- मानवरहित क्रासिंग पर ही नहीं रोड एक्सीडेंट में भी भिड़ रही हैं स्कूली वैन और बसें

- मासूमों की मौत के बाद भी नहीं चेत रहे परिवहन विभाग के अफसर

LUCKNOW: अधिकारी हैं नहीं, कैसे जांच होगीइक्यूपमेंट की कमी हैहमारे पास पहले से ही बहुत काम है इस समय तो सुरक्षा सप्ताह भी चल रहा है कुशीनगर के निकट स्कूली वैन में मासूमों की मौत के बाद यह दलील दी परिवहन विभाग के अधिकारियों ने। मासूमों की मौत पर ना तो अधिकारी गलती मानने को तैयार हैं और ना ही यह आश्वासन दे रहे हैं कि आगे ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। अधिकारियों ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध ली है।

दिनभर चली बैठक

कुशीनगर में हुई दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग के सभाकक्ष में दिन भर बैठक चली। प्रमुख सचिव परिवहन आराधना शुक्ला खुद मौजूद रहीं। लेकिन इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। इसमें कुशीनगर की घटना का जिक्र तो हुआ लेकिन किसी अधिकारी के खिलाफ एक्शन की बात नहीं हुई। राजधानी में स्कूली वैन और बसों की जांच के मामले में यहां के अधिकारी बैकफुट पर हैं।

नहीं कोई खौफ

इस ढिलाई के चलते ही स्कूली वाहन चालकों में विभाग के अधिकारियों का कोई खौफ नहीं है। उन्हें मालूम है कि स्कूली वाहन चालकों के लिए परिवहन विभाग के पास कोई गाइड लाइन नहीं है। उन्हें मालूम है कि कुछ होता है और ले देकर मामला नहीं सुलटता है तो वे चंद रुपए जुर्माना भरकर फिर से बेरोकटोक वाहन चला सकेंगे।

अभी हुई थी वाहनों की जांच

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने दलील दी कि इसी माह परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के निर्देश पर स्कूली वाहनों की जांच हुई थी। इस जांच में अनुबंधित वाहनों को शामिल नहीं किया गया था। अधिकारियों के पास इन वाहनों की चेकिंग का समय नहीं है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आरटीओ ऑफिस में दलालों ने हर चीज का रेट फिक्स कर रखा है। ऐसे में अनफिट वाहन भी आसानी से फिट करा दिए जाते हैं।

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स्कूली वाहनों की संख्या

कांटेक्ट कैरिज पर

कुल वाहन 2471

बसें 220

वैन 2251

रजिस्टर्ड वाहन

कुल वाहन 1550

बसें 1114

वैन 447

अवैध रूप से चलने वाले वाहन करीब 2000

क्या है गाइडलाइन

- वाहन का शैक्षणिक संस्था के नाम से रजिस्ट्रेशन होना चाहिए

- वाहन पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर हो

- वाहनों के नंबरों की समय-समय पर जांच हो

- वाहन में सूची हो जिसमें बच्चों का नाम, पता और ब्लड ग्रुप लिखा हो

- रूट चार्ट भी वाहनों में होना चाहिए

- ड्राइवर का ड्रेस पहनना अनिवार्य

- सीटों के हिसाब से वाहन में अग्निशमन यंत्र जरूरी

- हर वाहन में अनिवार्य रूप से फ‌र्स्ट एड बाक्स हो

इन नियमों का अधिकतर स्कूली वाहनों में प्रयोग नहीं किया जा रहा है। अधिकतर स्कूली वाहन जर्जर हालत में हैं। स्पीड गवर्नर का पता नहीं है। ड्राइवर अधिक स्पीड में वाहन चलाते हैं।

कोट

आज हुई घटना में कहीं ना कहीं हमारे साथियों की चूक है। जल्द ही प्रदेश भर में स्कूली वाहनों के लिए कोई ना कोई स्कीम बनानी होगी, जिससे इस तरह की घटनाएं ना हों।

एके सिंह, आरटीओ

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हादसे जिन्होंने सबको झकझोर दिया

25 अप्रैल 2009- गाजीपुर में स्कूल बस रोडवेज बस से भिड़ी, लामार्ट के तीसरी क्लास के छात्र की मौत

15 जुलाई 2009- मोहनलालगंज में स्कूली बच्चों से भरा टैंपो ट्रक से भिड़ा, छात्रा की मौत

5 मार्च 2010- मोहनलालगंज में 40 बच्चों से भरी स्कूल बस पलटी 13 घायल

27 अप्रैल 2010- स्कूली बस और मारुति कार में भिडंत, छह बच्चे पहुंचे हॉस्पिटल

18 फरवरी 2012- मलिहाबाद में स्कूली वैन ट्रक से भिड़ी, एक बच्चे की मौत

25 जुलाई 2016- भदोही के पास मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर दुर्घटना में 8 बच्चों की मौत

15 अप्रैल 2017- गोमती नगर में स्कूली वैन पलटी, चार छात्र घायल

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पैरेंट्स इस बात का रखें ध्यान

- स्कूली वाहन कानूनी रूप से अधिकृत हो

- ड्राइवर का नाम और मोबाइल नंबर अपने पास रखें

- ड्राइवर के लाइसेंस और एक्सपीरियंस की जानकारी करें

- वाहन में फ‌र्स्ट एड बाक्स और अग्निशमन यंत्र जरूर देखें

Posted By: Inextlive