आज दिल्ली के गैंग रेप केस निर्भया कांड के दो साल बीत गए हैं और इस एक्सीडेंट के बाद चले तमाम प्रोटेस्ट और मूवमेंट बावजूद ये सवाल वहीं का वहीं है कि कितनी सेफ हैं इंडियन वुमेन.


आज दिल्ली की 23 साल की पैरा मेडिकल स्टूडेंट के गैंग रेप के दो साल पूरे हो चुके हैं और इन दो सालों में कितना कुछ बदला है इस का आइडिया हाल ही दिल्ली  में उबर कैब के ड्राइवर के एक फीमेल पैसेंजर के साथ किए रेप के बारे में 16दि संबर केस की विक्टिम के फादर के इस स्टेटमेंट से हो जाता है. उनका कहना है कि 16 दिसंबर 2012 के बाद भी इंडिया में कुछ भी नहीं चेंज हुआ है. सारे पॉलिटिकल लीडर्स और मिनिस्टर्स के प्रॉमिसेज झूठे निकले और अब तो वे फील करते हैं कि ये तो पालिटीशियंस के लाइम लाइट में आने के हथकंडे थे विक्टम से कंसर्न नहीं.


विक्टिम के आई विटनेस फ्रेंड का भी कहना है कि उस हादसे जो भी बदला है शायद उनकी लाइफ में चेंज हुआ है या निर्भया के फेमिली मेंबर्स की लाइफ में बाकि किसी की जिंदगी में तो कुछ भी नहीं ही बदला, दिल्ली के सिक्योरिटी अरेंजमेंट में भी कुछ नहीं बदला. आज भी ऑर्डर के बावजूद बसों के अंदर की लाइट्स बंद रहती हैं. पिकेट का पता नहीं रहता है और सिक्योरिटी का फील नहीं आता. 

वहीं अगर निर्भया के पेरेंटस की बात करें तो उनका कहना है कि बेटी की इस क्रुअल डेथ के बाद वो कभी साउंड स्लींप नहीं ले सके और वो हर रात सपने में जैसे उनसे पूछती है कि उन्होंने उसे और उस जैसी दूसरी लड़कियों को जस्टिस दिलाने के लिए क्या किया. निर्भया के चारों एडल्ट कल्प्ट्सि को लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट से तो फांसी की सजा सुना दी गयी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील पर डिसीजन अब भी पैंडिंग है और वो कल्पिट अब भी जिंदा हैं. जिस जुवेनिअल को बेनिफिट ऑफ एज मिल गया वो भी अब एडल्ट हो चुका है.निर्भया के फादर ने प्राइम मिनिस्टर मोदी से मिलने की विश शो करते हुए कहा कि उन्हें डिसीजन लेने वाला लीडर कहा जाता है शायद वो बता सकें कि क्यों मुजरिम प्रूव होने के बाद उनकी बेटी के अपराधियों को पनिशमेंट नहीं दिया गया है और जब सारे प्रूफस मिल गए हैं तो ऑफीशियल्स को उन्हें फांसी पर लटकाने में क्या प्राब्लम आ रही है.

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Posted By: Molly Seth