- मेडिकल में बनेगा लक्ष्मीबाई आशा केन्द्र

- 400 करोड़ की लागत से केन्द्र होगा तैयार

-181 पर कॉल करने पर आपके द्वार पहुंचेगी पुलिस

आई एक्सक्लूसिव

Meerut दहेज उत्पीड़न, मारपीट, घरेलू हिंसा, एसिड और दुष्कर्म पीडि़ताओं को अब एक फोन कॉल्स पर एक ही छत के नीचे इलाज और न्याय मिलेगा। इसके लिए केन्द्र सरकार ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय से 17 शहरों में रानी लक्ष्मीबाई आशा केंद्र के नाम से योजना संचालित की है। मेरठ में इसका अस्थाई कार्यालय फिलहाल मेडिकल कॉलेज की पुरानी इमरजेंसी में खुल चुका है, लेकिन अगस्त माह तक 400 करोड़ रुपये की लागत से नई बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

20 मामलों की काउंसलिंग

मेडिकल के पुरानी इमरजेंसी की बिल्डिंग में रानी लक्ष्मीबाई आशा केंद्र 8 मार्च यानि महिला दिवस को खुल चुका है। तीन माह में अभी तक केंद्र 20 मामलों की सुनवाई कर चुका है। पीडि़त महिलाओं के परिजनों की काउंसलिंग करा चुका है और कई आरोपियों को चेतावनी दी गई है। पांच मामले रेस्क्यू अभियान के तहत पूर्ण कराये जा चुके हैं।

महिला पुलिस चौकी

मेडिकल की एनएमसी के बराबर में बन रही 400 करोड़ रुपये की लागत से बिल्डिंग में एक महिला पुलिस चौकी भी बनेगी। इसमें चार महिला कांस्टेबल, एक एसआई, एक सोशल वर्कर बोबी चक्रवर्ती और दो महिला डाक्टरों के साथ-साथ 181 गाड़ी के चालक की तैनाती रहेगी। शिकायत पर 181 नंबर की गाड़ी में महिला पुलिसकर्मी पीडि़ता के बताए पते पर पहुंचेगी और पीडि़ता को लेकर रानी लक्ष्मीबाई आशा केंद्र पर लेकर आएंगी। जहां दो महिला चिकित्सक पीडि़ता का परीक्षण करेंगी और उसके बाद पुलिस चौकी में उसकी तहरीर लिखी जाएगी।

गिड़गिड़ाएंगी नहीं पीडि़ता

पूर्व में महिला, युवती अथवा बच्ची के साथ जब अप्रिय घटना हो जाती थी तो वह अधिकारियों के सामने जाने से परहेज करती थी। साथ ही पुरुषों के समक्ष अपनी पूर्ण व्यवस्था भी नहीं रख पाती थी। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई आशा केंद्र में समस्त स्टॉफ महिलाओं का होगा। साथ ही पुलिसकर्मी, डाक्टर और सोशल वर्कर पीडि़ताओं से शिष्टाचार के अनुरूप कार्य करेंगी।

यह योजना महिला एवं बाल कल्याण केंद्र की है। शासन के अनुरोध पर हमने इन्हें जगह उपलब्ध कराई है। इससे बेसहारा पीडि़त महिलाओं और बच्चों को काफी मदद मिलेगी। किन्हीं केस में हम चाहकर भी पीडि़त महिलाओं या बच्चों की मदद नहीं कर पाते थे, लेकिन केंद्र से सभी सुविधाएं मिलेंगी तो अच्छा है। इसके अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं।

-विभु साहनी, सीएमएस, मेडिकल कॉलेज।

Posted By: Inextlive