- शासन ने यूनिवर्सिटी को अगस्त में चुनाव कराने का आदेश दिया

- यूनिवर्सिटी शासन को भेजेगा अभी तक की स्टेटस रिपोर्ट

- हाईकोर्ट में पैरवी करने की मांग करेगा एलयू

LUCKNOW :

सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ बहाल करने की बात कह कर चुनावी सरगर्मी बढ़ा दी है। योगी के इस वक्तव्य को शासन स्तर पर भी गंभीरता से लिया गया है। शासन ने लखनऊ यूनिवर्सिटी को एक लेटर भेजकर कहा है कि वह इस साल हर हाल में चुनाव कराए। यूनिवर्सिटी अब इस मामले में अपना रुख शासन के सामने स्पष्ट करने जा रही है। साथ ही जुलाई में इस मामले की सुनवाई के लिए लखनऊ हाईकोर्ट बेंच में अपील करेगा।

एलयू भेजेगा पूरी जानकारी

एलयू इस मामले में छात्रसंघ चुनाव को लेकर एक पूरा प्रस्ताव शासन के पास भेजेगा। ताकि शासन स्तर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर छात्रसंघ चुनाव पर लगे स्टे को हटवाने में मदद मिल सके। यूनिवर्सिटी हर हाल में इस सेशन में चुनाव कराने को तैयार है।

नवंबर में बनी थी एक कमेटी

2007 में मायावती सरकार ने लखनऊ में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई थी। साल 2012 में 21 मार्च को शासन ने छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक हटा ली। पर इसी साल एलयू के स्टूडेंट हेमंत सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए उम्र निर्धारण को लेकर एक याचिका लखनऊ हाईकोर्ट में दायर कर दी। उसी साल कानपुर यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड पीपीएन डिग्री कॉलेज ने भी मोड ऑफ इलेक्शन को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद हाईकोर्ट ने हेमंत सिंह और पीपीएन कॉलेज के मामले को कल्ब कर दिया था। जिसे शासन को छात्रसंघ चुनाव के लिए मोड में करना है। इस पर हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कराना है।

जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में बनी कमेटी

इस पूरे मामले में एलयू के पूर्व वीसी प्रो। एसबी निमसे ने नवंबर 2016 में रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में कमिटी बनाई। कमिटी ने चुनाव कराने के लिए यूनिवर्सिटी को हाईकोर्ट में अपील करने के साथ ही शासन को चुनाव के मोड बताने के लिए कहा था। इसके बाद एलयू ने तीन तरीकों से चुनाव कराने का प्रस्ताव को शासन को भेजा था। शासन ने इनमें से एक मोड तय कर कोर्ट में रखने को कहा। इसमें एलयू ने डायरेक्ट मोड को प्राथमिकता देने की बात कही। पर इसके बाद भी शासन स्तर पर हाईकोर्ट में इस सम्बन्ध में कोई जवाब नहीं दिया गया।

पांच साल ने नहीं तय हो पाया मॉडल

लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार डिग्री स्तर पर छात्रसंघ चुनाव सत्र शुरू होने से छह से आठ सप्ताह के बीच में होने चाहिए। इसके लिए अलग-अलग मॉडल भी सुझाए गए हैं। इसी तरह यूनिवर्सिटी शैक्षिक सत्र 16 जुलाई से शुरू होता है। इस लिहाज से चुनाव की अवधि अगस्त अंत तक है। जेएम लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार ही चुनाव कराने की सहमति शासन और यूनिवर्सिटी में बनी। पर इलेक्शन मोड पांच साल बीतने के बाद भी नहीं तय हो पाया।

स्टूडेंट चाहते डायरेक्ट चुनाव

चुनाव के लिए समिति की ओर से सुझाए गए चार में से एक मॉडल तय करने की भी बात है। यूनिवर्सिटी प्रशासन एलयू और एसोसिएट कॉलेज की संख्या का हवाला देते हुए इनडायरेक्ट चुनाव का पक्षधर है। इस संबंध में पूर्व वीसी प्रो। एसबी निमसे ने शासन को पत्र भी भेजा था। दूसरी ओर छात्रनेता डायरेक्ट चुनाव चाहते हैं। उनके दबाव के बाद एलयू प्रशासन ने शासन को भेजे गए दूसरे पत्र में डायरेक्ट चुनाव कराने पर भी सहमति जताई थी।

लिंगदोह समिति ने सुझाए ये मॉडल

पहला मॉडल-यूनिवर्सिटी में डायरेक्ट इलेक्शन होंगे। इसके अनुसार विभिन्न पदों के लिए स्टूडेंट्स खड़े होंगे। कैम्पस के सभी स्टूडेंट मतदान के जरिए छात्रसंघ के पदाधिकारियों का चयन करेंगे।

दूसरा मॉडल- इस मॉडल में कॉलेज, कैंपस, यूनिवर्सिटी में सीधे इलेक्शन होंगे। हर क्लॉस के प्रतिनिधि चुने जाएंगे। डायरेक्ट इलेक्शन के द्वारा यूनिवर्सिटी पदाधिकारियों के लिए रिप्रेजेंटेटिव्स का चयन किया जाएगा। इस तरह चुनकर आए प्रतिनिधियों से ओवरऑल प्रतिनिधि चुना जाएगा।

तीसरा मॉडल - इसमें कॉलेज, कैंपस, यूनिवर्सिटी में क्लास रिप्रेजेंटेटिव्स का चुनाव कराने की बात है। इसमें यूनिवर्सिटी प्रतिनिधि के लिए रिपे्रजेंटेटिव्स का चयन किया जाएगा। दूसरी ओर यूनिवर्सिटी में डायरेक्ट इलेक्शन के द्वारा रिप्रेजेंटेटिव्स का चुनाव होगा। इस सभी प्रतिनिधियों में से अप्रत्यक्ष के माध्यम से ओवरऑल प्रतिनिधि का चयन होगा।

चौथा मॉडल-कॉलेज, कैंपस, यूनिवर्सिटी में क्लास रिप्रेंजेटेटिव्स चुने जाते हैं। इनमें से यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि के लिए स्टूडेंट्स का चयन होता है। इस तरह हुए चुने प्रतिनिधियों में से ओवरआल प्रतिनिधि का चयन इनडायरेक्ट इलेक्शन से होता है।

पांचवां मॉडल- लिंगदोह समिति की सिफारिश के अनुसार छह से आठ सप्ताह की अवधि इस सप्ताह समाप्त हो रही है। इस दौरान समिति ने केवल डायरेक्शन दिया है। अवधि बीतने के बाद भी इलेक्शन कराया जा सकता है।

शासन से अगस्त में चुनाव कराने को कहा है। इस सम्बन्ध में हम अपना पक्ष शासन को भेजेंगे। हाईकोर्ट में शासन को अपना पक्ष रखना है। तभी चुनाव संभव है।

- प्रो। एसपी सिंह, वीसी एलयू

हम हाईकोर्ट में अपना पक्ष रख चुके हैं। शासन को इस बारे में पहले भी अवगत कराया जा चुका है। हाईकोर्ट से स्टे हटवाने में शासन की मदद जरूरी है। इसके बाद ही चुनाव संभव है।

प्रो। एनके पांडेय, प्रभारी छात्रसंघ

Posted By: Inextlive