जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपी छात्रों में से दो उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने मंगलवार रात सरेंडर कर दिया। पूरे घटनाक्रम के मास्टरमाइंड बताए जा रहे उमर खालिद के साथ ही अनिर्बान देर रात जेएनयू कैंपस से बाहर आए और सरेंडर कर दिया। शेष तीन आरोपी अब भी कैंपस के अंदर ही हैं।


इस तरह हुआ सरेंडररात 11 बज कर 35 मिनट उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य दोनों निजी जीप पर यूनिवर्सिटी से बाहर निकले। रात 11 बजकर 40 मिनट पर उमर और अनिर्बान जेएनयू के गेट नंबर 4 पर पहुंचे, गेट से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तक सिक्योरिटी गार्ड ने उमर खालिद और अनिर्बान को पुलिस के पास छोड़ दिया। जहां पुलिस की दो गाड़ियां पहले से उनका इंतजार कर रही थीं। 11 बजकर 55 मिनट पर दोनों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। रातभर चली पूछताछ के बाद आज दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। चल रही है पूछताछ


साउथ डिस्ट्रिक्ट की एसटीएफ की टीम उमर और अनिर्बान से पूछताछ कर रही है। उमर खालिद और अनिर्बान की मेडिकल जांच के लिए सुबह तड़के 4 बज कर 45 मिनट पर डॉक्टरों की टीम थाने पहुंची। करीब एक घंटे तक दोनों छात्रों की मेडिकल जांच की गई। संयुक्त पुलिस आयुक्त आरएस कृष्णैया ने बताया है कि देशद्रोह के आरोपी दोनों छात्रों को धारा 124ए के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पूर्व दिन में गिरफ्तारी से राहत के लिए हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे उमर खालिद और अनिर्बान की ओर से दायर अपील पर न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कहा कि दोनों पुलिस के समक्ष समर्पण करें या गिरफ्तारी दें। सुनवाई के दौरान उमर और अनिर्बान पुलिस के समक्ष समर्पण को तैयार हो गए, लेकिन समर्पण कहां होगा इस मुद्दे पर सहमति नहीं बनने पर सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी गई।समर्पण के स्थान की सूचना गुप्त रखी गयीअदालत ने छात्रों के अधिवक्ता से पूछा कि आरोपी किस जगह व कब समर्पण करना चाहते हैं। स्थान व समय कागज पर लिख कर दें, उसे सावर्जनिक नहीं किया जाएगा। इस पर अधिवक्ता ने लिखित जानकारी दी। अदालत ने कोर्ट रूम में मौजूद पुलिस उपायुक्त प्रेमनाथ को कागज सौंपते हुए कहा कि वह सुरक्षा का पूरा प्रबंध करें और किसी को भी समर्पण का पता नहीं चलना चाहिए। इसके बाद अदालत ने पुलिस उपायुक्त व बचाव पक्ष के वकील को अपने चैंबर में बुलाया। करीब 15 मिनट बाद बाद आकर दोनों पक्षों ने कहा कि समर्पण के स्थान पर सहमति नहीं बन पाई है।अदालत ने मांगों का मतलब जानना चाहा

अदालत ने कहा कि आप हाईकोर्ट में क्यों समर्पण करना चाहते हैं। सुरक्षित तरीके से क्या मतलब है। आप न्यायिक प्रक्रिया को समझें, मनमानी न करें। यहां आपकी मर्जी नहीं चलेगी। न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।

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Posted By: Molly Seth