पाकिस्तान के इशारे पर चीन ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश की है। आज यानी कि मंगलवार को सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को लेकर वार्ता होगी।


यूनाइटेड नेशंस (रॉयटर्स)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मंगलवार को चीन के अनुरोध पर जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए एक बैठक करेगी। राजनयिकों ने इस बात की जानकारी दी है। काउंसिल अगस्त के बाद पहली बार इस मुद्दे को लेकर अनौपचारिक बैठक करेगी। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के इशारे पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र में फिर से इस तरह का अनुरोध किया है और उसने भी खुद यूएन से इस संबंध में संज्ञान लेने का आग्रह किया है। 12 दिसंबर को सुरक्षा परिषद को लिखे एक पत्र में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तनाव के संभावित आगे बढ़ने के बारे में चिंता व्यक्त की थी। सुरक्षा परिषद की 16 अगस्त की बैठक का जिक्र करते हुए पाक विदेश मंत्री ने& कश्मीर की पूरी आबादी पर तीन सप्ताह से जारी लॉकडाउन को तुंरत खत्म की आवश्यकता पर जोर दिया था।


बंद दरवाजे के पीछे होगी बैठक

वहीं, चीन के यूएन मिशन ने परिषद के सदस्यों को एक नोट में लिखा, 'गभीर स्थिति और बढ़ते जोखिम के मद्देनजर, चीन पाकिस्तान के अनुरोध को प्रतिध्वनित करना चाहता है और जम्मू-कश्मीर के हालात पर परिषद की ब्रीफिंग का अनुरोध करना चाहता है।' नाम न छापने की शर्त पर राजनयिकों ने बताया कि सुरक्षा परिषद में मंगलवार को बंद दरवाजे के पीछे इस संबंध में बैठक होगी। बता दें कि बंद दरवाजे के पीछे हुई बैठकों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है, इसके अलावा उसमें दिए गए बयान का भी रिकॉर्ड नहीं होता है। इस तरह की बैठक में पाकिस्‍तान और भारत की ओर से कोई नुमाइंदा शामिल नहीं होता है। जम्‍मू-कश्‍मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के गठन पर चीन ने तरेरी आंखेंबौखला गया है पाकिस्तानबता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए। पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में भी पहुंच गया था लेकिन वहां भी उसे सफलता हासिल नहीं हुई। भारत के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने उसका आंतरिक मामला बताया और इसका समर्थन भी किया है।

Posted By: Mukul Kumar