चुनावी 'सहालग' में उलझीं ट्रेवेल एजेंसीज

इलेक्शन में ड्यूटी नहीं लगवाना चाहते ट्रेवेल एजेंसी के संचालक

लेटलतीफ पेमेंट मिलने के चलते नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

RTO ऑफिस से फोन आने पर बना रहे तरह-तरह का बहाना

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW (16 April):

- सर मेरी कार गैराज में खड़ी है। 55 हजार का खर्चा है। फिर गाड़ी कब तक बन पाएगी, यह कहना मुश्किल है।

- मेरी वैन बुकिंग पर बाहर गई हुई हैं। वह अब अगले महीने पांच को लौटेगी।

-मेरी बस का इंजन सीज है। इस बार तो बस नहीं भेज पाउंगा।

- मेरी जीप का तीन हफ्ते पहले एक्सीडेंट हो गया है। ऐसे में गाड़ी कैसे भेजूं?

इलेक्शन डयूटी में अपनी गाड़ी भेजने से बचने के लिए तमाम ट्रेवेल्स एंजेसी संचालक ऐसे-ऐसे ही जवाब दे रहे हैं। एक ओर इलेक्शन और दूसरी ओर सहालग। सहालग में कमाई के चलते तमाम ट्रेवेल्स संचालक आरटीओ की गिरफ्त से दूर रहने की जुगत लगा रहे हैं। इन ट्रेवेल्स संचालकों की माने तो इलेक्शन आते ही इन पर आफत टूट पड़ती है। फिर सहालग के सीजन में जब गाड़ी खड़ी हो जाएगी तो हम कमाई क्या खाक करेंगे? उधर, आरटीओ डिपार्टमेंट इलेक्शन के लिए अतिरिक्त गाडि़यों की व्यवस्था करने में जुट गया है।

बारातों में उलझे सभी

सहालग शुरू हो चुकी है। बारातियों को लाने और ले जाने के लिए बुकिंग भी शुरू हो गई है लेकिन बारात तो दूर दूल्हे को ले जाने के लिए गाडि़यां तक नहीं मिल रही हैं। इलेक्शन के चलते गाडि़यों की धर-पकड़ शुरू होने से तमाम ट्रेवेल्स वाले अपनी गाडि़यां सड़कों पर उतारने से कतरा रहे हैं। आरटीओ डिपार्टमेंट के अनुसार जहां से गाडि़यां ली जानी हैं, वहां लेटर भेजा चुका है। वहीं, ट्रेवेल्स वालों की माने तो आरटीओ डिपार्टमेंट के अधिकारियों के डर से हम अपनी गाडि़यां सड़क पर नहीं उतार रहे हैं। वे रोड पर चलती हुई गाड़ी को कभी भी इलेक्शन ड्यूटी में भेज सकते हैं। एक अन्य ट्रेवेल्स संचालक हरीश कुमार ने बताया कि इलेक्शन ड्यूटी में सिर्फ गाड़ी की नहीं हमारी भी ड्यूटी लग जाती है। गाड़ी में ड्राइवर हमारा ही होता है। वहां किसी को यह नहीं पता होता कि गाड़ी कब और कहां जाएगी। ऐसे में 24 घंटे की हमारी ड्यूटी हो जाती है।

बॉक्स

RTO करेगा क्भ्0 गाडि़यों का इंतजाम

आरटीओ डिपार्टमेंट के अनुसार इस बार हमें छोटी-बड़ी गाडि़यों को मिलाकर कुल क्भ्0 गाडि़यों की व्यवस्था करनी है। इसके लिए रिक्यूजीशन आ चुका है। गाडि़यों की व्यवस्था जल्द की जाएगी। गाडि़यों को लगभग हजार रुपए पेमेंट पर रखा जाएगा। इनमें लगने वाली गाडि़यों की दूरी पचास से सौ किमी होती है। फिर पेट्रोल या डीजल का खर्चा सरकार ही देती है।

कोट

इलेक्शन ड्यूटी के लिए गाडि़यों की व्यवस्था की जा रही है। इलेक्शन के लिए गाडि़यों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। इलेक्शन में लगने वाली सभी गाडि़यों के पेमेंट भी किया जाता है।

आरपी सिंह

एआरटीओ प्रवर्तन

कोट

इलेक्शन में डयूटी में गाड़ी देने से कोई परेशानी नहीं है। इसका पेमेंट बहुत लेट मिलता है। लगभग साल भर बाद इसका पेमेंट होता है। हम लोग इससे इसलिए बचते हैं कि पहले से ही लोगों ने गाड़ी की बुकिंग करवा रखी है तो हम कस्टमर को क्या जवाब देंगे? फिर उनसे एडवांस पैसा ले चुके हैं।

अजीत सिंह

डायरेक्टर, रेडी फॉर जर्नी ट्रवेल्स

Posted By: Inextlive