नया राजा और मंत्री भी नया। प्रजा को उनसे कुछ अच्छे की उम्मीद होना स्वाभाविक ही है। पर यहां मामला कुछ उल्टा ही दिखायी दे रहा है। जी हां, नया राजा और नया मंत्री प्रजा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं। राजा और मंत्री के आपस की जोरदार दुश्मनी प्रजा के लिए खतरे का कारण बन सकती है। आखिर कहां बदल रहा है शासन और कौन है नया राजा और मंत्री। दोनों के बीच की दुश्मनी किस तरह से प्रजा को करेगी परेशान। जानने के लिए चलिए अंदर के पेज पर

-21 मार्च से नव संवत्सर की हो रही है शुरुआत, शनि है राजा और मंगल मंत्री

-दोनों ग्रहों के बीच नहीं है मैत्री संबध, इनकी वैमनस्यता का पड़ेगा विपरीत असर

-जनता रहेगी परेशान, एक्सीडेंट से लेकर प्राकृतिक आपदा तक की रहेगी आशंका

VARANAS किसी राजा से पड़ोसी देश के राजा की दुश्मनी तो समझ में आती है। पर अगर राजा की दुश्मनी अपने मंत्री से ही हो तब? बेचारी प्रजा को दुश्वारियां झेलनी तय हैं। राजा कुछ कहेगा और मंत्री कुछ करेगा। दोनों अपनी दुश्मनी ही निभाने में व्यस्त रहेंगे और प्रजा इनके झगड़े में बेकार ही पिसेगी। जी हां, इस बार कुछ ऐसा ही हो रहा है। हिन्दी नव संवत्सर ख्07ख् कीलक की शुरुआत ख्क् मार्च से हो रही है। इस नये संवत्सर के बतौर राजा शनि और मंत्री के रूप में मंगल पद की शपथ लेंगे। खास है कि दोनों के बीच की दुश्मनी। ज्योतिषविदों का कहना है कि शनि और मंगल दोनों आपस में वैमनस्यता का भाव रखते हैं। राजा और मंत्री के बीच की वैमनस्यता प्रजा यानि पृथ्वीवासियों के लिए गंभीर परेशानियों को सबब बनेगी।

बनती नहीं है आपस में

ज्योतिषविद पं। चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि ग्रहों की स्थिति का सीधा असर पृथ्वी पर रहने वालों पर पड़ता है। हर ग्रह की अपनी एक खास प्रवृति होती है। शनि की प्रवृति न्यायप्रिय है। वहीं मंगल रक्त पिपासु ग्रह माना गया है। यह दोनों ही ग्रह आपस में वैमनस्यता का भाव रखते हैं। शनि के प्रभाव से जहां न्याय की प्रधानता रहेगी वहीं मंगल के मंत्री होने के चलते खून खराबे की आशंका रहेगी। पं भट्ट बताते हैं कि शासन और शासक के बीच मतभेद प्रबल रहेगा। रेल एक्सीडेंट, प्लेन क्रैश, अपहरण आदि की घटनाएं बढ़ेंगी। इसके अलावा प्रकृति पर विपरीत असर दिखायी देगा। अत्यधिक गर्मी, भारी बाढ़ आदि की संभावना भी बन रही है। राजनीतिक उथल पुथल भी दिखायी देगा। हां, शनि के साथ अन्य मैत्री ग्रहों की युति आतंकवाद के मुद्दे पर एक अंतराष्ट्रीय मंच के गठन के संकेत दे रही है। जिसकी अगुवाई भारत करेगा। भारत के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की दिशा में भी अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

कोई किसी से कम नहीं

ज्योतिषविद् पं। विमल जैन कहते हैं कि अगर राजा और मंत्री में आपस में मैत्री संबध रहता तो जनता सुखी रहती। पिछले साल ऐसा ही हुआ था। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। शनि और मंगल दोनों को क्रूर ग्रहों के रूप में मान्यता है। वर्चस्व की लड़ाई में दोनों ही कुछ न कुछ खेल खेलते रहेंगे। जिसका असर पब्लिक पर दिखायी देगा। कुछ अच्छे प्रभाव भी दिखायी देंगे लेकिन वे हर किसी के लिए उतने फलदायक नहीं साबित होंगे। महामारी आदि की संभावना बन सकती है। जिसका असर अभी से ही दिखायी दे रहा है। स्वाइन फ्लू, के बाद बर्ड फ्लू जैसी बीमारियां इसी का पूर्व संकेत हो सकता है। मौसम के बेअंदाज बदलाव को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।

नवरात्र भी नहीं दे रहा शुभ संकेत

इस बार का वासंतिक नवरात्र भी आठ दिन का है। नवरात्र की शुरुआत ख्क् मार्च से और समापन ख्8 मार्च को हो रहा है। आठ दिन नवरात्र का होना भी अपने आप में शुभ संकेत नहीं है। मान्यताओं में नवरात्र का नौ दिनी होना ही श्रेष्ठ माना गया है। जबकि आठ दिनी नवरात्र में किसी न किसी तिथि की हानि के चलते इसे शुभ नहीं माना गया है। कुछ पंचांगों ने इस बार पंचमी तिथि का तो कुछ ने द्वितीया तिथि की हानी बतायी है। पं विमल जैन बताते हैं कि नवरात्र में देवी की आराधना की जाती है। कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त ख्क् मार्च को सुबह 8.ब्7 से क्0.ब्फ् बजे तक है। अभिजित मुहुर्त क्क्.फ्म् बजे से क्ख्.ख्ब् बजे तक रहेगा। महाअष्टमी ख्7 मार्च को, महानवमी ख्8 मार्च का होगा। नौ दिन के व्रत का पारायण ख्9 मार्च को होगा।

राशियों पर क्या रहेगा असर

मेष- शुभ नही, कष्ट

वृष- सामान्य फलदायक

कर्क- मिलाजुला असर

सिंह-शनि की अढैया, शारीरिक कष्ट

कन्या- फलदायक, शुभ

मिथुन-निराशाजनक, कष्ट

तुला-शारीरिक व मानसिक कष्ट

वृश्चिक- मन अशांत, शारीरिक कष्ट, मानसिक कष्ट

धनु- चिंता, निराशा, शारीरिक कष्ट

मकर- सामान्य फलदायक

कुंभ- मिलाजुला असर

मीन- निराशाजनक प्रभाव

कुछ ऐसा रहेगा साल

-जगतलग्न के विचार से लग्नेश सूर्य उच्चराशि का होकर भाग्येश मंगल से संबध बना रहा है। यह आतंकवाद के खिलाफ एक ग्लोबल प्लेटफॉर्म के गठन का कारण हो सकता है।

-मंगल के कारण आग्नेय अस्त्रों का निर्माण और उनका प्रयोग अधिक मात्रा में होगा। खून खराबे और एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ सकती हैं।

-आद्रा प्रवेशांक के विचार से वर्षाधिपति बृहस्पति उच्चराशि का होकर त्रिकोण में विराजमान होगा। यह सामान्य से अधिक वर्षा का योग है। पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बाढ़ आ सकती है।

इसके अलावा मई जून में आंधी से भारी नुकसान होगा। सूर्य-राहु का योग विषाणु वायरस से जनता को कष्ट पहुचायेंगे। मंगल शुक्र का योग जन सघर्ष, दुर्घटना, अपहरण जैसे परिस्थितियां बढ़ेगी।

Posted By: Inextlive