कसाब को फांसी पर लटकाये जाने पर शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जो खुश नहीं होगा. 26/11 के दिन टीवी एक्‍ट्रेस अमृता रायचंद होटल ताज में फंसी थीं. उन्‍होंने उस खौफनाक दिन की आपबीती हमारे एक रीडर से शेयर की. जानिए उस दिन होटल ताज में क्‍या मंजर था अमृता रायचंद की जुबानी...


आज कसाब को फांसी पर लटकाये जाने की खबर सुनकर बहुत खुश हूँ, 26/11 की वह भयवाह रात भला मैं कैसे भूल सकती हूं. 26 नवम्बर को मेरा बर्थडे पड़ता है. मैं उस दिन अपना बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए अपने इन्लाव्स, हस्बैंड के साथ ताज में गयी थी. हमे थोडा लेट हो गया था जिसकी वजह से वसाबी रेस्टूरेंट में जगह खाली नहीं थी. तभी वहां रुके एक दोस्त ने हमे अपने कमरे में बुला लिया. करीब पंद्रह मिनट बीते होंगे कि हमे धमाकों, गोलियों की अवाज़ सुनाई दी पहले लगा की गैंगवार हो रहा है. लेकिन थोड़ी देर बाद मालूम हुआ की मुंबई पर टेरेरिस्ट अटैक हो गया है. आतंकी ताज में भी थे. बाहर निकलने का कोई सवाल ही नहीं था हमने कमरे की लाइट्स बंद कर खुद को कमरे में कैद कर लिया. बाहर लोगों के कदमों की आवाज सुनाई दे रही थी लगता था की बस आज यंही दी एंड हो जायेगा. सुबह फायर-ब्रिगेड के लोगों के आने पर रूम खोला उनलोगों ने लैडर के सहारे हमें होटल से बाहर निकाला  और एम्बुलेंस से घर पहुचाया. 26 नवम्बर की रात से फंसे अगले दिन सुबह सात बजे तक हम घर पहुंचे. भले ही इस घटना को चार साल बीत गए हैं लेकिन उस दिन को याद कर आज भी सिहर उठती हूं. कसाब को फंसी पर लटकाने से बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन फिर फ्यूचर में ऐसी घटना न हो गवर्नमेंट को बहुत अटेंटिव रहना होगा...In conversation with our reader Priyamvada Rastogi

Posted By: Satyendra Kumar Singh