- शहर की बदहाल सड़कों को लेकर शहरवासियों ने रखे विचार

- सड़कों की बदहाली बनी ट्रैफिक की सबसे बड़ी समस्या

इंट्रो- बारिश को छोडि़ए शहर में आम दिनों में ही शहर के कई इलाकों की सड़कें तालाब बन जाती हैं। सीवेज सिस्टम की लचर व्यवस्थाएं आम लोगों पर भारी पड़ रही हैं। शहर में सड़कों के नाम पर महज गड्ढ़े हैं। सड़कों की बदहाल हालत समूची व्यवस्था पर ही सवाल उठा रहीं हैं। सनडे को शहरवासियों ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कैम्पेन 'नाइसिल प्रजेंट्स गर्मी लगी क्या' में शहर की बदहाल सड़कों और बेरूखी व्यवस्था पर खुलकर बात रखी। यह कार्यक्रम होटल हाइफन व शॉपरिक्स स्थित गरम मसाला फूड कॉर्नर में कराया गया। इस दौरान एम्प्लाइज और पब्लिक ने समस्याओं के साथ-साथ कई सुझाव भी दिए।

मेरठ। शहर में सड़कों की बदहाली सबसे बड़ा मुद्दा है। कई जगह तो सड़कें तालाब सरीखी हो गई हैं। लेकिन इन पर कोई ध्यान नहीं देता है। हालत यह है कि रोजाना बदहाल सड़कों के चलते 8 से 10 बड़े हादसे हो जाते हैं। कई इलाके तो ऐसे है जिनको सड़कों के गड्ढों से ही पहचाना जाता है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कैम्पेन 'नाइसिल प्रजेंट्स गर्मी लगी क्या' में शहरवासियों ने बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सड़कों को सुधारा जाए तो कई समस्याएं अपने आप ही हल हो जाएंगी। इसके लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।

सड़कों पर जलभराव है समस्या

गरम मसाला फूड कॉर्नर की संचालिका पारुल मदान ने कहा कि बारिश में शहर की सड़कों पर पानी भरा रहता है, पानी की निकासी होने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते रोजाना एक्सीडेंट हो जाते हैं। वहीं, जाकिर ने कहा पानी की निकासी नहीं है, नालों की सफाई नहीं होती है जो होनी चाहिए। नालों में पानी भरता है जिससे लोगों को जूझना पड़ता है।

टूट रही है सड़कें

होटल हाइफन में रामा सैनी ने कहा कि सड़कों के किनारे पर दुकानदारों का अतिक्रमण होता है। ऐसे में आधी सड़कें सामान से घिरी होती हैं बाकी सड़कों पर गड्ढ़े होते हैं तो एक्सीडेंट तो होंगे ही, उन्होंने कहाकि सड़कों पर सही से ब्रेकर नहीं है। आधे अधूरे ब्रेकर होते हैं, जिसके चलते हर एक मिनट में न जाने कितने एक्सीडेंट हो रहे हैं। प्रदीप ने कहा कि शहर में कई एक्सीडेंट होते हैं.बावजूद इसके रोड सेफ्टी को लेकर कोई नियम कानून हैं। हर तरफ करप्शन चल रहा है।

ये दिए गए सुझाव

- सरकार को प्लान बनाकर काम करना चाहिए

- सड़क पर किसी अन्य काम को करने के दौरान हुई टूट-फूट को तुरंत ही ठीक कराना चाहिए

- सड़कों की नियमित मरम्मत की जानी चाहिए।

- सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकर को सही कराया जाए।

- कानून तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

वर्जन

बारिश में सड़कों पर पानी जमा हो जाता है, जिसके चलते एक्सीडेंट होते हैं। पर इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है, पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

पारुल मदान

ब्रेकर अधूरे है, कहीं पर तो ब्रेकर ही नहीं है। ऐसे में निश्चित है कि एक्सीडेंट तो होंगे ही। लेकिन कोई इस पर काम नहीं करता है, सिस्टम ही खराब है।

सचिन

सड़कें नहीं, यहां तो गड्ढ़ों में सड़कें हैं। स्पीड ब्रेकर होना न होना बराबर है, क्योंकि ब्रेकर बीच में से टूटे हुए है, कोई उनको ठीक नहीं करवाता है।

दमन

शहर में हर रोज कई एक्सीडेंट होते हैं, रोड सेफ्टी को लेकर यहां कोई सिस्टम नहीं है। सड़कों की बदहाल व्यवस्था भी सबसे बड़ी समस्या है।

प्रदीप

महज कागजों में ही काम चल रहा है। कागजों में सड़कों का निर्माण कराया जाता है। सड़क निर्माण को लेकर घपला चलता है।

दीपक चौधरी

Posted By: Inextlive