-राज्यसभा में बिल पास होते ही मुस्लिम महिलाओं ने मनाया जश्न

-आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान ने तीन तलाक के खिलाफ उठाई थी आवाज

बरेली : अब और नहीं तलाक, तलाक, तलाक क्योंकि सरकार ने तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को सजा के दायरे में लाने का बिल ट्यूजडे को राज्यसभा से पास हो गया। जिसके बाद सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े केंद्र बरेली में तलाक पीडि़ताओं ने जश्न मनाया। सभी महिलाओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुबारकबाद दी। आला हजरत खानदान की बहू रहीं व आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के घर कई पीडि़ताएं पहुंची। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई। मुस्लिम महिलाओं ने बताया कि अब हम सभी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि अब न तो कोई शौहर तलाक की धमकी देगा और न ही तलाक देकर घर से निकालने की जुर्रत कर पाएगा।

2016 से कर रहीं थीं संघर्ष

बरेली से वर्ष 2016 से तीन तलाक पर रोक लगाने की आवाज उठ रही थी, जोकि ट्यूजडे को कानून बन गई। आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां से तलाक का विवाद होने के बाद निदा खान तलाक के खिलाफ खड़ी हुई।

इस्लाम से किया था खारिज

पिछले साल 17 जुलाई को उन्हें एक फतवा जारी कर इस्लाम से खारिज कर दिया गया था। दूसरी तरफ मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी तलाक भी तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाती जा रहीं थीं। पीडि़ताओं को सामने लाकर उन्हें न्याय दिलाने की मुहिम छोड़ी। इन दोनों महिलाओं की आवाज देशभर में गूंजी।

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तीन तलाक कानून हमारी पीढि़यों को सुरक्षित करेगा। अब कोई शौहर चाय में चीनी कम होने पर तलाक देने की जुर्रत नहीं जुटा पाएगा। तलाक के लिए संघर्ष करने वाली व पीडि़ताओं को न्याय मिला है। सरकार और बिल को समर्थन करने वाले सांसदों का धन्यवाद। हमारे लिए यह जश्न का पल है। काश कानून पहले आता तो मझे तलाक देने का दावा करने वाले शीरान रजा को भी सजा कराती।

-निदा खान, अध्यक्ष आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी, बरेली

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तलाक के लिए जान जोखिम में डालने आवाज उठाने वाली महिलाओं को सरकार ने न्याय दिया है। मुस्लिम महिलाएं सुरक्षित होंगी। उनका सम्मान बढ़ेगा। सजा के डर से कोई शौहर न तो तलाक की धमकी देगा और न ही तलाक देने का साहस जुटा पाएगा। संघर्ष करने वाली सभी पीडि़ताओं को बधाई। आज का दिन महिलाओं के नया उजाला लेकर आया है। उनकी जिंदगी चमकेगी।

- फरहत नकवी, अध्यक्ष मेरा हक फाउंडेशन

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ट्रिपल तलाक का कानून शरीयत पर सीधा हमला है। तलाक जैसी गंदगी और सजा से बचने के लिए केवल जागरूकता का ही एक रास्ता है। मुसलमान अपने मसले घर में सुलझाएं। कोर्ट-कचहरी और पुलिस थानों से बचें। यही शरीयत का पैगाम है।

-मुफ्ती इंतेजार अहमद कादरी, अध्यक्ष राष्ट्रीय सुन्नी उलमा काउंसिल, बरेली

Posted By: Inextlive