दो दिवसीय ज्ञानोत्सव समारोह का सीसीएसयू में शुभारंभ

न्यास के राष्ट्रीय सचिव ने की शिक्षा में बदलाव की बात

Meerut। देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। बड़ी-बड़ी बात करने के बजाए छोटी-छोटी बातों को जीवन में धारण करना होगा। देश के लिए मरने के बजाए देश के लिए जीना सीखें। हर व्यक्ति नौकर बनना चाहता है। जबकि शिक्षा ऐसी ग्रहण करो कि दूसरों को नौकरी दे सको। शिक्षा में ऐसे परिवर्तन करने के लिए ही ज्ञानोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह बात ज्ञानोत्सव के उद्घाटन समारोह के दौरान बतौर मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कही।

शिक्षा बन गई है बोझ

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं सीसीएसयू के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय ज्ञानोत्सव का शुभारंभ मंगलवार को सीसीएसयू के नेता सुभाष चंद्र बोस प्रेक्षागृह में हुआ। इस दौरान अतुल कोठारी ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा बच्चों के लिए बोझ बन गई है। बच्चों के ऊपर किताबों का इतना बोझ डाल दिया जाता है कि वह स्कूल जाने से कतराते हैं।

नैतिक मूल्य रहें बरकरार

मुख्य अतिथि सूर्य प्रकाश टोंक ने कहा कि नैतिकता और जीवन के मूल्य को खत्म करने वाली शिक्षा नहीं होनी चाहिए। संस्कार और संस्कृति शिक्षा से गायब होती जा रही है। वर्तमान शिक्षा बच्चों को केवल जीविका चलाना सिखा रही है। हमारे देश में विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है। यदि शिक्षा में जीवन मूल्य, संस्कृति व संस्कार भी आ जाएं तो शिक्षा के साथ न्याय होगा।

शिक्षा का उद्देश्य धन कमाना नहीं

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। एनके तनेजा ने कहा कि पाश्चात्य शिक्षा अपूर्णता का परिचय है। पाश्चात्य शिक्षा का उद्देश्य धन से मनुष्य को प्रभावित करना है। मनुष्य साधन मात्र नहीं है। भारतीय संस्कृति का समाज व राष्ट्र के लिए चिंतन करना आर्थिक उपेक्षा नहीं है। उन्होंने कहा कि पैकेज के लिए योग्यता जरूरी नहीं बल्कि परिवार, समाज, राष्ट्र, मानवता के प्रति कर्तव्य का बोध हो, ऐसी शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है।

Posted By: Inextlive