तकरीबन सात घंटे चली बहस के बाद भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा से GST यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल को स्‍वीकृति मिल गयी है। पिछले साल अगस्‍त से देश में टैक्‍स भुगतान के इस नये बिल का इंतजार हो रहा था। GST के लागू होने की प्रस्‍तावित तारीख 1 जुलाई 2017 बताई जा रही है। अगर आप इस बिल को लेकर उत्‍सुक हैं तो इन सात आसान तरीकों से GST के बारे में समझ लीजिए।

क्या है GST बिल
जीएसटी वो बिल है जिसके लागू होने पर पूरे देश में एक टैक्स का नियम शुरू हो जाएगा। यानि आम आदमी अभी जो 30 से 35 प्रतिशत तक टैक्स भरता है उसे करीब आधा यानी 17 से 18 प्रतिशत तक ही टैक्स देना पड़ेगा। साथ ही GST लागू होने से एक्साइज टैक्स, सर्विस टैक्स, वैट, सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स और लग्जरी टैक्स जैसे कई टैक्सों का सिलसिला खत्म हो जाएगा। राज्यों के बीच होने वाले कारोबार में एक प्रतिशत अतिरिक्त कर भी नहीं लगेगा, इसके चलते अगर राज्यों को नुकसान होगा तो केंद्र सरकार 5 साल तक सौ प्रतिशत का मुआवजा देगी। इस बारे में सरकार और व्यवसाय जुड़े लोगों  दोनों का ही मानना है कि पूरे देश में कारोबार करना आसान हो जायेगा, जिससे जीडीपी में भी कम से कम 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
क्यों चाहिए जीएसटी
जीएसटी की जरूरत इसलिए बताई जा रही है क्योंकि इसके लागू होने पर केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की उलझन खत्म हो जायेगी।इसके चलते आम आदमी पर कई परतों में पड़ रहे एक्साइज, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स और ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई करों का बोझ समाप्त हो जायेगा। इसके चलते पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से राज्यों के बीच कीमतों का अंतर भी घटेगा। सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
 
कौन चुकायेगा जीएसटी
जीएसटी का भुगतान सभी निर्माताओं और विक्रेताओं को करना होगा। इसके अलावा टेलिकॉम प्रोवाइडर, कंसल्टेंडस और चार्टेड अकाउंटेंट जैसे तमाम सर्विस प्रोवाइडर्स भी GST कर दाता होंगे। आप कह सकते हैं कि GST का जन्म तमाम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष करों बोझ खत्म करने के लिए हुआ है।
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भारत पर असर
GST को भारत में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। अब तक भारत में कर व्यवस्था कई परतों काम करती थी। यहां कनाडा की तरह दोहरी कर व्यवस्था थी जिसमें केंद्र और राज्य दोनों कर वसूलते थे, और तीन तरह के कर लगते थे पहला CGST जो केंद्र के द्वारा संचालित होती थी, दूसरी SGST जो राज्यों द्वारा संचालित होती थ्ी और तीसरी IGST जो दो राज्यों के बीच काम करती थी ताकि केंद्र और राज्यों के बीच कर भुगतान का संतुलन बना रहे।  पहली बार भारत में एक देश, एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था शुरू करने की योजना बनी है। हालाकि उद्योग और कारोबार इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे। हालाकि सरकार एक प्रतिशत अतिरिक्त उपकर लगाने का प्रस्ताव वापस ले लिया है, लेकिन कहना मुश्किल है कि भारत में ये करना कितना आसान या मुश्किल होगा। अनुमारन है कि GST लागू होने के बाद करीब 3 साल तक महंगाई का बढ़ना तय है। मलेशिया इसका ताजा उदाहरण है जहां साल 2015 में जीएसटी आने के बाद से महंगाई दर 2.5% तक बढ़ गयी है।
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आपकी जेब असर यानि क्या होगा मंहगा
आपको बता दें कि चाय-कॉफी, डिब्बाबंद खाने के समान के 12 फीसदी तक महंगे होने के आसार हैं क्योंकि इन प्रोडक्ट्स पहले ड्यूटी नहीं लगती थी पर अब ये टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। इसके साथ मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल भी महंगा होगा। सर्विसेस पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है जिसमें 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स, 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत सेस और 0.5 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस शामिल है जो जीएसटी के बाद बढ़कर 18 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा। GST आने के बाद MRP पर भी टैक्स लगने लगेगा। कीमती पत्थरों और जेवर का भी महंगा होना तय है क्योंकि पर लगने वाली ड्यूटी 3 प्रतिशत से बढ़ कर 17 प्रतिशत तक हो जाएगी। रेडिमेड गारमेंट भी महंगे होंगे क्योंकि 4 से 5 फीसद वैट GST के बाद बढ़ कर 12 प्रतिशत हो जाएगा।
जीएसटी के लिए माकूल नहीं माहौल
ये फायदा क्योंकि ये चीजें होंगी सस्ती
इस बिल के लागू होने के बाद लेनदेन पर से वैट और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा, ऐसी स्थिति में घर खरीदना और रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो जायेगा। अब तक वैट हर राज्य के लिए अलग-अलग, बिल के 40 प्रतिशत हिस्से पर 6 और 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स पर लगता है जबकि जीएसटी में सिर्फ एक टैक्स लगेगा जो आपकी जेब के लिए फायदे का सौदा होगा। साथ ही आम आदमी के जरूरत की चीजें जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि ससते हो सकते हैं। इसकी वजह ये है कि अभी ऐसी चीजों पर फिलहाल 12.5 परसेंट एक्साइज और 14.5 परसेंट वैट लगता है, जबकि जीएसटी के बाद सिर्फ 18 फीसद टैक्स लगेगा। खरीदारी के अलावा माल की ढुलाई भी 20 प्रतिशत सस्ती होगी जिसका फायदा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को मिलने की संभावना है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
केंद्र सरकार के लिए जीएसटी से जुड़े बिलों को भी 16 सितंबर से पहले लागू कराना जरूरी है। सरकार संसद में पहले ही संविधान संशोधन बिल पास करा चुकी है। यानि 16 सितंबर के बाद इनडायरेक्ट टैक्स की वसूली नहीं की हो सकेगी। साथ ही कहा जा रहा है कि इस बिल के आने के भारतीय उत्पाद न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो जाएंगे। बिल के आने के बाद ना केवल नयी नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि उत्पादकता भी बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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Posted By: Molly Seth