दो लाख रुपए फीस बकाया बताकर स्कूल प्रबंधन ने रोका रिजल्ट। आरटीई के तहत हुआ था दोनों बहनों का एडमिशन।

Bareilly: बरेली में शायद यह पहली बार है। शिक्षा का अधिकार पाने के लिए दो मासूम छात्राएं खुशी और खनक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के ऑफिस पर अन्न-पानी त्याग कर धरने पर बैठ गई हैं। पिता मनोज विकट भी उनके साथ हैं। दिल्ली रोड स्थित शहर के एक नामी पब्लिक स्कूल में क्लास 4 और क्लास 7 की इन मासूम स्टूडेंट्स का राइट टू एजुकेशन के तहत एडमिशन लिया गया था, लेकिन अब उन्हें इस अधिकार से वंचित कर स्कूल में घुसने पर रोक लगा दी गई। दोनों के रिजल्ट भी नहीं दिए गए। आरोप है कि स्कूल मैनेजमेंट उनसे दो लाख रुपए जमा करने और आरटीई के तहत उन्हें दी जा रही फ्री एजुकेशन को बन्द करने का दवाब बना रहा है।

 

'झांसा देकर लिए गए एडमिशन'

खुशी और खनक के पिता मनोज का कहना है कि उनकी बड़ी बेटी 2011 से स्कूल में पढ़ रही है। तब उनकी प्रार्थना पर खुशी को आरटीई के तहत एडमिशन दे दिया गया, लेकिन स्कूल ने उनसे 15 हजार रुपए जमा करवा लिए। उनका आरोप है कि स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल की ओर से लगातार आश्वासन दिया जाता रहा है कि फीस के नाम पर जो भी पैसा वे जमा कर रहे थे वह लौटा दिया जाएगा। 2013 में छोटी बेटी खनक का भी एडमिशन आरटीई के तहत करने का झांसा देकर 15 हजार रुपए और जमा करा लिए गए, लेकिन इस वर्ष स्कूल मैनेजमेंट ने दोनों बेटियों का रिजल्ट रोक लिया। दोनों से कहा गया कि पहले वे बकाया दो लाख रुपए फीस जमा करें। दोनों के स्कूल में घुसने पर भी रोक लगा दी।

 

स्कूल मानने को तैयार नहीं

उधर, स्कूल प्रबंधन इस बात को मानने को तैयार नहीं कि दोनों बेटियों का एडमिशन आरटीई के तहत हुआ है। उनका कहना है कि मनोज झूठा आरोप लगा रहे हैं कि उनकी बेटियों का एडमिशन आरटीई के तहत हुआ है। साथ ही स्कूल का कहना है कि खुशी और खनक को कभी भी स्कूल आने से नहीं रोका गया और हमने तो उन्हें खुद मंडे को स्कूल आने के लिए बोला है।

 

मांग पूरी होने पर ही खत्म करेंगे भूख हड़ताल

दोनों बेटियों का कहना है कि उन्हें स्कूल जाने से नहीं रोका जाए और उनकी पढ़ाई को जारी रखा जाए। तभी वह भूख हडताल खत्म करेंगी। साथ ही उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने फीस वापस करने का जो आश्वासन दिया था उसे पूरा किया जाए।

 

कोर्ट में लंबित है मामला

खुशी के पिता मनोज ने बताया कि स्कूल में मनमानी फीस वसूली समेत कई अन्य बिंदुओं को लेकर उन्होनें वर्ष 2017 में सीजीएम कोर्ट में केस भी दायर किया है। लेकिन उसका अभी तक कोई फैसला नहीं आया है साथ ही मनोज ने कहा कि हम वही करेंगे जो कोर्ट आदेश करेगा। अगर कोर्ट का आदेश फीस जमा करने के होते है तो हम फीस जमा करने को तैयार र्हं और अगर कोर्ट ने मना कर दिया तो हम फीस जमा नहीं करेंगे।

Posted By: Inextlive