RANCHI : सरकार की अनदेखी से ही यूनिवर्सिटी टीचर्स को आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आज स्टूडेंट्स को पढ़ाने की बजाय टीचर्स को अपनी मांगों के लिए धरना देना पड़ रहा है। अगर टीचर्स की समस्याओं का निराकरण हो जाता तो वे कैंपस में अपनी ड्यूटी कर रहे होते। मंगलवार को राजभवन के समक्ष फुटाज के बैनर तले आयोजित एक दिवसीय धरना में वक्ताओं ने ये बातें कही। इस धरने में राज्य के पांचों यूनिवर्सिटीज से बड़ी संख्या में टीचर्स शामिल हुए। इन्होंने कहा कि टीचर्स की अधिकांश समस्याओं के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय निदेशालय जिम्मेवार है। धरना को फुटाज अध्यक्ष डॉ विजय कुमार पियूष, डॉ। मिथिलेश, डॉ हरिओम पांडेय, डॉ एलके कुंदन, डॉ बलबीर सिंह, डॉ बीएन सिंह और डॉ केडी शर्मा ने संबोधित किया।

आंदोलन की बनी रणनीति

फुटाज का अधिवेशन सात फरवरी को दुमका में होगा। इसमें संघ के लिए पदाधिकारियों का चयन किया जाएगा। अधिवेशन में ही शिक्षकों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की घोषणा कर दी जाएगी। फुटाज अध्यक्ष डॉ बबन चौबे ने कहा कि रिटायर्ड शिक्षकों का लगभग 25 लाख रूपया बकाया है। आर्थिक तंगी के कारण वे इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल में ही एक टीचर की मौत इलाज के अभाव में हो गई थी।

टीचर्स की ये हैं मांगें

-पांचवें वेतनमान का 40 परसेंट व छठ वेतनमान के 66 परसेंट बकाया राशि का हो भुगतान

-रिटायर्ड टीचर्स के लिए यूनिवर्सिटी में वेलफेयर फंड का हो गठन

- यूनिवर्सिटी टीचर्स के लिए हो सातवें वेतन आयोग का गठन

-2008 के शिक्षकों की उनके योगदान की तिथि से सेवा संपुष्ट हो

-सेवाकाल के दौरान शिक्षकों को एपीजी का लाभ मिले

-पूरे सर्विस पीरिएड में टीचर्स को कम से कम दो प्रमोशन का लाभ मिले।

-हर साल 12 दिनों का आकस्मिक अवकाश और 300 दिनों का अर्जित अवकाश मिले

-टीचर्स को मिले परिवहन भत्ता

-पीएचडी इंक्रीमेंट की सुविधा दी जा

-300 दिनों का अर्जित अवकाश मिले

Posted By: Inextlive