- 20 लाख से अधिक का बजट स्कूलों ने नहीं किया वापस

- वर्ष 2013-14 में 72 स्कूलों में से 65 स्कूलों के पास बाकी है फंड

- एक साल पहले शासन ने मांगा था हिसाब, 10 महीने से से डाक-डाक खेल रहा शिक्षा विभाग

Meerut। स्कूली बच्चों के निवाले यानी मिड डे मील के लिए तीन साल पहले आए 20 लाख से अधिक का बजट प्राइमरी और अपर-प्राइमरी स्कूलों के संचालक हजम कर गए हैं। शासन से इसका हिसाब-किताब मांगने पर अब शिक्षा विभाग भी 10 महीने से सिर्फ डाक-डाक खेल रहा है, जबकि शासन ने विभाग को अलग से पूरा बजट न देने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में आने वाले समय में बच्चों के आगे मिड डे मील न मिलने का संकट खड़ा हो सकता है।

यह है मामला

शिक्षा विभाग ने वर्ष 2013-14 में 100 से अधिक ऐडिड और सरकारी स्कूलों को एमडीएम योजना के तहत कनवर्जन कॉस्ट के रूप में 20 लाख से अधिक का बजट जारी किया था। यह पैसा सीधे स्कूलों के खाते में पहुंचा था, लेकिन इसी दौरान शिक्षा विभाग ने स्कूलों में एनजीओ से मिड डे मील की सप्लाई शुरु करा दी, जिसकी पेमेंट भी विभाग की ओर से ही की जा रही थी। ऐसे में स्कूल संचालकों की ओर से इस बजट का प्रयोग नहीं किया जा सका और यह पैसा उनके खातों में ही अटक गया। इस राशि को वापस लेने के लिए विभाग की ओर से हीलाहवाली बरती जा रही थी। शासन से इस रकम को बजट में एडजस्ट करने के निर्देश मिलने के बाद विभाग ने स्कूलों को रिकवरी से लिए सिर्फ डाक भेजकर चेताया हैं।

स्कूलों में अटका पैसा

शिक्षा विभाग की ओर से 72 स्कूलों को बजट लौटाना था। इसमें से करीब 7 स्कूलों ने ही विभाग को कुछ पैसा लौटाया है। जबकि 65 स्कूलों में अभी भी बजट की रकम बाकी है। नोटिस देने के बाद भी स्कूलों ने पैसा विभाग को वापस नहीं किया है। फेहरिस्त में सभी स्कूल शहरी क्षेत्र के है।

तीन साल पहले बजट जारी किया गया था। स्कूलों को पैसा रिकवर करने के लिए डाक भी भेजी गई थी लेकिन 7 स्कूलों ने ही पैसा वापस किया है। शासन को इसकी रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।

वीरेंद्र कुमार, डिविजनल कोर्डिनेटर, मिड डे मिल

Posted By: Inextlive