तीस वर्ष पहले दिलीप सेवई भंडार की नींव रखने वाले हाजी मोहम्मद हनीफ ने प्रख्यात अभिनेता दिलीप कुमार को भेंट की थी सेवई

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ALLAHABAD: अल्लाह की इबादत का पाक महीना रमजान शवाब पर पहुंच चुका है तो मार्केट में ईद की खरीदारी जोरों पर की जा रही है। रसूलपुर करेली में सेवई बनाने का एक ऐसा कारखाना है जहां चालीस वर्षो से बनने वाली इलाहाबादी सेवई के मुरीद बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार भी हैं। कारखाने के मालिक और दिलीप कुमार के प्रशंसक हाजी मोहम्मद हनीफ ने तीस वर्ष पहले मुम्बई जाकर उन्हें इलाहाबादी सेवई भेंट की थी। स्व। हनीफ के पोते शहनवाज ने बताया कि बीस मिनट की मुलाकात के दौरान ट्रेजडी किंग ने इलाहाबादी सेवई की खुशबू से प्रभावित होकर कहा था कि वाह क्या बात है इलाहाबादी सेवई की।

मुलाकात के बाद बदला कारखाने का नाम

तीस वर्ष पहले जब हाजी मो। हनीफ दिलीप कुमार से मिलने के लिए मुम्बई पहुंचे तो उन्हें सात दिनों तक उनसे मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ा था। शहनवाज ने बताया कि दादा जी ने जब ट्रेजडी किंग से मुलाकात की तो सेवई भेंट करने के बाद उनसे गुजारिश की थी कि आपके नाम से कारखाना का नाम रखना चाहता हूं। इस पर ट्रेजडी किंग इतने खुश हुए कि उन्होंने हाजी साहब की गुजारिश को कबूल कर लिया। तब कारखाने का नाम दिलीप सेवई भंडार रखा गया।

छह महीने से बना रहे सेवई

ईद की खुशियों में मिठास घोलने के लिए रसूलपुर करेली में स्थित दिलीप सेवई भंडार में सेवई बनाने की तैयारी छह महीने पहले से ही शुरू कर दी गई थी। यहां मालिक शहनवाज की अगुवाई में पंद्रह कारीगर पानी व मैदा के मिश्रण से बारीक सेवईयां बनाने का काम कर रहे हैं। कारीगरों द्वारा मैदा को चाल कर उसे फिल्टर किया जाता है फिर मशीन में तैयार कर धूप में सुखाया जाता है।

दो सौ किमी तक जाती है सेवई

दिलीप सेवई भंडार में इलाहाबादी सेवई के अलावा किमामी, शीर खोरमा व वर सिल्ली जैसी सेवई बनाई जाती हैं। इसकी ख्याति इलाहाबाद में ही नहीं बल्कि कानपुर, फैजाबाद, मेरठ, लखनऊ, आजमगढ़, बनारस, रायबरेली व सोनभद्र जैसे जिलों तक है। इन जिलों से पिछले दो महीने से लोग आते रहे और अपनी आवश्यकता के अनुसार सेवई की खरीदारी करते रहे।

40-50

किलोग्राम सेवई प्रति घंटे तैयार की जाती है कारखाने में

100

ग्राम से लेकर एक किलोग्राम के पैकेट तैयार किए जाते हैं

500

किलोग्राम सेवई एक दिन में तैयार की जाती है

सेवई की मात्रा और उसकी कीमत

सौ ग्राम : दस रुपए

डेढ़ सौ ग्राम : पंद्रह रुपए

पांच सौ ग्राम : चालीस रुपए

एक किग्रा : 75 रुपए

हमारे दादा जी दिलीप कुमार के बहुत बड़े प्रशंसक थे। अपने हाथों से बनाई सेवई खिलाने के लिए वे दिलीप साहब के पास पहुंचे थे। वहां से इलाहाबादी सेवई को बड़ा नाम मिला और दिलीप कुमार के नाम से कारखाने का नाम रखा गया।

शहनवाज,

मालिक, दिलीप सेवई भंडार

Posted By: Inextlive