ब्रिटेन और भारत के विशेषज्ञों ने साथ मिलकर एक ऐसा स्मार्ट टेक सॉलूशन की खोज की हैं जो भारतीय किसानों को न केवल बेहतर व्यावसायिक निर्णय लेने में मदद कर सकता है बल्कि देश द्वारा सामना की जा रही बड़ी चुनौतियों से भी निपट सकेगा।


लंदन (पीटीआई)। ब्रिटेन और भारत के विशेषज्ञों ने साथ मिलकर एक ऐसी स्मार्टफोन तकनीक की खोज की है, जो भारतीय किसानों को न केवल बेहतर व्यावसायिक निर्णय लेने में मदद कर सकता है, बल्कि देश द्वारा सामना की जा रही बड़ी चुनौतियों से भी निपट सकता है। हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में किसानों की जरूरतों को उजागर करने के लिए शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन और एमपी इनस्टीम्स के साथ काम कर रहे बर्मिंघम विश्वविद्यालय ने स्मार्ट तकनीक की क्षमताओं को हाईलाइट करने के लिए गुरुवार को एक नई रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट का नाम 'प्रमोटिंग क्लीन एंड एनर्जी एफिशिएंट कोल्ड-चेन्स इन इंडिया' रखा गया है।   बर्बाद होते हैं अन्न


इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मोबाइल ऐप और डेटा एनालिसिस के उपयोग से खेतों और सुपरमार्केट के बीच जो अन्न बर्बाद होते हैं, उन्हें कम किया जा सकता है और इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और मौसम के प्रभाव से फसल का नुक्सान भी कम हो जायेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम में क्लीन कोल्ड इकॉनमी डिपार्मेंट में प्रोफेसर टॉबी पीटर ने कहा, 'हमने जो नई तकनीक बनाई है, उसका उपयोग लोग आसानी से कर सकेंगे, इसके अलावा यह किसानों के लिए बहुत कारगर भी साबित होगी। यह ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल ऐप और नई तकनीकों को बढ़ावा देगा। यह ऐप किसानों को बाजार संबंधित सारी जानकारियां प्रदान करेगा, जिससे उनकी आय में काफी बढ़ोतरी होगी।'  UP Budget 2019 : खत्म हुआ किसान ऋण माफी का बोझ, कृषि विभाग के बजट में 2136 करोड़ की कटौतीअन्न को ठंडा रखने की जरुरत

बता दें कि किसी भी दवा या खाने को ठीक रखने के लिए उन्हें ठंडा रखने की जरुरत होती है। भारत में यह समस्याएं गंभीर हैं, जहां कोल्ड चेन की कमी के कारण 50 प्रतिशत तक अन्न खराब हो जाते हैं। नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में सिर्फ चार परसेंट अन्न को सही से कोल्ड चेन का फायदा मिलता है। अगर भारत में अन्न को कोल्ड चेन की सुविधा ठीक से मिलनी लगे तो वह सुरक्षित रहने के साथ किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचा सकते हैं।  नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड-चेन डेवलपमेंट के सीईओ एंड विजिटिंग बर्मिंघम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पवन कोहली ने बताया, 'कोल्ड-चेन किसानों की आर्थिक फायदा, कैश फ्लो, सुरक्षा और अन्न की गुणवत्ता जैसी चीजों में मदद करेंगे लेकिन उन्हें न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ इसे हासिल करना होगा। हम इस नई तकनीक के जरिये अन्न के नुकसान को कम कर सकते हैं और साथ ही किसान के आय को भी बढ़ा सकते हैं।।'

 

Posted By: Mukul Kumar