RANCHI : मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव के बाद से ही हर जगह इसका विरोध हो रहा है। कुछ राज्यों ने तो इस एक्ट को मानने से ही इंकार कर दिया है। राजधानी रांची में भी इसके विरोध में लोग आवाज उठाने लगे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव से टू और फोर व्हीलर चलाने वालों को इसकी मार ज्यादा सहनी पड़ रही है। इनके हर कागजात की कड़ाई से जांच की जा रही है। जबकि भारी वाहन चलाने वालों में कोई खास बदलाव नहीं आया है। वे पहले की ही तरह बेखौफ बिना रूल फॉलो किए वाहन दौड़ा रहे हैं। सिटी में सैकड़ों बसें इसकी गवाह हैं। ये बसें बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के आज भी चल रही हैं। इसके बावजूद इन बसों को रोकने के लिए कोई जहमत नहीं उठाता। कई बार तो कागजात में कमी पकड़े जाने के बाद भी मात्र एक फोन कॉल पर बस को छोड़ा दिया जाता है।

सिर्फ एक फिटनेस सेंटर

झारखंड में बड़े वाहनों के लिए सिर्फ एक ही फिटनेस सेंटर है। ओरमांझी रोड स्थित इस ऑटोमेटेड इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेट सेंटर में बसों की लाइन लगी रहती है। यहां से फिटनेस सर्टिफिकेट लेने में दस से पंद्रह दिन का समय लग जाता है। वहीं अलग-अलग जिलों में एमवीआई भारी वाहनों को ऑनलाइन फिटनेस देने का काम कर रहे हैं। इनकी भी संख्या कम है। इसके अलावा राज्य भर में 160 निजी प्रदूषण जांच केंद्र हैं जहां परिवहन विभाग के तय शुल्क के आधार पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है। सिटी में हजारों छोटे-बड़े बस और ट्रक चलते हैं। इनमें कई ऐसे है जिनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है, तो कुछ के पास प्रदूषण पेपर नहीं है, कई वाहन बगैर इंश्योरेंस के ही चल रहे हैं।

बस में 35 की जगह बैठा रहे 50

कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि ड्राइवर अपने बस में क्षमता से ज्यादा सवारी बैठा लेते हैं। ज्यादा कमाने की चाह में बस ड्राइवर नियम का धड़ल्ले से उल्लंघन करते हैं। इसके बावजूद ऐसे बस चालक पकड़ में नहीं आते। बस में 30 से 35 सवारी बैठाने की क्षमता होती है लेकिन 50 से भी ज्यादा सवारी बैठा लेते हैं। लोकल बस में यह नजारा आम रहता है, अब ऐसी बसें भी इसी ढर्रे पर चल रही हैं।

बडे़ वाहनों के लिए ये कागज अनिवार्य

रजिस्ट्रेशन पेपर, इंश्योरेंस पेपर, फिटनेस सर्टिफिकेट, अपटूडेट टैक्स पेपर, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, स्पीड गर्वनर, ड्राइविंग लाइसेंस।

यह निर्णय उचित नहीं

हमलोग सभी कागज ओके रखते हैं। बगैर इसके गाड़ी सड़क पर उतर ही नहीं सकती। नये नियमों से हम लोगों को अब तक कोई परेशानी नहीं हुई है। लेकिन सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है। धीरे-धीरे फाइन में इजाफा किया जाता तो बेहतर होता। इसके अलावा सरकार को चाहिए कि ऑन द स्पॉट लोगों के कागजात बनवाये जायें।

कृष्ण मोहन सिंह, बस ऑनर एसोशिएशन

वर्जन

बड़े वाहनों यदि ऐसा कर रहे हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी। हम लोग नियमित जांच अभियान भी चलाते हैं। क्षमता से ज्यादा सवारी बैठाने वालों पर कार्रवाई भी की जाती है। इसके अलावा गाड़ी के कागज की भी जांच की जाती है।

संजीव कुमार, डीटीओ, रांची

Posted By: Inextlive