्य का लाभ

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केवल संख्या बल के आधार पर कोई कानून जनता पर नहीं थोपा जा सकता, क्योंकि कई ऐसे कानूनों का आम जनता पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। कानून बनाने से पहले विधेयक पर सदन में सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए तथा सदन की भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में पंचम विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रह थे। उन्होंने कहा कि विधानसभा सदस्य राज्य की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए उन्हें सदन में दलगत भावना से ऊपर उठकर जनहित के लिए बातें रखनी चाहिए।

सकारात्मक बहस हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में राज्य का कोई भी ज्वलंत विषय पर सकारात्मक बहस होनी चाहिए। उन्होंने सदन में विधायकों के आचरण को ध्यान में रखते हुए कहा कि सूचना तंत्र मजबूत होने से अब आम लोग सरकार और सदन की हर गतिविधि की जानकारी रखते हैं। सदन नियमों और परंपराओं के तहत सकारात्मक रूप से चले, सदन के नेता के रूप में वे इसे सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे। इससे पहले, स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने पक्ष और विपक्ष के सकारात्मक बहस पर जोर देते हुए इसपर चिंता जताई कि कई महत्वपूर्ण विधेयक बिना चर्चा के पास हो जाते हैं।

विचारों का सम्मान ही सही परंपरा

उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष के विचारों का सम्मान ही सही संसदीय परंपरा है। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में अनुशासन पर जोर दिया। इधर, प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन मंत्रियों के अलावा बड़ी संख्या में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक शामिल होकर संसदीय नियमों, प्रक्रियाओं व परंपराओं से अवगत हुए। पहले दिन लोकसभा के पूर्व महासचिव सह संविधान विशेषज्ञ जीसी मल्होत्रा ने संसदीय विशेषाधिकार तथा राज्यसभा के पूर्व अपर सचिव सह संसदीय अध्ययन तथा प्रशिक्षण ब्यूरो, लोकसभा के रिसोर्स पर्सन एनके सिंह तथा पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च में लेजिस्लेटिव कार्यो के संचालक चक्षु राय ने सदन में जन सरोकार के मुद्दे उठाने के अवसर पर अपने वक्तव्य दिए। विधायकों ने इनसे सारी बातें सुनने के बाद सवाल-जवाब भी किए। खासकर पहली बार चुनकर आए विधायकों में प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर उत्साह दिखा।

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दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करें स्पीकर

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के नियम के अनुरूप विधानसभाध्यक्ष सत्ता पक्ष के ही विधायक बनाए जाते हैं। विधानसभा अध्यक्ष का यह कर्तव्य है कि दलगत भावना से ऊपर उठकर जनहित के लिए निष्पक्ष फैसला लें। इससे पहले विधायक सह पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने इसपर सवाल उठाया कि स्पीकर दलीय निष्ठा से ऊपर उठकर कैसे काम कर सकते हैं? यदि दल से निष्ठा नहीं रखेगा तो अगले चुनाव में टिकट ही नहीं मिलेगा। हालांकि उन्होंने अपने कार्यकाल में दलीय भावना से अलग हटकर निर्णय लेने की बात कही। सीपी ने यह भी कहा कि विधायिका कमजोर हुई है। विधायकों के व्यक्तित्व में ह्रास और नीतिगत क्षरण से उनके सम्मान में कमी आई है। इस पर विधायकों को विचार करना चाहिए।

Posted By: Inextlive