आगरा. ताजनगरी में तेजी से भूगर्भ जल नीचे गिर रहा है. हर ओर पानी के लिए त्राहि मची हुई है. शहर के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां लोग पानी की आस में सब काम छोड़े बैठे रहते है. ऐसे में दयालबाग क्षेत्र पानी का संरक्षण ही नहीं कर रहा, बल्कि भूगर्भ जलस्तर कायम रखने के लिए करीब 800 एकड़ की खेती एसटीपी प्लांट में ट्रीटेट पानी से कर रहा है. बता दें, कि दयालबाग में होने वाली खेती में भूगर्भ जल का प्रयोग नहीं किया जाता है. खेती की सिचांई दयालबाग की कॉलोनियों से निकलने वाले सीवरेज वॉटर से की जाती है.

800 एकड़ खेती की होती है सिचांई

दयालबाग में भूगर्भ जल संरक्षित करने के लिए पिछले कई सालों से 800 एकड़ में फैली खेती की सिंचाई के लिए सिर्फ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ट्रीटेट पानी का प्रयोग किया जाता है. खेती की सिचांई के लिए भूगर्भ जल का प्रयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में दयालबागवासियों का मानना है कि सिंचाई में अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. यदि हम कॉलोनियों से निकलने वाले सीवरेज पानी को ही ट्रीट करके प्रयोग करेंगे, तो हम अधिक मात्रा में जल का संरक्षण कर सकेंगे.

हर फसल की सिंचाई होती है ट्रीटेट पानी से

फसल की सिंचाई के लिए एसटीपी प्लांट से निकले ट्रीटेट पानी का ही प्रयोग किया जाता है. यहां सीजन के हिसाब से हर फसल की खेती इसी पानी से की जाती है. जिसमें करीब सौ एकड़ जमीन पर सरसों, 40 एकड़ पर चना, 40 एकड़ पर दाल, सौ एकड़ पर जौ और लगभग तीन सौ एकड़ में गेहूं की पैदावार की जाती है. लगभग सभी तरह की फसलों की पैदावार सीवरेज के ट्रीटेट पानी पर ही आधारित है. दयालबाग में यह प्रक्रिया पिछले कई वर्षो से चली आ रही है. वर्षो से ही खेती के लिए भूगर्भ जल का प्रयोग नहीं किया जा रहा है.

कॉलोनियों से निकला पानी जाता है प्लांट में

दयालबाग के श्वेत नगर, राधा नगर, प्रेमनगर, कार्यवीर नगर आदि कॉलोनियों से निकला पानी दयालबाग के जगनपुर गांव में लगे प्लांट में स्टोर किया जाता है. यह पानी घरों से निकला वेस्ट वॉटर होता है. प्लांट 14 एमएलडी की क्षमता वाला है. जो जल निगम का है. विभाग हर दिन दयालबाग को 12 एमएलडी ट्रीटेट पानी देता है. इस पानी से दयालबाग की 800 एकड़ की खेती आसानी से होती है. जो खेती को फायदा पहुंचाता है. इसी पानी से डीईआई में लगे पेड़ों की सिंचाई भी की जाती है.

लैब में हर रोज होती है पानी की मॉनीटरिंग

कॉलोनियों से स्टोर किए गए पानी की हर रोज मॉनीटरिंग प्लांट की लैब में की जाती है. इसमें डीओडी, सीओडी, टीएसएस, बीएसएस, पीएच वेल्यू एवं तापमान की मात्रा परखी जाती है.

पानी संरक्षण के लिए हम सभी को पहल करनी होगी. जल के बिना जीवन संभव नहीं है. हम लोग लाखों लीटर पानी बचाकर भूगर्भ जल को संरक्षित कर रहे हैं.

मनीष कुमार, दयालबाग निवासी

Posted By: Vintee Sharma