Varanasi: सरकारी कामकाज में बदइंतजामी का नमूना देखना हो तो वाराणसी के कबीरचौरा स्थित मंडलीय हॉस्पिटल चले जाइए. यहां आप एक रुपये खर्च करके क्वालीफाइड डॉक्टर्स से अपने रोग का निदान दवाइयों के साथ पा सकते हैं. लेकिन यहां आपको अपनी टू व्हीलर या साइकिल की सुरक्षा के लिए तीन से पांच रुपये तक खर्च करने होंगे. जी हां हॉस्पिटल के दोनों गेट्स पर चल रहे साइकिल स्टैंड्स का यही रेट है. यानी सरकारी व्यवस्था में चल रहे हॉस्पिटल के इस साइकिल स्टैंड की फीस इलाज की फीस से पांच गुना अधिक है. खास बात यह कि स्टैंड संचालक की ओर से दी जाने वाली पर्चियों पर स्केच पेन से राशि लिखकर वसूली की जा रही है. यह सब हो रहा है एसआईसी ऑफिस के ठीक नाक के नीचे. लेकिन वह चुप है. क्यों इसका जवाब हमारे पास भी नहीं है. शायद आपको पता हो.


पूरा कैंपस है साइकिल स्टैंड हॉस्पिटल में घुसते ही साइकिल स्टैंड की सीमा शुरू हो जाती है। आप कहीं भी गाड़ी या साइकिल खड़ी करें। आपको पैसे देने होंगे। आपने ना नुकुर किया तो स्टैंड संचालक के गुर्गे आपको पैसे देने पर मजबूर कर देंगे। गाड़ी खड़ी करते ही आपके पास एक आदमी आयेगा और पर्ची थमा कर चला जायेगा। कभी इस पर्ची पर स्केच पेन से स्टैंड की फीस पांच रुपये लिखी हुए मिलेगी तो कभी बिना लिखे ही पर्ची आपकी गाड़ी पर चस्पा कर दी जायेगी। स्टैंड की फीस आपको एडवांस में देनी होगी। बाद का कोई चक्कर ही नहीं है। व्यक्ति को देखकर उससे फीस भी वसूला जाता है। हॉस्पिटल का अपना है स्टैंड


हॉस्पिटल कैंपस में चल रहा स्टैंड हॉस्पिटल का है। एक अरसे से एक ही व्यक्ति इस स्टैंड का संचालन कर रहा है। कई साल पहले इस स्टैंड के लिए टेंडर निकाला गया था। उसके बाद से स्टैंड का टेंडर निकाले जाने को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। एसआईसी को भी स्टैंड संचालक के नाम का पता नहीं है और न ही उन्होंने हमें उसका नाम, पता उपलब्ध कराने की कोशिश की। SIC साहब को नहीं दिखता स्टैंड

हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ। डीबी सिंह को स्टैंड के विषय में कोई जानकारी नहीं है। उन्हें हॉस्पिटल कैंपस में खड़ी गाडिय़ां भी नहीं दिखाई देती हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उनसे स्टैंड के एरिया और इसका संचालन कौन और कब से कर रहा है, की जानकारी मांगी तो उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए किसी दूसरे दिन जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही। इससे भी खास बात यह रही कि उन्होंने कहा कि पूरे कैंपस में गाडिय़ां खड़ी नहीं होतीं। स्टैंड वाला सबसे पैसे भी नहीं लेता है। "मुझे हॉस्पिटल में आये हुए सात- आठ महीने ही हुए हैं। यहां चल रहा साइकिल स्टैंड हॉस्पिटल का है। पिछले कई सालों से यह यहां चल रहा है। स्टैंड संचालक का नाम मुझे अभी याद नहीं है। स्टैंड की पर्ची पर रेट नहीं लिखा है इसकी जानकारी मुझे नहीं है। आज मैं थोड़ा व्यस्त हूं कल आपको जानकारी दे सकता हूं। - डॉ। डीबी सिंह, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा Report by: Himanshu Sharma

Posted By: Inextlive