डिग्री-मा‌र्क्सशीट के लिए कोर्ट से लगा रहे गुहार

आगरा। डॉ। भीमराव आम्बेडकर यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाकर परेशान स्टूडेंट्स अब कोर्ट की शरण ले रहे हैं। हाल ही में अलीगढ़ और मुरादाबाद कोर्ट द्वारा स्टूडेंट्स के पक्ष में आदेश भी दिए गए हैं, जिसमें समस्या निस्तारण के साथ पीडि़त को आर्थिक भरपाई के निर्देश दिए हैं।

हजारों की संख्या में पीडि़त

विवि में मा‌र्क्सशीट और डिग्री के लिए भटकने वाले स्टूडेंट्स की संख्या हजारों में है। परेशान स्टूडेंट्स पटल और अधिकारियों के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं होता। स्टूडेंट्स राजभवन तक दौड़ लगाते हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाता। अब पीडि़त स्टूडेंट्स कोर्ट की शरण ले रहे हैं।

केस.1

क्लर्क ने खो दिए दस्तावेज

छात्रा पायल वाष्र्णेय ने वर्ष 2005 में डीएस कॉलेज से एमएससी बॉटनी की परीक्षा पास की थी। पायल ने वर्ष 2011 में डिग्री के लिए आवेदन किया। जब, चार वर्ष तक डिग्री नहीं मिली तो छात्रा ने विवि में अधिकारियों से संपर्क किया, जहां से उन्हें संबंधित पटल पर भेज दिया गया। संबंधित पटल पर जब पायल के दस्तावेज नहीं मिले, तो उन्होंने एक बार फिर फीस विवि के खाते में जमा कराई। लेकिन, इसके बाद भी विवि छात्रा को डिग्री मुहैया नहीं करा सका। इसके बाद एक वर्ष तक छात्रा ने कार्यालय में क्लर्क से संपर्क किया। क्लर्क ने डिग्री के एवज में 25 हजार रुपये की मांग शुरू कर दी। अधिकारियों से क्लर्क पर दबाव बनाने पर छात्रा को चार्ट में एक विषय में अनुपस्थित दिखा दिया। परेशान छात्रा ने अलीगढ़ की स्थाई लोक आदालत में याचिका दायर की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विवि प्रशासन को छात्रा की डिग्री उपलब्ध कराने, मा‌र्क्सशीट में गलती सुधारने के साथ आर्थिक क्षतिपूर्ति के 50 हजार देने के आदेश दिए।

केस2

दो महीने में दें मा‌र्क्सशीट:कोर्ट

बीपीएड की छात्रा बबली देवी की मा‌र्क्सशीट में एक अक्षर गलत था। छात्रा ने वर्ष 2005 में बीपीएड की परीक्षा पास की थी। डिग्री के लिए छात्रा ने कई बार विवि अधिकारियों से संपर्क किया, जहां से उसे संबंधित पटल पर भेज दिया गया। सुनवाई नहीं होने पर छात्रा ने मुरादाबाद की स्थाई लोक अदालत में मामला दायर किया। कोर्ट ने विवि को अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया। पक्ष नहीं रखने पर कोर्ट ने छात्रा को दो महीने के भीतर मा‌र्क्सशीट मुहैया कराने व क्षतिपूर्ति के लिए बतौर 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए।

गलती सुधारने को कोर्ट में गुहार

जम्म-कश्मीर में तैनात एक सेना अधिकारी के पुत्र ने वर्ष 2013 में बीकॉम की परीक्षा पास की थी। लेकिन, कर्मचारी और विवि अधिकारियों की लापरवाही से मा‌र्क्सशीट में उनके नाम को रविन्द्र कौशिक के स्थान पर रविन्द दर्शा दिया। एक वर्ष पहले उन्होंने मा‌र्क्सशीट में त्रुटि सुधार को आवेदन किया था। काफी प्रयासों के बाद प्रथम और द्वितीय वर्ष की मा‌र्क्सशीट उपलब्ध करा दी गई, लेकिन थर्ड ईयर की अभी तक नहीं मिली है। संबंधित पटल के क्लर्क द्वारा दस्तावेज गुम होना बताया जा रहा है, इस पर पीडि़त स्टूडेंट्स ने कोर्ट की शरण में जाने का मन बना लिया है।

Posted By: Inextlive